विज्ञान

फ्रिज ही नहीं, मिट्टी के बर्तन में भी लंबे समय तक इन्सुलिन को किया जा सकता है स्टोर

Lalit Maurya

नागपुर में किए एक अंतराष्ट्रीय अध्ययन से पता चला है कि इन्सुलिन की शेल्फ लाइफ दवा कंपनियों द्वारा बताई खराब होने की समय सीमा से चार गुणा तक ज्यादा होती है। इतना ही नहीं वैज्ञानिकों के मुताबिक मिट्टी के बर्तन में रखने जैसे साधारण उपाय इस अहम दवा को गर्मी के मौसम में भी लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं।

गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय से जुड़े वैज्ञानिकों के सहयोग से किए इस अध्ययन के नतीजे जर्नल द लैंसेट: डायबिटीज और एंडोक्रिनोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं। रिसर्च के नतीजे दर्शाते हैं कि इंसुलिन को कमरे के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है। साथ ही इनकी शेल्फ लाइफ भी काफी ज्यादा होती है।

इस अध्ययन के नतीजे उस कमजोर तबके तक भी इस अहम दवा की पहुंच को सुनिश्चित करने में मददगार हो सकते हैं। मधुमेह एक गंभीर बीमारी है, जो मेटाबॉलिस्म या चयापचय से जुड़ी है। इस बीमारी में रक्त में मौजूद ग्लूकोज या शर्करा के स्तर में वृद्धि आ जाती है। इसका सबसे आम रूप टाइप 2 मधुमेह है, जो आमतौर पर वयस्कों में तब होता है, जब शरीर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है या पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है।

पिछले तीन दशकों में टाइप 2 मधुमेह का प्रसार नाटकीय रूप से बढ़ा है। वहीं दूसरी तरफ टाइप 1 मधुमेह, जिसे इंसुलिन-निर्भर मधुमेह के रूप में जाना जाता है, यह एक पुरानी बीमारी है जिसमें अग्न्याशय अपने आप बहुत कम या कोई इन्सुलिन पैदा नहीं करता।

ऐसे में इंसुलिन दवा का उपयोग डायबिटीज यानी मधुमेह से ग्रस्त लोगों को बचाने के लिए किया जाता है। गौरतलब है कि टाइप 1 मधुमेह में, अग्न्याशय में मौजूद इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। ऐसे में मरीजों को जीवन भर हर रोज इन्सुलिन का इंजेक्शन लेना पड़ता है।

हर साल 15 लाख लोगों की जान ले रहा है मधुमेह

यदि ऐसा न किया जाए तो इससे मेटाबॉलिस्म (चयापचय) पर असर पड़ता है। नतीजन लम्बे समय में आखों की रौशनी का जाना, गुर्दे की विफलता या अन्य जटिल समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। कई विकासशील देशों में इंसुलिन की आपूर्ति कम है और जो अक्सर महंगी होती है। ऐसे में पर्याप्त देखभाल न मिल पाने और इन्सुलिन के असमान वितरण के चलते लाखों लोगों की मौत समय से पहले हो जाती है। 

यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के आंकड़ों पर नजर डालें तो दुनिया भर में करीब 42.2 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। इनमें से ज्यादातर कमजोर और मध्यम आय वाले देशों में हैं। वहीं इससे होने वाली मौतों को देखें तो यह बीमारी हर साल सीधे तौर पर 15 लाख लोगों की जान ले रही है। आंकड़ों की मानें तो पिछले कुछ दशकों में मधुमेह के मामलों और प्रसार दोनों में लगातार वृद्धि हुई है।

चूंकि इंसुलिन तापमान के प्रति संवेदनशील होती है, ऐसे में इसे लंबे समय तक स्टोर करने के लिए फ्रिज का सहारा लेना पड़ता है जहां इसे दो से आठ डिग्री सेल्सियस पर तापमान पर रखा जाता है। लेकिन कई विकासशील देशों में परिवारों के पास रेफ्रिजरेटर जैसी कोई सुविधा नहीं है। कमरे के तापमान (30 डिग्री सेल्सियस तक) पर, आमतौर पर इंसुलिन को कुछ चार सप्ताह तक रखने की सलाह दी जाती है। इसके बाद दवा कंपनियों की सिफारिश है कि इसे फेंक देना चाहिए।

अपने इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने छह प्रकार के इंसुलिन का विश्लेषण किया है। इस अध्ययन के दौरान नागपुर में छह अलग-अलग परिवारों ने गर्मियों में एक से चार महीने की अवधि के लिए इंसुलिन को स्टोर किया था।

इसे या तो घर के सबसे अनुकूल कमरे में एक बॉक्स में रखा गया था या फिर मिट्टी के बर्तन में स्टोर किया गया था, जिसे ठंडा रखने के लिए डिजाईन किया गया था। आप जानते ही हैं कि मिट्टी का बर्तन वाष्पीकरण की मदद से पानी को लम्बे समय तक ठंडा रखता है।

अनुमान से चार गुणा है इंसुलिन की शेल्फ लाइफ

इस बारे में अध्ययन और गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय में बाल रोग विशेषज्ञ गन फोर्सेंडर का कहना है कि, "रिसर्च से पता चला है कि कमरे के तापमान पर इंसुलिन की शायद काफी लम्बी शेल्फ लाइफ है, जो पिछले अनुमानों की तुलना में चार गुणा तक है।"

उन्होंने आगे बताया कि मिट्टी के बर्तन जैसे ठंडा रखने वाले सरल समाधान, मौसम के सबसे गर्म होने पर भी इन्सुलिन को लम्बे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं। वहीं फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के एक अन्य शोध दल ने भारतीय घरों में कमरे के तापमान पर स्टोर की हुई इंसुलिन की एकाग्रता को लिक्विड क्रोमैटोग्राफी की मदद से मापा है।

इस बारे में जानकारी देते हुए लाइफ फॉर ए चाइल्ड संगठन के निदेशक और इस शोध से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर ग्राहम डी ओगल का कहना है कि “अध्ययन में जो निष्कर्ष आए हैं यदि उनकी पुष्टि बड़े अध्ययन में हो जाती है, तो वो इन्सुलिन के बारे में सोच को बदल सकते हैं।

ऐसे होने पर एक महीने तक फ्रिज के बाहर रखे जाने के बावजूद भी इन्सुलिन का उपयोग संभव होगा।“ साथ ही इससे इंसुलिन की शेल्फ लाइफ को संभावित रूप से तीन या चार महीनों तक बढ़ाया जा सकता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक इंसुलिन तक पहुंच पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा। यह साधनों के आभाव में रहने वाले परिवारों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा।