भारतीय वैज्ञानिकों ने उन्नत और अनोखे बिना तत्व वाले एनडी-एफई-बी से निर्मित चुंबकों का निर्माण किया हैं, जिनकी इलेक्ट्रिक वाहनों में अत्यधिक मांग है और वे उन्हें अधिक किफायती बना सकते हैं। 90 फीसदी से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन ऐसे ब्रश रहित डीसी (बीएलडीसी) मोटर्स का उपयोग करते हैं जो अनोखे तत्वों एनडी-एफई-बी से निर्मित चुंबक से बने होते हैं।
1984 में सगावा द्वारा इसकी खोज के बाद से ही एनडी-एफई-बी चुंबक अपने असाधारण चुंबकीय गुणों के कारण कई प्रयोगों के लिए सबसे अधिक मांग वाली स्थायी चुंबकीय सामग्रियों में से एक रहा है।
इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग किए जाने वाले एनडी-एफई-बी चुम्बक 150 से 200 डिग्री सेल्सियस के बहुत अधिक तापमान पर काम करते हैं और विचुंबकीकरण के लिए ऐसा उच्च प्रतिरोध की क्षमता प्रदर्शित करने की आवश्यकता होती है जो शुद्ध एनडी-एफई-बी चुम्बक में नहीं होती है। इसलिए विचुंबकीकरण (डिमैग्नेटाइजेशन) के प्रतिरोध को बेहतर बनाने के लिए डिस्प्रोसियम (डीवाई) धातु को एक मिश्र धातु के रूप में जोड़ा जाता है।
दुनिया भर में शोधकर्ता महंगे डिस्प्रोसियम (डीवाई) को शामिल किए बिना एनडी-एफई-बी चुंबकों की शक्ति अथवा विचुंबकत्व के प्रतिरोध को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। शक्ति बढ़ाने के लिए शोधकर्ताओं द्वारा अपनाई गई एक रणनीति उपयुक्त ताप उपचार के माध्यम से बिना-चुंबकीय तत्वों के साथ एनडी-एफई-बी चुम्बक के कणों के बीच के क्षेत्र को मजबूत बनता है।
हाल ही में, भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त शोध और विकास केंद्र, पाउडर धातुकर्म और नई सामग्री के लिए अंतर्राष्ट्रीय उन्नत अनुसंधान केंद्र (एआरसीआई) में ऑटोमोटिव ऊर्जा सामग्री केंद्र के वैज्ञानिकों ने एनडी 70 सीयू 30 के कम गलन बिंदु मिश्र धातु (लो मेल्टिंग पॉइंट एलॉय) का उपयोग करके कण सीमा प्रसार प्रक्रिया (ग्रेन बाउंड्री डिफ्यूजन प्रोसेस–जीबीडीपी) द्वारा नियोबियम (एनबी)-युक्त एनडी-एफई-बी) के ऐसे मेल्ट-स्पून रिबन की शक्ति को बढ़ाया है जो बिना-चुंबकीय तत्व के स्रोत के रूप में कार्य करता है।
उन्होंने नियोबियम (एनबी) के फैलने के कारण कण सीमा प्रसार के दौरान सीमित मात्रा में कणों के विकास की जानकारी दी है, जो एनडी-एफई-बी पाउडर के विचुंबकीकरण के प्रतिरोध को बढ़ाने के लिए कणों की सीमाओं पर तांबे की चालकता की सुविधा प्रदान करता है।
मैटेरियल्स रिसर्च लेटर में प्रकाशित इस शोध में ऑटोमोटिव में उपयोग के लिए अहम 150 डिग्री सेल्सियस पर एक टी की शक्ति, इलेक्ट्रिक वाहनों में प्रयोगों के लिए डिस्प्रोसियम (डीवाई) के बिना चुंबक विकसित करने की एक उपयोगी रणनीति हो सकती है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि इस परियोजना के माध्यम से एनडी-एफई-बी चुंबक के निर्माण के लिए प्रायोगिक स्तर पर संयंत्र स्थापित करने की तैयारी कर ली गई है और यहां निर्मित चुंबकों के लिए उपरोक्त रणनीति के प्रयोग की संभावनाओं का पता लगाया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा नई रणनीति का उपयोग भारत में एनडी-एफई-बी चुंबक के व्यावसायिक उत्पादन के लिए भी किया जा सकता है, जिससे मोटर वाहन क्षेत्र की प्रमुख आवश्यकताओं को पूरा करने वाले आयात को कम किया जा सके।