विज्ञान

भारतीय खगोलविदों ने बनाया ऐसा रोडमैप, जीवन की सम्भावना वाले ग्रहों की खोज में होगा मददगार

Lalit Maurya

भारतीय खगोलविदों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम बुद्धिमता आधारित एल्गोरिदम की मदद से एक नया दृष्टिकोण तैयार किया है जो उन ग्रहों की पहचान में मददगार हो सकता है, जहां जीवन की सम्भावना सबसे ज्यादा है। क्या धरती के बाहर भी जीवन है? क्या ब्रह्मांड में ऐसे भी ग्रह हैं जहां जीवन के फलने-फूलने के लिए आदर्श परिस्थितियां मौजूद हैं, यह हमेशा से इंसानी जिज्ञासा का विषय रहा है, इसे जानने के लिए हम सदैव से उत्सुक रहे हैं। 

प्राचीन समय से ही इंसान को यह विश्वास है कि धरती के बाहर भी ऐसे ग्रह हैं जहां जीवन हो सकता है। लेकिन उन्हें ढूंढना आसान नहीं है। अनुमान है कि अकेले हमारी गैलेक्सी में ही अरबों ग्रह हैं, जिनकी संख्या सितारों से भी ज्यादा है। इन्हीं ग्रहों की खोज को आगे बढ़ाने के लिए इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने बिटस पिलानी के खगोलविदों के साथ मिलकर एक नया रोडमैप तैयार किया है, जिससे वे जीवन की उच्च सम्भावना वाले ग्रहों की पहचान कर सकें।

गौरतलब है कि इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान है। यह नया रोडमैप इस धारणा पर आधारित है कि हजारों डेटा बिंदुओं के बीच पृथ्वी से अलग ग्रह के अस्तित्व की संभावना है। उनका यह अध्ययन रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की मासिक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

60 ऐसे ग्रहों की हुई है पहचान जहां हो सकती है जीवन की सम्भावना

शोध के अनुसार दुनिया भर में खोजे गए 5,000 ग्रहों में से 60 ऐसे ग्रह हैं जहां जीवन की सम्भावना हो सकती है। इतना ही नहीं 8,000 संभावित ग्रह प्रस्तावित हैं। इन ग्रहों में जीवन की सम्भावना पृथ्वी से उनकी निकटता और समानता पर आधारित है।

इस बारे में बिट्स पिलानी के डॉ स्नेहांशु साहा और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स की डॉक्टर मार्गरीटा सफोनोवा का कहना है कि हजारों ग्रहों में पृथ्वी ही एकमात्र रहने योग्य ग्रह है जिसे कुछ अलग ग्रह के रूप में परिभाषित किया गया है। उन्होंने यह पता लगाने की कोशिश की है कि क्या इस तरह के कुछ अलग ग्रहों का पता लगाने के लिए ‘नोवेलअनामली डिटेक्शन मेथड’ का उपयोग किया जा सकता है।

आईआईए से जुड़े शोधकर्ताओं का कहना है कि हालांकि, बड़ी संख्या में ग्रहों की खोज हुई है, लेकिन उनमें जीवन की सम्भावना की पहचान आसान नहीं है। इसके लिए उनका ग्रहों के लिए चिन्हित कई मापदंडों के आधार पर देखना होता है। इसके लिए महंगे टेलीस्कोप और कई घंटों का समय लगता है। हजारों ग्रहों का मैन्युअल तरीके से स्कैन करना और पृथ्वी जैसे संभावित ग्रहों की पहचान करना एक कठिन काम है। ऐसे में वैज्ञानिकों के अनुसार जीवन योग्य ग्रहों की खोज के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का प्रभावी तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। 

इसे ढूंढने के लिए भारतीय खगोलविदों ने एक नए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित एल्गोरिदम का विकास किया है। इस क्लस्टरिंग एल्गोरिदम का उपयोग करके एक्सोप्लैनेट डेटासेट से जीवन की सम्भावना वाले ग्रहों की पहचान करना संभव होगा। 

उनकी यह मल्टी-स्टेज मेमेटिक बाइनरी ट्री एनोमली आइडेंटिफायर (एमएसएमबीटीएआई) नामक एआई आधारित विधि, एक नोवेल मल्टी-स्टेज मेमेटिक एल्गोरिथम (एमएसएमए) पर आधारित है। एमएसएमए एक मीम की सामान्य धारणा का उपयोग करता है, जिसमें एक आईडिया या ज्ञान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के अनुकरण द्वारा स्थानांतरित हो जाता है। यह मीम या याददाश्त भावी पीढ़ी में क्रॉस-सांस्कृतिक विकास को इंगित करती है और इसलिए, जैसे-जैसे पीढ़ियां गुजरती हैं, यह सीखने के नए तंत्र को प्रेरित करती है। ऐसे में यह एल्गोरिदम पहचानी गई विशेषताओं में से जीवन की सम्भावना वाले दृष्टिकोण का मूल्यांकन करने के लिए जांच के एक त्वरंत उपकरण के रूप में कार्य कर सकता है। 

इस अध्ययन ने प्रस्तावित तकनीक के माध्यम से कुछ ग्रहों की पहचान भी की है, जिनमें पृथ्वी के समान ही विशेषताएं हैं। दिलचस्प बात यह है जब इस पद्धति ने सतह के तापमान को एक विशेषता के रूप में उपयोग नहीं किया, तब भी कुछ अलग ग्रहों का पता लगाने के मामले में समान परिणाम सामने आए थे। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह नई तकनीक भविष्य में ग्रहों के विश्लेषण को बहुत आसान बना देगी।

इस विषय में अधिक जानकारी के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स की डॉक्टर मार्गरीटा सफोनोवा (margarita.safonova@iiap.res.in) से संपर्क कर सकते हैं।