विज्ञान

आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने बनाया धोया जा सकने वाला एडहेसिव

Lalit Maurya

आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा एडहेसिव बनाया है, जिसे धोया जा सकता है| यही नहीं वैज्ञानिकों ने इस एडहेसिव की मदद से एक स्टिकी चिपकने वाला मैट विकसित किया है, जिसमें मौजूद एडहेसिव सतह पर उसके संपर्क में आने वाले धूल कणों को अपने में समेट लेता है| इसकी मदद से घरों, कार्यालयों, और अस्पतालों आदि को साफ सुथरा और सुरक्षित रखा जा सकता है| यह जानकारी प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में सामने आई है|

वैज्ञानिकों के अनुसार यह न केवल भवनों के अंदरूनी वातावरण को तरोताजा रख सकता है साथ ही महंगे और संवेदनशील उपकरणों को भी साफ रखता है, जिस वजह से वो सही तरीके से काम करते रहते हैं। यह मैट सस्ता और किफायती है क्योंकि इसे धोया जा सकता है और बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है|

छिपकली को देखकर मिली प्रेरणा

इस मैट को आईआईटी कानपुर में केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अनिमांगशु घटक ने विकसित किया है| उन्होंने इसे भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की सहायता से मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत बनाया है। उनके अनुसार इसकी प्रेरणा उन्हें दीवार पर चढ़ने वाले जीव जंतुओं जैसे कि घरों में मिलने वाली आम छिपकली और उसके पंजों में चिपकने वाले पैड को देख कर मिली है|

कैसे काम करता है यह मैट

इस मैट में मौजूद एड्हेसिव अपनी सतह पर मौजूद बहुत छोटे पिरामिड आकार के बंप की मदद से धूल कणों को अपनी ओर खींच लेता है| ऐसे में जब हम इस मैट पर कदम रखते हैं तो हमारे जूतों के सोल साफ हो जाते हैं। एक बार जब एड्हेसिव पूरी तरह से धूल कणों से भर जाता है, तो इसे कपड़ों की तरह ही धोया जा सकता है| इसके बाद उसकी सतह एक बार फिर से अपना काम दोबारा शुरू करने के लिए तैयार हो जाती है| इस तरह से इस मैट को सैकड़ों बार धोकर इस्तेमाल किया जा सकता है। यह इस मैट को किफायती बनाता है|

वैज्ञानिकों ने इस मैट को बहुत सरल और इस बात को ध्यान में रखकर बनाया है, कि इसे बार-बार धोकर उपयोग किया जा सके| साथ ही उन्होंने सतह के आकार को भी ध्यान में रखा है| साथ ही उसे ऐसा बनाया है जिससे भविष्य में उसे छोटे और बड़े दोनों आकार में बनाया जा सके| यह प्रमाणित किया जा चुका है कि इस मैट को बार-बार धोकर इस्तेमाल किया जा सकता है| साथ ही इसके पेटेंट के लिए आवेदन कर दिया गया है| चूंकि यह तैयार करने और धोने में आसान है और पर्यावरण के भी अनुकूल है ऐसे में वैज्ञानिकों का मत है कि यह स्टिकी मैट इस काम के लिए विदेशों से आयात किया जा सकने वाले सामान की जगह ले सकता है। हालांकि बाजार में इससे मिलता जुलता उत्पाद 3एम स्टिकी मैट है, लेकिन उसके साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि उसे धोया और दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता|

यह मैट अस्पतालों के आईसीयू में उपयोग किया जा सकता है। साथ ही इसका इस्तेमाल संवेदनशील उपकरणों वाले कमरों और सुविधाओं में एयर फिल्टर के एक घटक के रूप में किया जा सकता है| शोधकर्ताओं के अनुसार यह टेक्नोलॉजी ऐसी हर जगह के लिए महत्वपूर्ण है जहां साफ-सफाई और स्वच्छता की आवश्यकता है। यदि टेक्नोलॉजी रेडीनेस लेवल के स्तर पर देखें तो यह उत्पाद 7 से 8 के स्तर पर है, जिसका अभी व्यवसायीकरण किया जाना बाकी है। हालांकि बड़े स्तर पर इसके उत्पादन के लिए एक प्रायोगिक संयंत्र का निर्माण किया जा रहा है। ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही हम इस तकनीक को अपने आसपास देखेंगे|