विज्ञान

आईआईटी कानपुर ने ‘शुद्धम’ नामक किफायती वाटर प्यूरीफायर और कूलर एक साथ किया विकसित

शुद्धम वाटर प्यूरीफायर और कूलर ग्रामीण और शहरी परिवारों को सस्ती कीमत पर स्वच्छ पानी और ठंडा करने की चुनौती का एक साथ समाधान है

Dayanidhi

कानपुर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) ने ग्रामीण घरों और शहरी मध्यमवर्गीय लोगों के लिए ‘शुद्धम’ नाम से एक किफायती वाटर प्यूरीफायर और कूलर बनाने की जानकारी दी है। इसका उत्पादन आईआईटी कानपुर की इमेजिनियरिंग प्रयोगशाला द्वारा किया गया है।

इमेजिनियरिंग लेबोरेटरी एंड रूरल टेक्नोलॉजी एक्शन ग्रुप (आरयूटीएजी) के समन्वयक प्रो. जे. रामकुमार,और डॉ. अमनदीप सिंह, शोध अधिकारी (आरईओ) की अगुवाई वाली टीम ने इस तकनीक को आगे बढ़ाया। लोगों को सस्ती दरों पर पानी को शुद्ध और ठंडा करने की चुनौती का समाधान करने के लिए, न्यू उन्नत इंडिया टेक्नो सॉल्यूशन एंड इनोवेशन्स के जितेंद्र सिंह चौधरी ने आईआईटी की टीम से संपर्क किया था।

चौधरी ने पहले शुद्धम के शुरुआती मॉडल को वाटर फिल्टर के रूप में विकसित किया। आईआईटी कानपुर की टीम ने इसकी सीमाओं का समाधान किया और इसे किफायती तरीके से पानी को शुद्ध करने के साथ-साथ इसके कूलर में भी सुधार किया है। आईआईटी की टीम के मुताबिक, इमेजिनियरिंग प्रयोगशाला में, इसके बेहतर शुद्धीकरण क्षमता सुनिश्चित करने के लिए इसे कई चरणों से गुजरा गया।

टीम ने बताया कि, शुद्धम उपयोग करने में आसान और किफायती है और एक बार लॉन्च होने के बाद इसकी कीमत लगभग 4000 रुपये होगी। इसमें पानी साफ होने के लिए कई चरणों से गुजरता है और साथ ही पानी ठंडा भी होता है।

इस प्रणाली का ऊपरी हिस्सा अशुद्ध पानी को जमा करने वाला टैंक है, जबकि निचले हिस्से में शुद्ध पानी का टैंक है। शुद्धिकरण के तीन चरण हैं: ठोस अशुद्धियों को हटाने के लिए पहले चरण में पानी एक कपास से बने फिल्टर के माध्यम से गुजरता है, इसके बाद सक्रिय कार्बन के साथ एक कारतूस के माध्यम से खराब गंध और क्लोरीन को हटा दिया जाता है।

सक्रिय कार्बन को मेडटेक लैब में इमेजिनियरिंग लेबोरेटरी, में नारियल के गोले और "मित्रा" नामक एक हीटिंग भट्टी का उपयोग करके तैयार किया गया था। अगले चरण में, आयन एक्सचेंज के लिए एक पॉलिमर झिल्ली का उपयोग किया जाता है।

शुद्ध पानी को तब तांबे के पंख वाले निचले रिजर्व टैंक में जमा किया जाता है जो तांबे को आगे बढ़ाता है और पानी में औषधीय गुणों को जोड़ता है। दोनों टैंकों को एक मिट्टी के बर्तन में रखा गया है जो प्राकृतिक तरीके से इसे ठंडा करता है और पंखे की मदद से तापमान अपने आप कम होता रहता है।

इसके अतिरिक्त, इस प्रणाली को बिजली की सीमित पहुंच वाले इलाकों के लिए 10 वाट की एक मिनी सौर प्लेट के द्वारा चलाए जाने के लिए डिजाइन किया गया है।

आईआईटी कानपुर के निदेशक, प्रोफेसर अभय करंदीकर ने कहा, आईआईटी कानपुर की इमेजिनरी लैब सस्ती और कुशल तकनीकों को सामने लाने के काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। एक एडवांस या उन्नत पानी को शुद्ध करने और कूलर, शुद्धम का विकास संस्थान द्वारा किफायती साधनों में से एक है। उन्होंने  कहा में उम्मीद करता हूं कि यह बेहतर उपयोग और स्वच्छ पानी के मुद्दे के समाधान के रूप में जनता तक पहुंचेगा।

आईआईटी कानपुर में इमेजिनियरिंग लेबोरेटरी एंड रूरल टेक्नोलॉजी एक्शन ग्रुप (आरयूटीएजी) के समन्वयक प्रोफेसर जे रामकुमार कहते हैं कि "हमें एक ऐसी प्रणाली विकसित करने पर गर्व है जो न केवल स्वच्छ पानी प्रदान करती है बल्कि इसे ठंडा भी करती है। यह उन लोगों के लिए वहन करना आसान है जो दोनों का खर्च नहीं उठा सकते हैं। उन्होंने कहा हमारी टीम किफायती उत्पादों को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है।"

उन्होंने कहा शुद्धम आईआईटी कानपुर की इमेजिनरी लैब की एक और उल्लेखनीय उपलब्धि है जो ग्रामीण और शहरी परिवारों को सस्ती कीमत पर स्वच्छ पानी और ठंडा करने की चुनौती का एक साथ समाधान करती है।