विज्ञान

सावधान! इंसानों के सेवन के लिए सुरक्षित नहीं गोमूत्र, रिसर्च में मिले 14 तरह के हानिकारक बैक्टीरिया

Lalit Maurya

भले ही कुछ लोग इस बात से असहमत हो सकते हैं, लेकिन वैज्ञानिक शोध में सामने आया है कि गौमूत्र, इंसानों के सेवन के लिए सुरक्षित नहीं है। यह जानकारी भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के शोधकर्ताओं द्वारा किए अध्ययन में सामने आई है।

गौरतलब है कि रिसर्च में ताजे गौमूत्र में 14 तरह के हानिकारक बैक्टीरिया मिले हैं, जो इंसानी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं। इनमें हानिकारक ई-कोलाई (इशचेरिचिया कोलाई) बैक्टीरिया भी शामिल है, जो पेट में संक्रमण का कारण बन सकता है।

यह अध्ययन भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान से जुड़े शोधकर्ता भोज राज सिंह और उनके तीन शोधार्थियों द्वारा किया है, जिसके नतीजे पीयर-रिव्यू जर्नल इन्फेक्शियस डिजीज रिसर्च में प्रकाशित हुए हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें की भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान देश में पशुओं पर रिसर्च करने वाला अग्रणी संस्थान है, जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) से भी जुड़ा है।

भारतीय संस्कृति में गायों का बहुत महत्व है, यही वजह है की गाय को गौ माता का दर्जा भी दिया गया है। देश में लम्बे समय से लोग गौमूत्र को एक चमत्कारी औषधि मानते रहे हैं, लेकिन इसे सीधे तौर पर इसका सेवन कितना सुरक्षित है यह हमेशा से बड़ा सवाल रहा है। हालांकि डॉक्टरों और विशेषज्ञों द्वारा बार-बार चेताए जाने के बावजूद, गौमूत्र का बाजार तेजी से फल-फूल रहा है।

एफएसएसएआई की सहमति के बिना ही बेचा जा रहा है गौमूत्र

कोविड-19 महामारी के दौरान भी गौमूत्र को संक्रमण से निजात दिलाने के साथ इम्युनिटी में इजाफा करने वाला बताया गया था। यही वजह है कि उस समय कोविड-19 के ईलाज के लिए बहुत से लोगों ने ब्रांडेड “काउ डंग थैरेपी” के तहत गौमूत्र का सेवन किया था।

भारत में कई सप्लायर भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की सहमति के बिना ही बड़े पैमाने पर गोमूत्र को बेच रहे हैं, जोकि गैरकानूनी है। देश में इन्हें एमाज़ॉन और फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी बेचा जा रहा है, जहां इन्हें बैक्टीरिया-रोधी और एंटी-फंगल तक बताया गया है।

अपने इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने गाय, भैंस और मनुष्यों के यूरिन के 73 नमूनों का विश्लेषण किया है। अध्ययन में उन्होंने जून 2022 से नवंबर 2022 के बीच गाय की तीन नस्लों साहीवाल, थारपारकर और विंदावनी (क्रॉस ब्रीड) के यूरिन के सैम्पल्स की जांच की है जिन्हें उन्होंने स्थानीय डेयरी फार्मों से लिया था।

विश्लेषण में यह भी सामने आया है कि गायों की तुलना में भैंस के यूरिन में जीवाणुरोधी क्षमता कहीं ज्यादा होती है। रिसर्च से पता चला है कि भैंस का यूरिन स्टैफिलोकोकस एपिडर्मिडिस और ई रापोंटिसी जैसे बैक्टीरिया के खिलाफ कहीं ज्यादा प्रभावी था। वहीं गाय की तीन अलग-अलग नस्लों साहिवाल, थारपारकर और वृंदावनी के यूरिन की एंटी बैक्टीरियल एक्टिविटी में कोई खास अंतर नहीं पाया गया।

यहां तक की निष्कर्ष में यह भी सामने आया है कि स्वस्थ व्यक्तियों के यूरिन सैम्पल्स में भी संभावित रोगजनक बैक्टीरिया होते हैं। ऐसे में अध्ययन में स्पष्ट तौर पर कहा है कि ताजा बिना डिस्टिल्ड गौमूत्र मानव सेवन के लिए सुरक्षित नहीं है। हालांकि शोधकर्ताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि इस अध्ययन में डिस्टिल्ड गौमूत्र सुरक्षित है या नहीं इसपर अभी और अध्ययन करने की आवश्यकता है। हालांकि सामान्य तौर पर यह नहीं कहा जा सकता की गौमूत्र में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं।