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चंद्रयान-3 अपडेट: आज शाम 6.04 बजे चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा चंद्रयान-3

Dayanidhi

भारत के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शुरू हुई 40 दिनों की यात्रा के बाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का चंद्रयान-3 मिशन अब उतरने की तैयारी कर रहा है। यदि सब कुछ ठीक रहा, तो विक्रम लैंडर आज यानी, 23 अगस्त को भारतीय समयानुसार शाम 6.04 बजे चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।

चंद्रयान-3 मिशन 2019 के चंद्रयान-2 मिशन की तरह है, जब विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। मिशन का पहला उद्देश्य सरल है - चंद्रमा पर सॉफ्ट-लैंडिंग को पूरा करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी की क्षमता का प्रदर्शन करना।

यदि मिशन सफल होता है, तो भारत उन देशों के एक छोटे और विशिष्ट समूह में शामिल हो जाएगा जो चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में कामयाब रहे हैं। अब तक, इस समूह के तीन सदस्य हैं- अमेरिका, सोवियत संघ और चीन तथा रूस ने 1976 के बाद लूना-25 मिशन के साथ चंद्रमा पर उतरने का अपना पहला प्रयास किया।

लूना-25 का हश्र चंद्रयान-2 जैसा ही हुआ, क्योंकि रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ने रविवार को घोषणा की, कि अंतरिक्ष यान चंद्र सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दिलचस्प बात यह है कि लूना-25 का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला मिशन बनना था - जो चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 दोनों का लक्ष्य था। अब चंद्रयान-3 के पास चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला मिशन बनने का भी मौका है।

कैसे उतरेगा चंद्रयान-3?

चंद्रयान-3 का लैंडर आज शाम 6.04 बजे चंद्र सतह पर लैंडिंग से पहले की कक्षा से 17 मिनट की लंबी दूरी के बाद उतरने के लिए तैयार है। अंतरिक्ष एजेंसी का टेलीमेट्री ट्रैकिंग और कमांड सेंटर (आईस्ट्रेस) बेंगलुरु में है। शाम 5.47 बजे एक कमांड भेजेगा जो अंतरिक्ष यान को लैंडिंग शुरू करने का संकेत देगा।

उस समय, यह लगभग 6,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से यात्रा करेगा और उतरने से पहले इसे शून्य के करीब सापेक्ष वेग तक धीमा करना होगा। लैंडर को 10 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से सुरक्षित रूप से उतरने के लिए डिजाइन किया गया है।

अंतिम चरण के दौरान, चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी पर मिशन नियंत्रकों से शायद ही किसी इनपुट के साथ बोर्ड पर मौजूद सिस्टम द्वारा स्वतंत्र रूप से नियंत्रित किया जाएगा। अंतरिक्ष यान को अपने सेंसर से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर अपने रास्ते को परिवर्तन करना होगा, जिससे पृथ्वी पर यहां से निरीक्षण करने वाली इसरो टीमों के लिए 17 मिनट का समय तनावपूर्ण होगा।