विज्ञान

चंद्रयान-3: सफलता से बस पांच दिन दूर, जल्द लहराएगा चांद के दक्षिणी छोर पर तिरंगा

चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर और रोवर से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया है, यानी अब लैंडर अकेला चांद की सतह की ओर बढ़ रहा है

Lalit Maurya

चंद्रयान-3 ने चांद की ओर अपना एक और सफल कदम बढ़ा लिया है। वैज्ञानिकों को भरोसा है कि अगले पांच दिनों में यानी 23 अगस्त की शाम 5 बजकर 47 मिनट पर लैंडर विक्रम चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।

गौरतलब है कि इस मिशन की सफलता के साथ भारत चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नियंत्रित रूप से "सॉफ्ट लैंडिंग" करने वाला पहला देश बन जाएगा, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।

इस मिशन के बारे में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 17 अगस्त को जो जानकारी साझा की है, उसके मुताबिक दोपहर को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर और रोवर से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया है, यानी अब लैंडर अकेला चांद की सतह की ओर बढ़ रहा है। 

इस मिशन के तहत अब लैंडर की रफ्तार को कम कर दिया गया है, जिससे उसे चन्द्रमा की निचली कक्षा में लाया जा सके। अब इसका प्रोपल्शन मॉड्यूल चांद की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन का अध्ययन करेगा। वहीं लैंडर विक्रम अपने भीतर मौजूद रोवर प्रज्ञान को लेकर 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतरने का प्रयास करेगा, जहां वो 14 दिन तक रहकर कई वैज्ञानिक खोजों को अंजाम देगा। वो चन्द्रमा की सतह पर मौजूद केमिकल और मिनरल्स का अध्ययन करेगा।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक आज 18 अगस्त को भारतीय समयानुसार शाम 4 बजे के आसपास लैंडर विक्रम थोड़ी निचली कक्षा में उतरेगा। वहीं इस बीच इसका वो भाग जो इसे चलने में मदद करता है जिसे प्रोपल्शन मॉड्यूल कहा जाता है, वो वर्तमान कक्षा में लम्बे समय तक अपनी यात्रा जारी रखेगा।

इस प्रोपल्शन मॉड्यूल में पृथ्वी का अध्ययन करने के लिए स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हेबीटेबल प्लेनेट अर्थ (शेप) नामक एक विशेष उपकरण लगा है वो चांद की कक्षा में परिक्रमा करते हुए पृथ्वी के बारे में और जानकारियां एकत्र करने का प्रयास करेगा। 

यह विशेष उपकरण पृथ्वी के चारों ओर की हवा का अध्ययन करेगा। साथ ही जब प्रकाश पृथ्वी पर बादलों से टकराता है तो उससे कितना परिवर्तन होता है, इस बारे में भी जानकारी एकत्र करेगा। इससे हमें अन्य ग्रहों के संकेत ढूंढने में भी मदद मिलती है जो जीवन के लिए उपयुक्त हो सकते हैं।

इस बारे में अंतरिक्ष एजेंसी ने माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट एक्स पर लिखा है कि, " एलएम को प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम) से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया है।" इसरों ने यह भी जानकारी दी है कि भारत के अब तीन उपग्रह चंद्रमा की परिक्रमा कर रहे हैं।

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर "सॉफ्ट लैंडिंग" करने वाला पहला देश बन जाएगा भारत

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चंद्रयान-3 अपने पिछले मिशन चंद्रयान-2 का ही नवीनतम संस्करण है। चंद्रमा पर उतरने का यह भारत का तीसरा प्रयास है। इससे पहले लैंडिंग मार्गदर्शन में आखिरी मिनट की गड़बड़ी के कारण चंद्रयान -2 का लैंडर चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

हालांकि उस मिशन से प्राप्त चंद्रमा की तस्वीरों का उपयोग इस बार लैंडिंग क्षेत्र को बेहतर तरीके से समझने के लिए किया जा रहा है। इसरो इस बात पर भी गौर कर रहा है कि चंद्रयान-2 की लैंडिंग के वक्त जो गलतियां हुई थी उन्हें इस बार दोहराया न जाए और सफलतापूर्वक लैंडिंग की जाए।

यदि यह मिशन सफल रहता है तो भारत चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास नियंत्रित रूप से "सॉफ्ट लैंडिंग" करने वाला पहला देश बन जाएगा, जबकि भारत अमेरिका, सोवियत संघ और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश होगा।

गौरतलब है कि चंद्रयान-3 को एलवीएम-3 रॉकेट के जरिए आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया गया था। उस दौरान इसे 170 किलोमीटर x 36,500 किलोमीटर के ऑर्बिट में छोड़ा गया था।

इसके बाद चंद्रयान-3 ने पांच अगस्त 2023 को चन्द्रमा की 164 किलोमीटर  x 18,074 किलोमीटर की अंडाकार कक्षा में प्रवेश किया था। इसके दोनों मॉड्यूल के अलग होने से पहले चंद्रयान-3 ने 6, 9, 14 और 16 अगस्त को कुल चार बार अपने परिक्रमा पथ को कम किया था।

चंद्रयान ने जब पहली बार चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था तो उसका परिक्रमा पथ 164 किलोमीटर  x 18,074 किलोमीटर था। कक्षा में प्रवेश करते समय चंद्रयान -3 पर लगे कैमरों ने चांद की कई तस्वीरें भी कैप्चर की थीं। इसरो ने अपनी वेबसाइट पर इसका एक वीडियो भी शेयर किया है। इन तस्वीरों में चांद के क्रेटर्स साफ देखे जा सकते हैं।

वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अपनी 3.84 लाख किलोमीटर की यात्रा पूरी कर विक्रम लैंडर 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। बता दें कि यह लगातार तीसरी मौका है जब इसरो ने मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश करने के अलावा अपने अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया है।