विज्ञान

चंद्रयान-2 मिशन: 7 सितंबर को पूरा होगा सपना!

Akshit Sangomla, Raju Sajwan

सोमवार को मिशन चंद्रयान-2 श्रीहरिकोटा से सबसे शक्तिशाली रॉकेट जीएसएलवी-मार्क तीन-एम1 के जरिए प्रक्षेपित किया गया, जो केवल 16 मिनट बाद तीन बजने में एक मिनट पहले जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में स्थापित हो गया। जीटीओ धरती की सतह से 39000 किलोमीटर दूर है।

भारतीय अंतरिक्ष संगठन (इसरो) का यह मिशन  अब तक का सबसे कठिन मिशन माना जा रहा है। जीटीओ से पहला सिग्नल मिलने के बाद इसरो के के अध्यक्ष के सिवन ने कहा कि चांद पर भारत की ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत हो चुकी है। इससे पहले दोपहर दो बज कर 43 मिनट पर चैन्नई से लगभग 100 किलोमीटर दूर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में दूसरे लांच पैड से चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया गया।

इस मिशन की लागत लगभग 978 करोड़ रुपए बताई गई है। इससे एक सप्ताह पहले 15 जुलाई को चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण की तैयारी की गई थी, लेकिन तकनीकी कारणों से यह सफल नहीं हो पाई। उस समय कहा गया था कि अंतिम क्षणों में प्रक्षेपण को टालने की घोषणा नहीं की जाती तो कोई बड़ा हादसा हो सकता था।

सिवन ने बताया कि पहला प्रयास विफल रहने के बाद इसरो के वैज्ञानिकों ने न केवल तकनीकी खामी की 24 घंटे के भीतर पहचान की और उस खामी को दूर किया गया। और तय किया गया कि 22 जुलाई को फिर से चंद्रयान को लॉन्च करने की घोषणा की गई। सिवन ने कहा कि जीएसएलवी एमके-तीन एम1 की परफॉरमेंस में 15 फीसदी अधिक सुधार किया गया है।

यह मिशन की शुरुआत है। इसे पूरी सफलता तब मिलेगी जब इसरो का लैंडर क्राफ्ट चांद की सतह पर पहुंच जाएगा। ऐसा 48 दिन बाद 7 सितंबर में होगा। अंतरिक्ष यान 23 दिन तक धरती के कक्ष में रहेगा। लगभग 14 अगस्त को चंद्रमा के कक्ष में प्रवेश करेगा और एक सितंबर को जब चंद्रयान-2 चंद्रमा के 100 किमी के दायरे में पहुंच जाएगा।  मिशन का सबसे मुश्किल भाग वह होगा, जब विक्रम चांद के दक्षिण ध्रुव में लैंडिंग साइट की खोज करेगा। सिवन ने बताया कि आखिर 15 मिनट, जब अंतरिक्ष यान चांद की सतह छुएगा, काफी मुश्किल भरे होंगे।