विज्ञान

कैथोड सामग्री से बनेगी किफायती और पर्यावरण के अनुकूल 'एनए-आयन' बैटरी

वैज्ञानिकों ने कहा कि, इस तरह की प्रणालियों का विकास करना आसान होगा और इससे सस्ती, पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ ऊर्जा भंडारण प्रणालियों का निर्माण होगा

Dayanidhi

भारतीय वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका खोज निकला है जिसमें सोडियम-आयन बैटरियों के लिए सोडियम से गुजरने वाली धातु और इसके ऑक्साइड आधारित कैथोड सामग्री की विद्युत-रासायनिक अस्थिरता का एक साथ पता लग जाएगा।

वैज्ञानिकों ने इससे संबंधित नई बेहतर प्रदर्शन करने वाली कैथोड सामग्री विकसित की है। नई सामग्री के हवा और पानी के संपर्क में आने पर भारी इलेक्ट्रोकेमिकल साइक्लिक स्थिरता देखी गई है।

वैज्ञानिकों ने कहा कि, इस तरह, प्रणालियों का विकास आसान होगा और ऐसी उम्मीद है कि इससे सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा भंडारण प्रणालियों का निर्माण होगा। जिनमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, ग्रिड ऊर्जा भंडारण, नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त ऊर्जा स्रोत और इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हैं।

जलवायु और पर्यावरण संबंधी मामलों की वजह से बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों का महत्व बढ़ रहा है, ऐसे में एलआई-आयन प्रणाली से अलग एक किफायती, संसाधन-अनुकूल, सुरक्षित और क्षार धातु-आयन बैटरी प्रणाली जरूरी हो जाती है।

भारत में एनए के स्रोत बहुत अधिक हैं, जो आगामी एनए-आयन बैटरी प्रणाली को भारतीय संदर्भ में और भी अधिक महत्वपूर्ण बना देता है। किसी भी क्षार धातु-आयन बैटरी सेल की तरह, एक एनए-आयन सेल में कैथोड और एनोड सक्रिय सामग्री भी होती है।

सोडियम-आयन बैटरियों के अनेक तरह के फायदे होने के बावजूद इनमें सुधार की बहुत गुंजाइश है। ऐसा इसलिए है क्योंकि स्थिरता की ऐसी कमी एनए-टीएम -ऑक्साइड के उपयोग और भंडारण को चुनौती देती है और उनके विद्युत रासायनिक प्रदर्शन को भी बुरी तरह प्रभावित करती है।

इसके अलावा, इनमें पानी की अस्थिरता के कारण इलेक्ट्रोड तैयार करने के लिए एन-मिथाइल-2-पाइरोलिडोन (एनएमपी) जैसे जहरीले,खतरनाक और  महंगे रसायनों का उपयोग अनिवार्य हो जाता है, जो पानी आधारित घोल के संभावित उपयोग के विपरीत है।

आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर अमर्त्य मुखोपाध्याय की टीम ने अपने हालिया शोध में, इन प्रमुख कारणों का जिक्र किया है जो इस चुनौती को दूर करने के लिए बेहतर प्रदर्शन वाली ना-आयन बैटरी विकसित करने में मदद कर सकते हैं।

ऊर्जा भंडारण योजना से संबंधित सामग्री में उन्होंने एक डिजाइन मानदंड विकसित किया है। यह टिकाऊ एनए-आयन बैटरी प्रणाली और पर्यावरण की दृष्टि से स्थिर तथा बेहतर प्रदर्शन करने वाली कैथोड के सफल डिजाइन की अहम कड़ी है।

विशिष्ट 'परतदार' एन-टीएम ऑक्साइड संरचना एनएओ2 (ओ-एनए-ओ) और टीएमओ2 (ओ-टीएम -ओ) से बने वैकल्पिक 'स्लैब'के माध्यम से निर्मित होती है। जिसमें ओ-आयन होते हैं जो कुल ऋणात्मक आवेश को टीएम-आयनों और एनए-आयनों द्वारा उनकी संबंधित परतों को साझा किया जाता है। जबकि यहां टीएम-ओ बॉन्ड प्रकृति में आयनो-सहसंयोजक है, एनए-ओ मुख्य रूप से आयनिक है।

ऐसी 'परतदार' संरचना में, टीएम-परत में धनायनों के उपयुक्त संयोजन को डिजाइन करके टीएम-ओ बांड की सहसंयोजकता को बढ़ा या घटा सकती है, ओ-आयन पर कुल नकारात्मक चार्ज को भी व्यवस्थित किया जा सकता है। बदले में, एनए-और ओ-आयनों के बीच इलेक्ट्रोस्टैटिक खिंचाव को प्रभावित कर सकता है और एन-परत में ओ-आयनों के बीच के प्रतिकर्षण भी प्रभावित हो सकता है।

इसके विपरीत, ओ-आयन पर एक कम प्रभावी नकारात्मक चार्ज, जो अधिक टीएम-ओ बांड सहसंयोजकता से निकलता है, वह एनए- और ओ-आयनों के बीच इलेक्ट्रोस्टैटिक खिंचाव को कम करेगा, जिसकी वजह से एक कमजोर या लंबा एनए-ओ बॉन्ड तैयार होगा।

यह तेजी से एनए-ट्रांसपोर्ट कैनेटीक्स की सुविधा प्रदान करेगा और इस प्रकार, कैथोड की बढ़ी हुई क्षमता-दर, एनए-आयन बैटरी की शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। यह शोध जर्नल केमिकल कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ है।