इंसान इस धरती का सबसे बुद्धिमान जीव है जो अपने रोजमर्रा के जीवन में कई अहम और जटिल फैसले ले सकता है, लेकिन क्या आपने सोचा है कि केचुएं जैसे छोटे कीड़े भी इस तरह के जटिल फैसले ले सकते हैं। बात हैरान कर देने वाली जरूर है पर वैज्ञानिक अध्ययन में यह साबित हो गया है कि केंचुए जैसे छोटे कीड़े भी जटिल फैसले ले सकते हैं।
हाल ही में साल्क इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों ने इन कीड़ों की बुद्धिमता और फैसले लेने की क्षमता को समझने के लिए एक अध्ययन किया है जिसके नतीजे जर्नल करंट बायोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं। अपने इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने केवल 302 न्यूरॉन्स वाले कृमि में निर्णय लेने की क्षमता का खुलासा करके सबको आश्चर्यचकित कर दिया है।
देखा जाए तो मनुष्य का दिमाग एक जटिल संरचना है जिसमें 8,600 करोड़ न्यूरॉन्स होते हैं जिसकी बदौलत इंसान जटिल फैसले ले सकता है। समस्याओं को हल करता है और अच्छे और बुरे में चयन कर सकता है। लेकिन केवल 302 न्यूरॉन्स होने के बावजूद यह कीड़े जटिल फैसले कैसे ले सकते हैं यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है।
गौरतलब है कि न्यूरॉन्स या तंत्रिका कोशिकाएं हमारे मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र की मूलभूत इकाई होती हैं। इन कोशिकाओं का काम मस्तिष्क से सूचनाओं का आदान प्रदान और विश्लेषण करना होता है। यह कोशिकाएं बाहरी दुनिया से सिग्नल ग्रहण करती हैं फिर उन्हें विद्युत-रासायनिक संकेतों की मदद से मस्तिष्क को भेजती हैं जिसकी मदद से हमारा दिमाग फैसले लेता है और जटिल समस्याओं को हल करता है।
कैसे जटिल फैसले लेते हैं यह कीड़े
साल्क वैज्ञानिकों के अनुसार 302 न्यूरॉन्स होने के बावजूद यह कीड़े कई कारकों को ध्यान में रखकर दो अलग-अलग क्रियाओं के बीच चयन कर सकते हैं। लेकिन यह कीड़े ऐसा कैसे कर पाते हैं यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है।
इस बारे में शोध से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता श्रीकांत चलसानी का कहना है कि निर्णय लेने के लिए कीड़े एक सरल प्रणाली का उपयोग करते हैं। इसके लिए उनमें अलग-अलग रणनीतियां होती हैं जिनमें से वो यही रणनीति को चुन सकते हैं। ऐसे वो तय कर सकते हैं कि किसी विशिष्ट परिस्थिति में कौन सा काम उनके लिए सही है। इससे पता चलता है कि यह जीव भी हम इंसानों की तरह ही जटिल फैसले ले सकते हैं। शोध में यह भी पता चला है कि जटिल निर्णय लेने की क्षमताओं को छोटे जैविक और कृत्रिम नेटवर्क में एन्कोड किया जा सकता है।
अपने इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कीड़ों में मोटिवेशन और संज्ञानात्मक (कॉग्निटिव) क्षमता का आंकलन करने का प्रयास किया है। यह शोध निमेटोड कीड़ों की दो प्रजातियों कैनोर्हाडाइटिस एलिगेंस और प्रिस्टियनचस पैसिफिकस पर किया गया था।
शोधकर्ताओं के मुताबिक बात चाहे शिकार की हो यह अपने खाने की रक्षा की शिकारी कीड़ा पी पैसिफिकस काटने पर निर्भर करता है। ऐसे में यह समझना महत्वपूर्ण था कि कीड़े के काटने का इरादा क्या था। पता चला है कि यह कीड़ा पी पैसिफिकस अपने शिकार और प्रतिद्वंद्वी को काटने के लिए दो अलग रणनीतियों के बीच चयन करता है। जिसमें पहली रणनीति में वो शिकार को मारने के लिए काटता है जबकि दूसरी रणनीति में वो अपने खाने की रक्षा के लिए दूसरे कीड़े सी. एलिगेंस को अपने भोजन से दूर करने के लिए मजबूर करता है।
वहां लार्वा सी. एलिगेंस के खिलाफ पी. पैसिफिकस शिकारी रणनीति को चुनता है क्योंकि लार्वा को मारना आसान है। इसके विपरीत वो वयस्क सी. एलिगेंस के खिलाफ वो उसे दूर भगाने का प्रयास करने की रणनीति को चुनता है, क्योंकि उसे मारना मुश्किल है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि ऐसा लगता है कि पी. पेसिफिकस ने अपने विकल्पों के कई संभावित परिणामों के नुकसान और फायदे का आंकलन कर लिया था जिस वजह से वो उनमें से सही विकल्प का चुनाव कर पाता है। लेकिन एक कृमि जिसमें केवल 302 न्यूरॉन्स हों उसके लिए ऐसा कर पाना अप्रत्याशित है।