विज्ञान

क्या अंतरिक्ष से गिरते रॉकेट के हिस्से इंसानों की ले सकते हैं जान

रिसर्च से पता चला है कि अगले एक दशक में अंतरिक्ष प्रक्षेपणों के दौरान छोड़े गए रॉकेट के हिस्से वापस धरती पर एक या उससे ज्यादा लोगों को अपना निशाना बना सकते हैं

Lalit Maurya

क्या आपने कभी सोचा है कि अंतरिक्ष में भेजे जा रहे रॉकेट के टुकड़े वापस धरती पर इंसानों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसा मुमकिन है, यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया (यूबीसी) द्वारा की गई एक नई रिसर्च से पता चला है कि अगले एक दशक में अंतरिक्ष प्रक्षेपणों के दौरान छोड़े गए रॉकेट के हिस्से वापस धरती पर एक या उससे ज्यादा लोगों को अपना निशाना बना सकते हैं।

अनुमान है कि यह टुकड़े उन्हें गंभीर रूप से घायल करने के साथ-साथ उनकी मृत्यु का भी कारण बन सकते हैं। शोध के मुताबिक इस बात की करीब 10 फीसदी सम्भावना है।

देखा जाए तो पिछले कई दशकों से रॉकेट के पुर्जे, उपग्रह और यहां तक ​​कि अंतरिक्ष स्टेशन भी अपना मिशन पूरा करने के बाद वापस धरती पर गिर रहे हैं। हालांकि आज तक अंतरिक्ष से गिरते इस मलबे से किसी की मृत्यु की पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि जानकारी मिली है कि 1997 में लॉटी विलियम्स नामक एक व्यक्ति पार्क में घूमते समय इस मलबे की चपेट में आ गए था।

जैसे-जैसे अंतरिक्ष युग परिपक्व होता जा रहा है। पहले की तुलना में कहीं ज्यादा रॉकेट और उपग्रह अंतरिक्ष में भेज जा रहे हैं, मानों दुनिया में अंतरिक्ष पर वर्चस्व की जंग सी छिड़ गई है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह प्रवृत्ति भविष्य में भी जारी रह सकती है।

ऐसे में जर्नल नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित इस नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एक या एक से अधिक लोगों के ऐसे चीजों से मारे जाने की संभावना की गणना की है। अपने इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने वर्तमान में लॉन्च होने वाले रॉकेटों की संख्या और अगले दशक में उनकी संभावित वृद्धि को भी ध्यान में रखा है।

इंडोनेशिया, मैक्सिको और नाइजीरिया पर मंडरा रहा है सबसे ज्यादा खतरा

शोधकर्ताओं के अनुसार इनमें से अधिकांश हिस्से महासागर में गिरते हैं, क्योंकि समुद्र हमारी पृथ्वी के बड़े भू भाग को कवर करते हैं। लेकिन उन्हें यह भी पता चला है कि जैसे-जैसे लॉन्च किए गए रॉकेटों की संख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे उनमें से एक या अधिक के आबादी वाले क्षेत्र गिरने की संभावना भी बढ़ रही है। पता चला है कि आने वाले दशक में किसी न किसी व्यक्ति के इन रॉकेट के गिरते टुकड़ों की चपेट में आने की सम्भावना करीब 10 फीसदी है। जो उसकी मृत्यु का भी कारण बन सकते हैं।

शोध से यह भी पता चला है कि किन क्षेत्रों में इन टुकड़ों की चपेट में आने का जोखिम सबसे ज्यादा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इसका सबसे ज्यादा जोखिम इंडोनेशिया, मैक्सिको और नाइजीरिया जैसे स्थानों में है। इसके पीछे रॉकेट के उड़ान पथ वजह है, जिनपर इन्हें ऊपर भेजा जाता है।

निष्कर्ष यह भी बताते हैं कि इन रॉकेटों को अंतरिक्ष में भेजने वाली सभी एजेंसियों के पास रॉकेट और उनके पुर्जों के नियंत्रित करने और उन्हें वापस लाने की क्षमता मौजूद है लेकिन वो उसकी भारी लागत के कारण ऐसा करने से बचती हैं।

ऐसे में यह जरुरी है कि सरकारें इस मामले में मिलकर काम करें और यह सुनिश्चित करें कि उपयोग के बाद रॉकेट के हिस्से धरती पर सुरक्षित तरीके से वापस लाए जा सके। देखा जाए तो इससे प्रक्षेपण की लागत बढ़ सकती है लेकिन यह कदम संभावित रूप से इंसानी जीवन को बचाने और अंतरिक्ष में बढ़ते कचरे को नियंत्रित करने में मददगार साबित हो सकता है।