विज्ञान

क्वांटम बैटरी का खाका तैयार, जिसे बार-बार नहीं करना होगा चार्ज

एनर्जी स्टोरेज के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है यह क्वांटम बैटरी, इसे एक बार चार्ज करने पर लम्बे समय तक प्रयोग किया जा सकता है जो कई क्वांटम उपकरणों जैसे क्वांटम कंप्यूटर में इस्तेमाल होगी

Lalit Maurya

अल्बर्टा और टोरंटो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी "क्वांटम बैटरी" के ब्लूप्रिंट तैयार करने में सफलता हासिल की है, जिसे चार्ज करने की जरुरत नहीं पड़ेगी । हालांकि अभी तक यह बैटरी बनकर तैयार नहीं हुई है, वैज्ञानिकों ने सिर्फ इसकी रुपरेखा ही तैयार की है, पर यदि यह बैटरी बन जाती है तो यह एनर्जी स्टोरेज के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है । यह अध्ययन जर्नल ऑफ फिजिकल केमिस्ट्री में छपा है।

इस अध्ययन के प्रमुख गैब्रियल हाना जो कि यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा में रसायनशास्त्री भी हैं, के अनुसार "एक क्वांटम बैटरी, एक छोटी नैनो-आकार की बैटरी होती है जिसका उपयोग बहुत ही छोटे, नैनो स्केल के उपकरणों में किया जाता है। उन्होंने बताया कि यह अनुसंधान सैद्धांतिक रूप से यह दर्शाता है कि इस क्वांटम बैटरी बनाना संभव है, जो कि कभी भी अपना चार्ज नहीं खोती है, इस कारण से इसे एक बार चार्ज करने पर लम्बे समय तक प्रयोग किया जा सकता है। डॉ हाना ने बताया कि "जिन बैटरियों को हम जानते हैं जैसे लिथियम आयन बैटरी, जो हमारे स्मार्टफोन को ऊर्जा प्रदान करती है वो वैद्युत-रासायनिक सिद्धांतों पर निर्भर करती हैं, जबकि क्वांटम बैटरी केवल क्वांटम फिजिक्स पर निर्भर करती हैं । उन्होंने बताया कि यह बैटरी कई क्वांटम उपकरणों के लिए बड़ी लाभदायक हो सकती है। जैसे कि यह क्वांटम कंप्यूटर को शक्ति प्रदान करने में सक्षम है।

कैसे काम करती है यह बैटरी

यह बैटरी "एक्साइटोनिक एनर्जी" की शक्ति का उपयोग करके काम करती है। गौरतलब है कि एक्साइटोनिक एनर्जी वह स्थिति होती है जिसमें एक इलेक्ट्रॉन प्रकाश के पर्याप्त रूप से चार्ज किए गए फोटॉन को अवशोषित करता है । वैज्ञानिकों ने बताया कि बैटरी चार्ज न खोये इसके लिए बैटरी को ऐसा होना चाहिए जो अपने अंदर संजोयी ऊर्जा को आसानी से बर्बाद न जाने दे ।  इस क्वांटम नेटवर्क को तैयार करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण डार्क स्टेट है  | 'डार्क स्टेट' के अंदर तैयार होने के कारण क्वांटम बैटरी यह काम बखूबी कर सकती है क्योंकि अंधेरे के कारण यह नेटवर्क अपने आस पास के वातावरण से ऊर्जा का आदान-प्रदान नहीं करता है | संक्षेप में यह कह सकते हैं की यह प्रणाली वातावरण के हरेक प्रभाव को सीमित कर देती है । चूंकि डार्क स्टेट प्रकाश के फोटॉन को अवशोषित या जारी नहीं होने देता । इससे ऊर्जा कि बर्बादी रुक जाती है | इस मॉडल का उपयोग करके वैज्ञानिको ने यह दिखाने का प्रयास किया है कि कैसे बिना ऊर्जा की बर्बादी के उसका भंडारण संभव है।

वैज्ञानिकों का यह मानना है कि हालांकि एनर्जी स्टोरेज के क्षेत्र में यह एक क्रन्तिकारी खोज है, पर भविष्य में इसपर अभी और अनुसंधान करने की भी जरुरत है । वास्तविकता में इस बात पर और अध्ययन करना होगा कि किस तरह, बेहतर तरीके से बैटरी के चार्ज और डिस्चार्ज को नियंत्रित किया जा सकता है । साथ ही किस तरह से अन्य उपकरणों में इस बैटरी का उपयोग किया जा सकता है, इस बात पर भी अभी और शोध करने की जरुरत है।