विज्ञान

एक युवा वैज्ञानिक ने महुआ से बनाया सैनिटाइजर

Avdhesh Mallick

कहते हैं आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है। ऐसा ही कुछ जशपुर में हुआ है। छत्तीसगढ़ में पिछड़े जिलों में शामिल जशपुर में इन दिनों महुआ से सैनिटाइजर बनाया जा रहा है।

युवा वैज्ञानिक समर्थ जैन ने महुआ को परिष्कृत कर हर्बल सेनेटाइजर बनाने का आईडिया पहले जिला प्रशासन के सामने रखा था। मौके की नज़ाकत को देखते हुए जिला प्रशासन ने इस पहल को गंभीरता से लिया और अंततः महुए को परिष्कृत कर सैनिटाईजर में बदलने का प्रयोग काफी सफल रहा और सैनिटाइजर के लिए तय मानदंड पर खरा उतरा। 

जिला प्रशासन के सहयोग से हर्बल सैनिटाइजर को झारखंड सीमा के बॉर्डर में ड्यूटी कर रहे सीआरपीएफ और पुलिस के जवानों एवं कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत ड्यूटी में तैनात पुलिस के जवानों को वितरित किया गया । इस अवसर पर जिला कलेक्टर निलेश कुमार क्षीरसागर पुलिस अधीक्षक शंकर लाल बघेल वन मंडल अधिकारी कृष्ण जाधव उप वन मंडल अधिकारी सुरेश गुप्ता युवा वैज्ञानिक समर्थ जैन एवं स्व सहायता समूह के सदस्य उपस्थित रहे ।

अपने अविष्कार के संबंध में युवा वैज्ञानिक समर्थ जैन का कहना है कि महुआ में अल्कोहल मिलता है बस इसे परिष्कृत करके सैनिटाइजर बनाना था और इस बात का भी ध्यान में रखना था कि तरीका काफी खर्चीला न हो। आखिरकर सैनिटाइजर बन गया। समर्थ बताते हैं कि महुआ से 80 प्रतिशत से भी अधिक अल्कोहल निकाला जा सकता है।

समर्थ के बात का समर्थन जगदलपुर के कृषि वैज्ञानिक तुषार पाणिग्रही भी करते हैं। तुषार कहते हैं कि महुआ से 85 प्रतिशत से भी अधिक अल्कोहल निकाला जा सकता है ऐसा उन्होंने अपने प्रयोग के दौरान पाया है।

फिलहाल सावधानी को ध्यान में रखते हुए वे अपने तकनीक का इस्तेमाल कर मात्र 75 प्रतिशत तक अल्कोहल निकाल रहे हैं। अपने तकनीक के संदर्भ में समर्थ का कहना है कि पेटेंट के लिए फाइल किया गया है अतः अधिक नहीं बता सकता।

वहीं एनएचएमएमआई अस्पताल, रायपुर के एमआईसीयू हेड प्रदीप शर्मा आम सेनिटाईजर में 60% या उससे अधिक अल्कोहल होता है और जबकि हम लोग सर्जरी में जो सैनिटाईजर इस्तेमाल करते हैं उसमें 80% तक अल्कोहल होता है और जैसा कि दावा किया गया है कि महुआ सैनिटाईजर में 60 प्रतिशत से अधिक अल्कोहल और यह हर्बल है तो सच में यह काफी खुशी की बात है।

समर्थ इसकी तकनीक सरकार को निःशुल्क दे रहे हैं । समर्थ का कहना था कि वन धन विकास योजना के अंतर्गत सिगनी स्व सहायता समूह के द्वारा यह हर्बल सैनिटाइजर तैयार किया गया है। जो किफायती भी है। इसमें किसी भी प्रकार के कृत्रिम या रासायनिक पदार्थ का इस्तेमाल नहीं किया गया है।

इसे बनाने में वैदिक वाटिका सहायता समूह भी योगदान दे रहा है। इसके लाइसेंस के लिए जिला प्रशासन ने आयुष मंत्रालय को आवेदन किया है। लाइसेंस मिलने के बाद इसकी बिक्री की जा सकती है। 

समर्थ ने कहा कि अगर सरकार बहुतायत में महुआ सैनिटाइजर बनाने की अनुमति देती है तो इसे तीन-चार राज्यों को भेजा जा सकता है।

वहीं, समाज सेविका राजिम कहती है कि सरकार अगर ऐसा करती है तो महुआ संकलन करने वाले गरीब आदिवासियों को काफी फायदा होगा, उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी।

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव कहते हैं कि महुआ से सैनिटाइजर से संबंधित प्रयोग हुआ है और बल्क में इसे बनाने पर सरकार विचार कर रही है कुछ औपचारिकताएं हैं जिसके पूरा होने का इंतजार है।