ऑस्ट्रेलिया स्थित क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक नोवल टारेंटयुला के विष से मिनी-प्रोटीन बनाया है, जो गंभीर दर्द से छुटकारा दिला सकता है और इससे बेहोशी या नशा भी नहीं होता। यह शोध जर्नल ऑफ़ बायोलॉजिकल केमिस्ट्री में प्रकाशित हुआ है।
क्वींसलैंड इंस्टीट्यूट फॉर मॉलिक्यूलर बायोसाइंस की डॉ. क्रिस्टीना श्रोएडर ने कहा कि हमारी दवा मॉर्फिन जैसी दवाओं का विकल्प बन सकती है। मौजूदा दवाओं में फेंटेनाइल और ऑक्सीकोडोन भी शामिल है, एक समय था जब हमें इनकी सख्त जरूरत थी।
जबकि फेंटेनाइल को दर्द निवारक के रूप में लेने से मतली, उल्टी, कब्ज, आलस्य, चक्कर आना और सिरदर्द हो सकता है। ऑक्सीकोडोन के उपयोग से शरीर को गंभीर नुकसान हो सकते है खासकर यह सांस लने में समस्या पैदा कर सकती है।
उन्होंने कहा, हालांकि पेन किलर दर्द से राहत देने में प्रभावी तो होते हैं, लेकिन इनके बहुत सारे दुष्प्रभाव भी हैं। हमें एक ऐसी दवा की जरुरत है जो दर्द के साथ-साथ साइड-इफेक्ट्स से भी छुटकारा दिलाए।
अध्ययन में पाया गया कि चीनी बर्ड स्पाइडर जिसे टारेंटयुला कहा जाता है, इसके विष में एक मिनी-प्रोटीन होता है जो हुवेंटोक्सिन-4 के रूप में जाना जाता है। यह शरीर में दर्द पहुंचाने वाले रिसेप्टर्स को बाध देता है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि हमने दवा बनाने में तीन-आयामी दृष्टिकोण का उपयोग किया है। जिसमें मिनी-प्रोटीन, इसके रिसेप्टर और मकड़ी के जहर के आस-पास की कोशिका झिल्ली (सेल मेम्ब्रेन) शामिल है। हमने इस मिनी-प्रोटीन को बदल दिया है जिसके परिणामस्वरूप यह दर्द को ठीक करने के लिए बहुत अधिक प्रभावी है।
यह दवा मिनी-प्रोटीन की सही मात्रा केवल दर्द पहुंचाने वाले रिसेप्टर और कोशिका की झिल्ली को इसके आस-पास फैला देती है, जिससे दर्द वाले रिसेप्टर बंध जाते हैं।
डॉ. श्रोएडर ने कहा कि मिनी-प्रोटीन का परीक्षण चूहे के मॉडल (माउस मॉडल) के तौर पर किया गया। परीक्षण में पाया गया कि यह प्रभावी ढ़ंग से काम करता है।
शोधकर्ता ने कहा कि हमारे परिणाम बिना साइड-इफेक्ट्स के दर्द के इलाज का बेहतर तरीका इजाद करते हैं। हमने दर्द से राहत के लिए लोगों को हानिकारक पेन किलर (ओपिओइड) पर निर्भरता को कम करने का प्रयास किया है।