उत्तरी भारत में एक 1.3 करोड़ (13 मिलियन) साल पुराना वानर जाति का जीवाश्म मिला है। यह आधुनिक लंगूर (गिब्बन) का सबसे पुराना पूर्वज है। यह खोज अमेरिका के हंटर कॉलेज के क्रिस्टोफर सी. गिल्बर्ट द्वारा की गई है। खोज आज के गिब्बन के पूर्वज अफ्रीका से एशिया कैसे पहुंचे थे, इस बारे में नए और महत्वपूर्ण प्रमाण के बारे में जानकारी प्रदान करती है।
यह जीवाश्म का निचला पूरा दाढ़, एक पूर्व अज्ञात जीनस और प्रजाति (कपि रामनगरेंसिस) से संबंधित है। यह भारत के रामनगर के प्रसिद्ध जीवाश्म स्थल, में लगभग एक सदी में खोजी गई पहली नई जीवाश्म वानर प्रजाति से संबंधित है।
गिल्बर्ट की खोज असाधारण थी। गिल्बर्ट और टीम के सदस्य क्रिस कैंपिसानो, बीरेन पटेल, राजीव पटनायक, और प्रेमजीत सिंह उस इलाके में एक छोटी पहाड़ी पर चढ़ रहे थे, जहां एक साल पहले जीवाश्म का एक जबड़ा मिला था। आराम करने वाली जगह पर गिल्बर्ट ने गंदगी के एक छोटे से ढेर में कुछ चमकता हुआ देखा, उन्होंने उसे खोद निकाला और महसूस किया कि उन्हें कुछ खास मिला है।
उन्होंने कहा हम तुरंत समझ गए थे कि यह एक अनमोल दांत है, लेकिन इस क्षेत्र में पहले पाए गए किसी के भी (प्राइमेट) के दांत की तरह नहीं दिखता था। दाढ़ के आकार के इस पर, हमारा पहला अनुमान एक गिब्बन के पूर्वज होने का था। यह देखते हुए कि वानर का इस तरह का जीवाश्म रिकॉर्ड लगभग नहीं है। इससे पहले कोई भी जीवाश्म रामनगर के आस-पास कहीं भी नहीं पाया गया था। इसलिए हमें पता करना था कि यह जीवाश्म किसका है।
2015 में खोजे गए इस जीवाश्म के बाद से ही, सालों तक यह सत्यापित करने के लिए अध्ययन, विश्लेषण और तुलना की गई कि दांत एक नई प्रजाति के हैं। साथ ही साथ इसका वानर वंश वृक्ष (फॅमिली ट्री) के साथ सही से निर्धारण करने के लिए तुलना की गई। दाढ़ की तस्वीरें खींची गईं और सीटी-स्कैन किया गया। जीवित और विलुप्त होने वाले दांतों के तुलनात्मक नमूनों की दंत रचना में महत्वपूर्ण समानताएं और अंतर को उजागर करने के लिए जांच की गई। खोज के निष्कर्ष प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी नामक पत्रिका में प्रकाशित किए गए है।
अब्जांद्रा ओर्टिज़ ने कहा, हमने जो पाया वह काफी अनोखा था। 1.3 करोड़ साल पुराने दांतों का गिब्बन के साथ काफी समानता थी। यह एक अनोखी खोज है। यह कम से कम 50 लाख वर्षों तक गिब्बन के सबसे पुराने पहचाने गए जीवाश्म रिकॉर्ड से भी पुराना है। यह उनके विकासवादी इतिहास के शुरुआती चरणों में एक बहुत ही आवश्यक झलक प्रदान करता है।
यह निर्धारित करने के अलावा कि नया वानर सबसे पहले पहचाने गए जीवाश्म गिब्बन का प्रतिनिधित्व करता है। जीवाश्म की आयु, लगभग 1.3 करोड़ वर्ष है, जो कि समकालीन प्रसिद्ध बड़े वानर जीवाश्मों के साथ मिलता है। यह प्रमाण प्रदान करता है कि बड़े वानरों का प्रवास, जिनमें ऑरंगुटन के पूर्वज भी शामिल हैं, और अफ्रीका से एशिया तक वानर एक ही समय के आसपास रहे होंगे।
क्रिस कैम्पिसानो ने कहा मुझे लगा कि बायोग्राफिक घटक वास्तव में दिलचस्प है। आज दक्षिण पूर्व एशिया में सुमात्रा और बोर्नियो में गिबन्स और ऑरंगुटन दोनों पाए जा सकते हैं। सबसे पुराने जीवाश्म वानर अफ्रीका से हैं। यह जानते हुए भी कि गिब्बन और ऑरंगुटान पूर्वज 1.3 करोड़ (13 मिलियन) साल पहले उत्तरी भारत में एक साथ मौजूद थे।
शोध दल ने रामनगर में अनुसंधान जारी रखने की योजना बनाई है। इसे हाल ही में जीवाश्मों की खोज जारी रखने के लिए, राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन से अनुदान प्राप्त हुआ है