जब नील आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा की धूल भरी सतह पर कदम रखा और कहा "यह मनुष्य के लिए एक छोटा कदम है, मानव जाति के लिए एक बड़ी छलांग है।" फोटो साभार: आईस्टॉक
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अंतर्राष्ट्रीय चंद्र दिवस: जानें चंद्रमा पर मानवता की पहली बड़ी छलांग का इतिहास

चन्द्रमा जो अपनी रहस्यमय चमक और कलाओं से हमारी रात को रोशन करता है तथा कवियों, कलाकारों और वैज्ञानिकों को समान रूप से प्रेरित करता है।

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जब नील आर्मस्ट्रांग ने चांद की खड्डों वाली सतह पर कदम रखा और कहा, "यह मनुष्य के लिए एक छोटा कदम है, मानवता के लिए एक बड़ी छलांग है," तो धरती पर हर देश ने राहत की सांस ली।

अंतर्राष्ट्रीय चंद्र दिवस न केवल 20 जुलाई, 1969 को ऐतिहासिक चंद्र लैंडिंग का जश्न मनाता है, बल्कि यह दिन हमें अंतरिक्ष कार्यक्रम को सचमुच जमीन पर उतारने के लिए किए गए कठिन परिश्रम की भी याद दिलाता है। चंद्र दिवस पर, हमें अंतरिक्ष दौड़ के उन अनोखे और गहन क्षणों की याद दिलाता है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) द्वारा नो दिसंबर 2021 को संकल्प ए/आरईएस /76/76 में अंतर्राष्ट्रीय चंद्र दिवस घोषित किया, जो बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग पर समिति की सिफारिश पर आधारित है। यह स्मारक दिवस हर साल 20 जुलाई को मनाया जाता है।

अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और एडविन 'बज़' एल्ड्रिन 20 जुलाई 1969 को चंद्रमा पर उतरने वाले इतिहास के पहले इंसान बने। भव्य अपोलो 11 मिशन, 1960 के दशक के अंत तक चंद्रमा पर मनुष्य को भेजने के राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी द्वारा राष्ट्रीय लक्ष्य की घोषणा के आठ साल बाद हुआ था।

चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने के मिशन का विचार तब आया जब राष्ट्रपति कैनेडी ने 1961 में कांग्रेस के एक विशेष संयुक्त सत्र में अपील की, जिसमें उन्होंने कहा कि "मेरा मानना है कि इस देश को इस दशक के समाप्त होने से पहले, चंद्रमा पर मनुष्य को उतारने और उसे सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।"

पहला मानवरहित अपोलो मिशन नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) द्वारा शुरू किया गया था, जो उनके इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा पांच साल के प्रयास और कड़ी मेहनत के बाद शुरू किया गया था। पहला मिशन लॉन्च स्पेसक्राफ्ट वाहन की संरचनात्मक लचीलेपन के लिए एक परीक्षण चरण के रूप में कार्य करता था।

16 जुलाई, 1969 को सुबह 9:32 बजे पूरी दुनिया ने अपोलो 11 को कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरते देखा, जिसमें तीन अंतरिक्ष यात्री सवार थे। नील आर्मस्ट्रांग इस मिशन के कमांडर थे। अंतरिक्ष यान तीन दिन बाद 19 जुलाई को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया।

अगले दिन चंद्र मॉड्यूल, ईगल, मुख्य कमांड मॉड्यूल से अलग हो गया, जिसे आर्मस्ट्रांग और एल्ड्रिन ने संचालित किया था। जब ईगल ने चंद्रमा की सतह को छुआ, तो आर्मस्ट्रांग ने ह्यूस्टन, टेक्सास में मिशन कंट्रोल को अपना ऐतिहासिक संदेश रेडियो पर भेजा: "ईगल उतर चुका है।"

रात 10:39 बजे, आर्मस्ट्रांग चंद्र मॉड्यूल से बाहर निकले और सीढ़ी से नीचे उतरे। मॉड्यूल से जुड़े एक टेलीविजन कैमरे द्वारा उनकी प्रगति रिकॉर्ड की जा रही थी, जो पृथ्वी पर वापस सिग्नल भेज रहा था, जहां दुनिया सांस रोककर देख रही थी। रात 10:56 बजे, आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा की धूल भरी सतह पर कदम रखा और कहा "यह मनुष्य के लिए एक छोटा कदम है, मानव जाति के लिए एक बड़ी छलांग है।"

इस दिन का लक्ष्य अंतरिक्ष अन्वेषण, चंद्रमा के बारे जानकारी और देशों की उपलब्धियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। इस मिशन ने अंतरिक्ष में नए अन्वेषणों और संभावनाओं के लिए गुंजाइश भी खोली। यह दिन लोगों को चंद्रमा और अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रमों के बारे में जानकारी बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।