विज्ञान में महिलाओं और लड़कियों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस 11 फरवरी को मनाया जाता है, ताकि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में महिलाओं और लड़कियों की महत्वपूर्ण उपलब्धियों और योगदान को मान्यता दी जा सके।
यह दिन दुनिया भर में लैंगिक समानता और महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण के महत्व को दर्शाता है, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की दुनिया में उनके सफल नेतृत्व का जश्न मनाता है। विभिन्न प्रयासों के बावजूद, दुनिया भर में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अभी भी काफी लैंगिक असंतुलन है।
साल 2015 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 11 फरवरी को विज्ञान में महिलाओं और लड़कियों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया। यह दिन एसटीईएम क्षेत्रों में लैंगिक समानता के महत्व के बारे में याद दिलाता है और इस साल हम इसकी 10वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।
महिलाओं और लड़कियों को वैज्ञानिक क्षेत्रों में शामिल करने के लिए कई पहलें की गई हैं, लेकिन उनकी भागीदारी में अभी भी भारी कमी है। 2030 के लिए संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य भी विज्ञान में लैंगिक समानता को अपने एजेंडे के एक अहम हिस्से के रूप में सामने लाते हैं।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, लैंगिक समानता और महिलाओं और लड़कियों का सशक्तिकरण न केवल दुनिया के आर्थिक विकास में अहम योगदान देगा, बल्कि सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के सभी लक्ष्यों और उद्देश्यों की प्रगति में भी अहम भूमिका निभाएगा।
आज भी महिलाओं और लड़कियों को लैंगिक असमानता का सामना करना पड़ता है, संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, 2022 के एक अध्ययन में पाया गया कि दो में से एक महिला वैज्ञानिक ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का अनुभव किया है। विज्ञान कार्यस्थलों की संरचना और संस्कृति में बदलाव की तत्काल जरूरत है।
जैसे-जैसे महिलाएं अपने वैज्ञानिक करियर में आगे बढ़ रही हैं, लैंगिक अंतर बढ़ता जा रहा है। शोध प्रबंधन संरचनाओं में, वरिष्ठ पदों पर महिलाओं का अनुपात अनुपातहीन रूप से कम बना हुआ है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में, पांच में से केवल एक पेशेवर यानी 22 फीसदी महिलाएं हैं।
चौथी औद्योगिक क्रांति को आगे बढ़ाने वाले अधिकांश तकनीकी क्षेत्रों में कौशल के बावजूद, अभी भी इंजीनियरिंग स्नातकों में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 28 फीसदी और कंप्यूटर विज्ञान और सूचना विज्ञान में स्नातकों में 40 फीसदी है।
हालांकि भारत के समर्पित प्रयासों- नीतियों, कार्यक्रमों और संस्थागत समर्थन के माध्यम से उच्च शिक्षा, शोध और नवाचार में महिला भागीदारी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इतिहास को देखें तो पता चलता है कि विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने वाली महिलाओं ने सामाजिक मानदंडों को चुनौती दी है, रूढ़िवादिता को खत्म किया और मानव ज्ञान में अभूतपूर्व योगदान दिया है।