एसआईजीआई प्रक्रिया द्वारा विकसित सामग्री अधिक मजबूत, अधिक टिकाऊ और इस पर जंग नहीं लग सकता है। इस नए मैग्नीशियम मिश्र धातु कास्टिंग के निर्माण के लिए एक नया मानक स्थापित करती है। फोटो साभार: आईस्टॉक
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

आईआईटी, मद्रास के शोधकर्ताओं ने मैग्नीशियम बनाने का खोजा नया तरीका

यह खोज ऑटोमोटिव से लेकर एयरोस्पेस क्षेत्रों तक उत्पादों में मैग्नीशियम मिश्र धातुओं का उपयोग करने वाले उद्योगों के लिए एक नया अवसर खोलता है

Dayanidhi

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के शोधकर्ताओं ने मैग्नीशियम के निर्माण के लिए एक नई और अनोखे तरीके की खोज की है। यह प्रक्रिया ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस और कई अन्य क्षेत्रों के लिए अहम है। इसका उपयोग मजबूत, हल्के और नष्ट न होने वाले मैग्नीशियम कास्टिंग के निर्माण को सक्षम बनाती है।

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि 'स्ट्रेन इंटीग्रेटेड गैस इन्फ्यूजन (एसआईजीआई) कही जाने वाली यह विधि मैग्नीशियम मिश्र धातु कास्टिंग की भीतरी संरचना में सुधार करके, इससे मिलते-जुलते मिश्र धातु के साथ संरचना बनाने, मजबूती को बढ़ाकर, उत्पादन समय और निर्माण लागत दोनों को कम करके इसकी गुणवत्ता में सुधार करती है।

विज्ञप्ति के मुताबिक, अंतर्राष्ट्रीय मैग्नीशियम विज्ञान और प्रौद्योगिकी पुरस्कार समिति से ‘वर्ष 2024 की अनोखे प्रक्रिया के लिए अंतर्राष्ट्रीय मैग्नीशियम पुरस्कार’ मिला है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय मैग्नीशियम सोसायटी (आईएमएस) और जर्नल ऑफ मैग्नीशियम एंड अलॉयज (जमा) द्वारा संयुक्त रूप से प्रदान किया गया है। आईआईटी मद्रास के शोधकर्ता यह पुरस्कार जीतने वाली भारत की पहली टीम हैं।

विज्ञप्ति के अनुसार, इस प्रक्रिया को मैग्नीशियम मिश्र धातुओं के कई ग्रेडों के लिए सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया गया है, जिससे उनकी ताकत, लचीलापन और संक्षारण प्रतिरोध में सुधार के अनोखे परिणाम सामने आए हैं। पारंपरिक कास्टिंग प्रक्रियाओं की तुलना में, एसआईजीआई प्रक्रिया द्वारा विकसित मैग्नीशियम ए जेड91 कास्टिंग ने ताकत में दो गुना सुधार, लचीलेपन में तीन गुना सुधार और नष्ट न होने में अहम सुधार दिखाया।

शोधकर्ताओं ने अब इस तकनीक को अन्य हल्के पदार्थों, जैसे मैग्नीशियम कंपोजिट और एल्युमीनियम-आधारित मिश्र धातु और कंपोजिट में अपनाने पर काम शुरू किया है, ताकि इसे औद्योगिक उपयोग के लायक बनाया जा सके। यह नए कास्टिंग प्रक्रिया की दक्षता के साथ कंपोजिट बनाने की भी बहुत संभावना है।

एसआईजीआई प्रक्रिया द्वारा विकसित सामग्री अधिक मजबूत, अधिक टिकाऊ और इस पर जंग नहीं लग सकता है। इस नए मैग्नीशियम मिश्र धातु कास्टिंग के निर्माण के लिए एक नया मानक स्थापित करती है।

प्रेस विज्ञप्ति में आईआईटी मद्रास की रिसर्च स्कॉलर सुश्री विद्या तिवारी के हवाले से कहा गया है कि "कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में दुनिया भर में हो रहे बदलाव ने ऑटोमोटिव और एयरोस्पेस जैसे उद्योगों को ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए हल्के पदार्थों की खोज करने के लिए प्रेरित किया है।

मैग्नीशियम मिश्र धातु, जो एल्यूमीनियम की तुलना में दो-तिहाई हल्की और स्टील के वजन का एक-चौथाई है, एक अहम समाधान प्रस्तुत करती है। मैग्नीशियम-कास्ट, मैग्नीशियम मिश्र धातुओं के सभी प्रयोगों का 80 फीसदी हिस्सा हैं, जिससे उनका विकास आधुनिक उद्योगों के लिए और भी अहम हो जाता है।

स्ट्रेन इंटीग्रेटेड गैस इन्फ्यूजन (एसआईजीआई) प्रक्रिया के अहम फायदों में, बेहतर ताकत, लचीलापन और संक्षारण प्रतिरोध के साथ हल्के मैग्नीशियम कास्टिंग का उत्पादन होता है। उत्पादन प्रक्रिया तेजी से होती है, जिससे समय और ऊर्जा दोनों की बचत होती है। अतिरिक्त उपचार की जरूरत नहीं होने से निर्माण लागत को कम हो जाती है।

कम ईंधन की खपत करने वाले हल्के वाहनों को सक्षम करके सतत विकास की प्रक्रिया को आगे बढ़ता है, जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होता है। यह ऑटोमोटिव से लेकर एयरोस्पेस क्षेत्रों तक, उत्पादों में मैग्नीशियम मिश्र धातुओं का उपयोग करने के लिए उद्योगों के लिए अवसर खोलता है।

विज्ञप्ति के मुताबिक, आईआईटी मद्रास में इनोवेटिव मैटेरियल्स प्रोसेसिंग एंड कैरेक्टराइजेशन रिसर्च ग्रुप (आईएमपीसीआरजी) भी लिक्विड स्टेट, सॉलिड स्टेट, सेमी-सॉलिड स्टेट, माइक्रोवेव, थर्मो-मैकेनिकल, फॉर्मिंग, माइक्रो-फॉर्मिंग, सुपरप्लास्टिक फॉर्मिंग और घर्षण आधारित तकनीकों के माध्यम से विभिन्न नए टिकाऊ निर्माण मार्गों को विकसित करने पर आधारित है, ताकि विभिन्न उत्पाद मैग्नीशियम और एल्यूमीनियम आधारित कंपोजिट और मिश्र धातु जैसे जटिल सामग्री का निर्माण किया जा सके।