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दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों में सीवेज से निपटने के लिए क्या कुछ की गई हैं तैयारियां, रिपोर्ट में आया सामने

दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों और गांवों को सीवर सिस्टम से जोड़ने के लिए 'सीवरेज मास्टर प्लान 2031' बनाया गया है

Susan Chacko, Lalit Maurya

दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने तीन सितंबर, 2024 को दायर एक रिपोर्ट में कहा है कि वह दिल्ली में सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) और विकेन्द्रीकृत सीवेज उपचार संयंत्र (डीएसटीपी) की स्थापना और रखरखाव के लिए जिम्मेवार है। वर्तमान में, 40 में से 38 एसटीपी बनाए जा चुके हैं और आवश्यक मानकों के अनुसार काम कर रहे हैं।

डीजेबी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी है कि घरेलू सीवेज में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) करीब 250 मिलीग्राम प्रति लीटर है। साथ ही उसमें कुल औसत निलंबित ठोस (टीएसएस) की मात्रा 250 से 300 मिलीग्राम प्रति लीटर है।

दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) का कहना है कि झुग्गी झोपड़ी समूहों (जेजेसी) से जुड़े मुद्दों के प्रबंधन की जिम्मेवारी मुख्य रूप से दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) की है। दिल्ली जल बोर्ड ने झुग्गी-झोपड़ियों (जेजेसी) के सीवेज को ट्रैप करने का काम शुरू कर दिया है।

रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 639 झुग्गी-झोपड़ी क्लस्टर (जेजेसी) हैं। अब तक इनमें से 581 क्लस्टर से निकलने वाले सीवेज को दिल्ली जल बोर्ड की सीवर प्रणाली के जरिए ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा जा चुका है। इसका मतलब है कि डीजेबी द्वारा करीब 90 फीसदी जेजेसी को सीवरेज नेटवर्क से जोड़ा जा चुका है।

1,799 अनधिकृत कॉलोनियों में बिछाई जाएंगी सीवर लाइनें

गौरतलब है कि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों और गांवों में सीवर सेवाएं प्रदान करने के लिए 'सीवरेज मास्टर प्लान 2031' बनाया है। इस योजना के तहत 1,799 अनधिकृत कॉलोनियों और 200 से अधिक गांवों में 9,800 किलोमीटर से अधिक सीवर लाइनें बिछाना शामिल है।

इसके साथ ही इस मास्टर प्लान में सीवेज पंपिंग स्टेशन, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और अन्य संबंधित कार्यों की भी शामिल किया गया है। इस प्लान के मुताबिक नई दिल्ली के पूरे इलाके को 12 सीवरेज जोन में बांटा गया है।

दिल्ली जल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली के घनी आबादी वाले इलाकों (उत्तर, उत्तर-पश्चिम, पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण और बाहरी दक्षिण दिल्ली के बाहरी हरित क्षेत्रों को छोड़कर) में पैदा हो रहे सीवेज के उपचार के लिए 40 एसटीपी बनाए गए हैं, जिनकी कुल क्षमता 712 एमजीडी है।

वहीं उत्तर, उत्तर-पश्चिम, पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण और बाहरी दक्षिण दिल्ली के बाहरी हरित क्षेत्रों के लिए सीवरेज नेटवर्क बिछाने के अलावा 56 नए एसटीपी भी बनाने का प्रस्ताव है, जिन्हें विकेन्द्रीकृत सीवेज उपचार संयंत्र कहा जाता है। यह वो सीवेज उपचार संयंत्र होते हैं जो जिस क्षेत्र में सीवेज पैदा हो रहा है उसके पास ही इसका ट्रीटमेंट करते हैं।