स्वच्छता

ये हैं दुनिया के कचरे से मुक्त शहर, भारत भी ले सकता है सबक

फिलिपींस के चार शहर कचरे से पूरी तरह छुटकारा पा चुके हैं। यह हुआ है शून्य अपशिष्ट मॉडल अपनाकर। यह मॉडल पहले कचरे को कम करता है, फिर अंतत: पूरी तरह से खत्म कर देता है। भारत भी फिलिपींस से सबक लेकर इस मॉडल को अपना सकता है। क्या है यह मॉडल और फिलिपींस के चार शहर कचरे से कैसे मुक्त हुए, बता रही हैं सोनिया देवी हेनाम और स्वाति सिंह सामब्याल

Sonia Henam, Swati Singh Sambyal

टैगुइग शहर

कुछ साल पहले फिलिपींस के टैगुइग को दूसरे शहरों के कचरा डंपिंग साइट के तौर पर जाना जाता था। 2009 में शहर के अधिकारी कचरे के प्रबंधन को लेकर चुनौतियों का सामना कर रहे थे। उन्हें अंदाजा नहीं था कि सीमित संसाधनों में कचरा प्रबंधन का काम कैसे शुरू किया जाए।

आज इस शहर के 95 फीसदी घरों में ही कचरे को अलग-अलग कर दिया जाता है। उसके बाद कर्मचारी उसे उठाकर ले जाते हैं। अब यह साफ-सुथरा और कचरा मुक्त जगह है। इसे 2015 में मनीला में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए (एसडब्ल्यूएम) सबसे स्वच्छ बरांगाय (समुदाय या गांव) और सर्वश्रेष्ठ समुदाय के तौर पर मान्यता दी गई। तो आखिर यह बदलाव आया कैसे?

ठोस अपशिष्ट की बढ़ती समस्या के समाधान के लिए शहर के अधिकारियों ने एक गैर-लाभकारी संस्था मदर अर्थ फाउंडेशन (एमईएफ) से सहायता मांगी है। एमईएफ की अध्यक्ष सोनिया मेंडोजा कहती हैं, “हमने शून्य अपशिष्ट कार्यक्रम को सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं समृद्धि का मुद्दा बना दिया है।” सबसे पहले 2011 में अधिकारियों ने क्यूसी स्थित बागुम्बुहाय, रिजल स्थित टेरेसा और पलावन की प्यूर्टो प्रिंसेसा जैसी उन बरांगाय पर अध्ययन यात्राएं की, जहां रिपब्लिक एक्ट 9003 (ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए फिलिपींस में बने कानून) पर सबसे अच्छे तरीके से अमल किया जा रहा है, ताकि वहां कचरे से निपटने के लिए अपनाए गए तौर-तरीकों को सीखकर फोर्ट बोनिफेसिओ बरांगाय में भी लागू किया जा सके। इसके बाद उन सभी आठ क्षेत्रों का दौरा किया गया, जहां कचरा जमा होता है। फिर स्वमूल्यांकन व बेसलाइन सर्वेक्षण के साथ काम शुरू किया।

एमईएफ ने बरांगाय के अधिकारियों और प्रोजेक्ट से जुड़े स्टाफ को “वेस्ट एनालिसिस एंड कैरेक्टराइजेशन स्टडी” (डब्ल्यूएसीएस) और “ईकोलॉजिकल सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट” (ईएसडब्ल्यूएम) के बारे में प्रशिक्षित किया। इसके बाद गहन सूचना शिक्षा संचार अभियान की शुरुआत की गई। आखिर में “मैटेरियल्स रिकवरी फैसिलिटी” (एमआरएफ) की स्थापना की गई।

एमईएफ ने फोर्ट बोनिफेसिओ बरांगाय में 2012 में औपचारिक तौर पर ईएसडब्ल्यूएम का शुभारंभ किया। इसके बाद बरांगाय ने ईएसडब्ल्यूएम पर बने राष्ट्रीय कानून के अनुपालन में अध्यादेश पारित किया। इसके जरिए कचरे को ठीक से अलग करने, इकट्ठा करने, रिसाइकल करने और उसके निस्तारण को सुनिश्चित करने के साथ ही वहां के लिए एमआरएफ साइट की भी व्यवस्था की गई। डब्ल्यूएसीएस के निष्कर्षों के अनुसार, कुल कचरे का 40 फीसदी हिस्सा जैविक होता है, जिससे खाद बनाई जा सकती है और कचरा भराव क्षेत्र (लैंडफिल) से हटाकर उसे उर्वरक में तब्दील किया जा सकता है। इस तरह अगर कचरे को अलग-अलग कर दिया जाए तो उसका भी मूल्य दिखने लगता है। मेंडोजा ने बताया, “शुरुआत में बरांगाय के अधिकारियों ने कचरा बीनने वाले 15 व्यक्तियों को आधिकारिक तौर पर अपशिष्ट एकत्रित करने के लिए प्रशिक्षित किया। वे अब करीब 186 डॉलर तक की कमाई कर रहे हैं, जबकि पहले ये महज 70 डॉलर तक ही कमा पाते थे। इससे बरांगाय में रोज कचरा एकत्रित करने वाले ट्रकों की संख्या भी घट गई है। पहले ट्रक रोज औसतन 4 ट्रिप लगाते थे, अब यह संख्या घटकर एक रह गई है। इससे शहर को रोज करीब 195 डॉलर की बचत हो रही है।” भराव क्षेत्र से कचरे का डायवर्जन (भराव क्षेत्र में जाने से रोके गया कचरा) परियोजना की सफलता और रिसाइकल उत्पादों की बिक्री से होने वाली आय संकेतक के तौर पर काम करता है। टैगुइग शहर के बजट के लिए इस प्रोजेक्ट के परिणाम काफी उपयोगी साबित हुए।



सैन फर्नांडो सिटी, पाम्पांगा

सैन फर्नांडो में 3,06,659 से अधिक लोगों का घर है और 2018 में यहां वेस्ट डायवर्जन की दर 80.69 प्रतिशत थी। अब शहर के सभी 35 बरांगाय इसके दायरे में हैं। यहां कचरे के निस्तारण को लेकर बनाए गए रिपब्लिक एक्ट 9003 का 93 फीसदी तक अनुपालन हो रहा है। शहर में 85 एमआरएफ का संचालन हो रहा है, जो यहां के बरांगाय, प्राइवेट सबडिविजन, स्कूलों, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं, सार्वजनिक बाजारों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में मौजूद हैं। क्रिएशन ऑफ द सिटी एनवायरमेंट एंड नेचुरल रिर्सोसेज ऑफिस (सीईएनआरओ) की तरफ से इन एमआरएफ सुविधाओं की नियमित तौर पर निगरानी की जाती है। सीईएनआरओ एक अलग विभाग है, जिसकी प्राथमिक जिम्मेदारी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन कार्यक्रमों को लागू करना है।

सैन फर्नांडो को शुरुआत में रिपब्लिक एक्ट 9003 को लागू करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, क्योंकि बरांगयाओं और अन्य निकायों के बीच इस एक्ट का पालन बहुत कम हो पा रहा था। मेंडोजा कहती हैं, “एमईएफ ने सबसे पहले जो रणनीतियां अपनाईं, उनमें से एक सैन फर्नांडो के निवासियों के लिए सार्वजनिक सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) का जोरदार अभियान शुरू करना रहा।” शहर ने अनूठी पहल करते हुए घर पर ही कचरे को अलग-अलग छांटने और खाद बनाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए एक लाइव टीवी शो “विन-विन फॉर ऑल” शुरू किया। इस टीवी शो में उन घरों को नकद पुरस्कार दिया जाता है, जो अपने कचरे को ठीक तरह से अलग करते हैं। शो के होस्ट हर एपिसोड में उस सप्ताह के लिए चुने गए बरांगाय में अचानक किसी घर में जाकर यह पता लगाते हैं कि वहां कूड़े को सही तरीके से अलग किया जा रहा है या नहीं। बचे कचरे की बढ़ती मात्रा से निपटने के लिए सैन फर्नांडो ने 2014 में एक प्लास्टिक-मुक्त अध्यादेश (अध्यादेश संख्या 2014-008) पारित किया। व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को ध्यान में रखकर बनाए गए इस अध्यादेश का उद्देश्य धीरे-धीरे खाने-पीने के सामान की पैकिंग में प्लास्टिक बैग और स्टायरोफोम के इस्तेमाल को खत्म करना है।

इस अध्यादेश में आर्थिक दंड की व्यवस्था भी है। कानून का उल्लंघन करने पर व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भुगतना करना पड़ता है। 13 जून, 2015 तक सैन फर्नांडो ने प्लास्टिक की थैलियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था, जिसका आज 85 प्रतिशत तक पालन हो रहा है। अपशिष्ट कर्मचारियों ने भी खुद को संगठित करते हुए शहर के स्तर पर एक सैन फर्नांडो वेस्ट वर्कर्स असोसिएशन का गठन कर लिया है, जिसके अध्यक्ष सीएसडब्ल्यूएमबी में बैठते हैं। मेंडोजा बताती हैं, “बरांगाय की ओर से करीब 160 अपशिष्ट कर्मचारी कचरे इकट्ठा करने, अलग करने, सड़कों की सफाई और एमआरएफ प्रबंधक के तौर पर काम कर रहे हैं और औसतन 94 अमेरिकी डॉलर का वेतन हर महीने पा रहे हैं। इसके साथ ही उन्हें घरों से इकट्ठा किए गए रिसाइकल करने के लायक कचरे की बिक्री से भी करीब 92 अमेरिकी डॉलर की औसतन आय भी हो रही है।”

टैक्लोबन सिटी

साल 2015 में फिलिपींस के टैक्लोबन शहर की आबादी 2,42,089 थी और यहां रोज 175 टन कचरा निकलता था। आज शहर के 64 बरांगाय और समुदायों से घरेलू कचरे को इकट्ठा करने के लिए एक विकेंद्रीकृत संग्रह प्रणाली है। यहां अपशिष्ट के डायवर्जन की दर 2017 के मुकाबले 2018 के अंत तक 10 फीसदी बढ़कर 55 फीसदी तक पहुंच गई है। इसी तरह इस देश के अन्य शहरों में भी एमईएफ ने सरकार को यह कार्यक्रम शुरू करने में मदद की है। अक्टूबर 2016 की शुरुआत में शहर के अधिकारियों और एमईएफ ने ईकोलॉजिकल सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कार्यक्रम का पहला चरण शुरू किया।

इसके बाद 2017 में एकीकृत पारिस्थितिक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर अध्यादेश लाया गया। यह अध्यादेश निवासियों को स्रोत पर ही सूखे और गीले कचरे के अलग अलग करने का निर्देश देता है और कचरे के संग्रहण व एमआरएफ के लिए बरांगाय-विशिष्ट प्रणाली स्थापित करता है। यह बरांगायों को संग्रहण और एमआरएफ के संचालन में आने वाली लागत को वसूल करने के उपभोक्ता शुल्क लगाने के लिए भी अधिकृत करता है। इस प्रोजेक्ट के तहत शहर की सरकार ने बरांगाय को 52 पेडी कैब (साइड कार वाली साइकल) और प्लास्टिक ड्रमों के साथ ही 288 अमेरिकी डॉलर भी प्रदान किए हैं, ताकि उन्हें एमआरएफ की स्थापना करने में मदद मिल सके। समितियां निगरानी करती रहती हैं कि घरों में कचरे को ठीक से छांटा जा रहा है या फिर नहीं। इसी बीच, नई प्रशिक्षित पर्यावरण पुलिस ने ईएसडब्ल्यूएम अध्यादेश भी लागू कर दिया। बरांगाय तनोड (ग्रामीण अधिकारी) ने अपने क्षेत्राधिकार में सतर्कता के साथ गश्त की। उनके पास ऐसे लोगों का चालान काटने का अधिकार भी है, जो अपने कचरे को छांटने से इनकार कर देते हैं। ऐसे लोगों पर पहले अपराध के लिए छह अमेरिकी डॉलर के चालान या एक दिन की सामुदायिक सेवा से लेकर तीसरी बार अपराध के लिए 58 अमेरिकी डॉलर तक के चालान और तीन दिन तक की सामुदायिक सेवा का प्रावधान किया गया।

विकेंद्रीकृत प्रणाली ने शहर के वार्षिक बजट में 4,13,000 अमेरिकी डॉलर की बचत में मदद की और साथ ही भराव क्षेत्र में 31 प्रतिशत तक कचरा भी कम हुआ। 2018 तक घरेलू कचरे के लिए विकेंद्रीकृत संग्रह प्रणाली 64 बरांगाय तक फैल गई थी। 64 बरांगाय में कचरे की डायवर्जन दर 2017 के मुकाबले 10 फीसदी तक बढ़कर 2018 में 55 फीसदी पर पहुंच गई। अब तक यह शहर 64 बरांगायों में विकेन्द्रीकृत संग्रहण व्यवस्था को लागू करके या प्रतिदिन 1.1 टन सामग्री बरामद कर सालाना 384 टन जैविक और 23 टन रिसाइकल योग्य कचरा जमा किया गया है।

मालाबोन सिटी

मालाबोन मनीला महानगर का एक उच्च शहरी क्षेत्र है। 19.76 वर्ग किमी भूमि पर बसे फिलिपींस के इस शहर में चार लाख लोग रहते हैं और यहां प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 0.56 किलो कचरा निकलता है। बरसात के दौरान शहर को भयंकर बाढ़ का सामना भी करना पड़ता है। यहां तक कि अगर बेमौसम अचानक भारी बारिश हो जाए, तब भी ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं। ये इस शहर को उसके रोजमर्रा के कचरे की समस्या का निस्तारण करने के बड़े कार्य को पूरा करने की चुनौती देते हैं। पोट्रेरो यहां का सबसे बड़ा और सबसे अधिक जनसंख्या वाला बरांगाय है, जहां करीब 13,500 परिवारों के 54,000 लोग रहते हैं। इन्होंने चुनौती को स्वीकार किया और सफलता के साथ उसे पूरा भी किया। शहर के निवासियों को कचरे की चार श्रेणियों- रसोई, उद्यान, रिसाइकल योग्य और बाकी बचे अपशिष्ट की पहचान कराई गई। कचरा उठाने वालों को निर्देश दिया गया कि अगर कूड़ा ठीक से अलग नहीं किया गया है, तो उसे उठाने से परहेज करें। यह सुनिश्चित करने के लिए कि नागरिकों को उनकी जिम्मेदारियां लगातार याद दिलाई जा रही हैं, कचरा उठाने वालों के साथ निगरानी अधिकारियों ने उनके घरों का दौरा किया और उनकी प्रगति के बारे में पड़ताल की। आज 90 फीसदी पोट्रेरो निवासी स्रोत स्थल पर ही कचरे को अलग करने लगे हैं।

एमईएफ के अध्ययन के अनुसार, पोट्रेरो से इकट्ठा किया गया 60 फीसदी कचरा बायोडिग्रेडेबल है, सिर्फ 15 फीसदी कचरे में रिसाइकल करने के योग्य है और 15 फीसदी अपशिष्ट है। करीब 20 फीसदी लोग रसोई से निकले कचरे से खाद बना लेते हैं या फिर पशुओं को दे देते हैं। कचरे का 0.46 फीसदी हिस्सा खतरनाक होता है, जबकि वजन के मुताबिक कुल उत्पन्न कचरे का 10 फीसदी से अधिक हिस्सा विशेष कचरा (जैसे डायपर और नैपकीन) होता है। अगर शहर में जीरो वेस्ट मॉडल को ठीक से अपनाया जाए तो लगभग 75 फीसदी कचरे को डायवर्ट किया जा सकता है। कानून को और बेहतर तरीके से लागू करने व भराव क्षेत्रों व डंपिंग साइटों को बढ़ने से रोकने के लिए पोट्रेरो बरांगाय ने खुद की एमआरएफ शुरू की, जहां बायोडिग्रेडेबल कचरे से खाद बनाई जाती है, अपशिष्ट व रिसाइकल करने लायक कचरे को तब तक रखा जाता है, जब तक कि उन्हें कबाड़ की दुकानों को न बेच दिया जाए या फिर ठीक से निस्तारण के लिए शहर उसे उठा न ले जाए। अब कचरे को अलग-अलग करके रखना घरेलू कामों का हिस्सा बन चुका है।

2016 में एमईएफ के साथ शून्य अपशिष्ट कार्यक्रम शुरू करने के ठीक एक साल बाद पोट्रेरो बरांगाय को मनीला महानगर डेवलपमेंट अथॉरिटी की ओर से सर्वश्रेष्ठ ठोस कचरा प्रबंधन कार्यक्रम के लिए प्रशस्ति पत्र मिला। स्थानीय अध्यादेशों और नीतियों के माध्यम से कार्यक्रम को संस्थागत रूप देकर, पोट्रेरो बरांगाय की शून्य अपशिष्ट समुदाय बनने की यात्रा न सिर्फ मालाबोन, बल्कि देश के दूसरे बरांगाय और समुदायों के लिए भी एक मानदंड बन गई है। पोट्रेरो बरांगाय की सफलता से उत्साहित होकर मालाबोन सिटी ने पूरे शहर में शून्य अपशिष्ट कार्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया। 2017 की शुरुआत से शहर के दूसरे बरांगाय ने भी शून्य अपशिष्ट पर अमल शुरू कर दिया, जिनमें से अब कई जगह इस कार्यक्रम को और उन्नत तरीके से लागू किया जा रहा है। डैमपलिट, बैरिटन, हूलॉन्ग और कॉन्सेप्सियन आदि बारंगाय इनमें शामिल हैं।

इंडोनिशया के बांडुंग में शून्य अपशिष्ट कार्यक्रम

जकार्ता से लगभग 180 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में स्थित पश्चिम जावा प्रांत की राजधानी बांडुंग इंडोनेशिया में 25 लाख से अधिक आबादी वाला तीसरा सबसे बड़ा शहर है। जीएआईए की एक रिपोर्ट के अनुसार, बांडुंग शहर प्रतिदिन लगभग 1,600 टन कचरा उत्पन्न करता है। कचरे के पृथक्करण को यहां खास तरजीह नहीं दी गई और इस शहर का अधिकतर धन इस कचरे के परिवहन पर खर्च होता है। सरिमुक्ति भराव क्षेत्र में कचरा भेजने के लिए यहां से 6.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किए जाते हैं। 2005 में अपशिष्ट भराव क्षेत्र में कटाव के कारण बांडुंग शहर को बड़े पैमाने पर कचरे की समस्या से जूझना पड़ा। यहां की सरकार ने बांडुंग शहर के पूर्व भाग में एक भट्टी बनाने की कोशिश की जिसका आसपास के समुदायों और गैर सरकारी संगठनों ने बड़े पैमाने पर विरोध किया। इस वजह से जीरो वेस्ट का कार्य सक्रिय नहीं हो पाया।

बांडुंग स्थित गैर लाभकारी संगठन यायासन पेंनेमबंगन बायोसैंस डेन बायोटेक्नोलॉजी (वाईपीबीबी) के कार्यकारी निदेशक डेविड सुतसूर्य कहते हैं, “2013 में नया मेयर चुना गया। मेयर चुनने की प्रक्रिया ने एक राजनैतिक स्पष्टता दी, जिससे सरकार को सीधे तौर पर प्रभावित करने के लिए इस शहर में जीरो वेस्ट आंदोलन के मौके बने। इसके बाद वाईपीबीबी ने सरकार के साथ मास्टरप्लान और नियम-कानून बनाने और जमीनी स्तर पर जीरो वेस्ट के लिए अपशिष्ट प्रबंधन की संकल्पना को पूरा करने के लिए कई सहयोगात्मक कार्य किए।” 2013 में अपशिष्ट प्रबंधन पर कचरा-मुक्त बांडुंग समर्थक (बांडुंग जुरा बेबास संपा) नामक एक सार्वजनिक मंच का आयोजन वाईपीबीबी और स्थानीय संगठनों द्वारा किया गया था, ताकि स्रोत पर अपशिष्ट पृथक्करण के माध्यम से लैंडफिल कचरे को कम करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला जा सके। 2016 में उन्होंने लगभग 275 घरों वाले समुदायों (1,000 के लगभग जनसंख्या) के लिए जीरो वेस्ट मॉडल की शुरुआत की थी, जिसका विस्तार अब 10,000 जनसंख्या तक हो चुका है। वाईपीबीबी के कचरा प्रबंधन कार्यक्रम के द्वारा बांडुंग शहर कचरे को प्रतिदिन के हिसाब से 450 टन तक सीमित कर 73 प्रतिशत तक घटा सकता है। सुतसूर्य आगे कहते हैं, “शहर में आधे से अधिक यानी 57 प्रतिशत घरेलू कचरा जैविक अपशिष्ट है, 16 प्रतिशत कचरा रिसाइकल योग्य है और बाकी 27 प्रतिशत अपशिष्ट है।”

जैविक कचरे को घर पर खाद बनाने के सामुदायिक कारखानों में या टीपीएसटी 3आर (रिसाइकल करने के लिए बने नगरस्तरीय स्टेशनों) में परिष्कृत किया जा सकता है। वाईपीबीबी ने सुकालूयु, बाबाकन सारी, नेगलासारी और सिहॉरगेयूलिस नामक चार उप-जिलों, स्थानीय भाषा में जिन्हें केलुराहन कहा जाता है, में इस पद्धति का इस्तेमाल किया है। कूड़े के ढेर को कचरा-स्थल पर जमा करने के बजाय, जहां गीले कचरे का इस्तेमाल खाद और बायोडाइजेस्टर के माध्यम से स्थानीय पौधों में किया जाता है, वहीं रिसाइकल योग्य कचरे को कबाड़ की दुकानों और अपशिष्ट कूड़े को कचरा-स्थल पर डाल दिया जाता है। बांडुंग में प्राथमिक निर्माण स्थलों ने कचरे के घरेलू पृथक्करण के लिए एक साल में 44 प्रतिशत अनुपालन दर हासिल की, जो इंडोनेशिया के उच्चतम दरों में से एक है। इस वक्त बांडुंग में 41 आरडब्ल्यू (सामुदायिक संरचनाओं) में जीरो वेस्ट सिटीज कार्यक्रम चल रहे हैं। इनमें अपशिष्ट संग्रह सेवाओं में मदद करने के लिए यहां के निवासी उपभोक्ता शुल्क देते हैं जिससे कचरा बीनने वालों को वेतन के अतिरिक्त आर्थिक सहायता दी जाती है।