प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक 
स्वच्छता

समयसीमा के भीतर साफ हो जाएगा अमृतसर के भगतांवाला डंप साइट पर जमा कचरा, अमृतसर नगर निगम का आश्वासन

अमृतसर नगर निगम ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि भगतांवाला, चब्बल रोड और छेहरटा पर जमा 13.35 लाख टन पुराने कचरे में से अब तक करीब 4.2 लाख टन का निपटान किया जा चुका है

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अमृतसर नगर निगम के आयुक्त को लिखित में वादा करने को कहा है कि भगतांवाला डंप पर जमा कचरा समय पर साफ कर दिया जाएगा। यह निर्देश एक अप्रैल 2025 को दिया गया है।

उस हलफनामे में आयुक्त यह भी बताएंगे कि पुराने कचरे और रोजाना आ रहे नए कचरे का निपटान कैसे किया जाएगा। साथ ही जो कचरा बच जाएगा उसका निपटान और इस्तेमाल कैसे किया जाएगा। इस मामले में अगली सुनवाई 4 अगस्त 2025 को होगी।

गौरतलब है कि इस मामले में अदालत द्वारा स्वतः संज्ञान लिया गया है। यह मामला तब शुरू हुआ जब भगतांवाला डंप साइट पर बड़ी मात्रा में पुराना कचरा जमा होने की वजह से भीषण आग लग गई थी।

इस बारे में अमृतसर नगर निगम के आयुक्त ने 29 जनवरी, 2025 को हलफनामा दाखिल किया था। इसमें उन्होंने जमा हुए पुराने कचरे और उसके उपचार के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की थी।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन जगहों - भगतांवाला, चब्बल रोड और छेहरटा पर जमा 13.35 लाख टन पुराने कचरे में से अब तक करीब 4.2 लाख टन का निपटान किया जा चुका है। इस रिपोर्ट के अनुसार भगतांवाला में 12,00,000 मीट्रिक टन, चब्बल रोड पर 90,000 मीट्रिक टन और छेहरटा में 45,000 मीट्रिक टन कचरा जमा था।

पुराने कचरे को हटाने के लिए समयसीमा भी तय की गई है। इसके तहत पहला चरण 31 मई, 2025 तक पूरा हो जाएगा, जबकि अंतिम चौथा चरण 31 मई, 2026 तक पूरा होना है।

अमृतसर में हर दिन पैदा हो रहा करीब 500 टन कचरा

इस मामले में हुई ऑनलाइन सुनवाई में अमृतसर के कमिश्नर और डिप्टी कमिश्नर शामिल हुए थे। उन्होंने एनजीटी को बताया कि दैनिक कचरे और पुराने कचरे के निपटान के लिए एक एजेंसी को दिया गया पिछला अनुबंध रद्द कर दिया गया है। अब दो अलग-अलग अनुबंध दिए जा रहे हैं - एक पुराने कचरे को साफ करने के लिए और दूसरा दैनिक कचरे के प्रबंधन के लिए। उन्होंने यह भी कहा कि अमृतसर शहर में हर दिन करीब 500 टन कचरा पैदा होता है।

21 फरवरी 2025 को दाखिल हलफनामे में अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर ने जानकारी दी है कि 19 नवंबर 2024 को डंप साइट का दौरा किया गया था। इस दौरान डंप साइट पर करीब 11.5 लाख टन पुराना कचरा जमा था। उनका यह भी कहना है कि उसी जगह पर अब भी नया कचरा डाला जा रहा है, यानी पुराने कचरे की मात्रा हर दिन बढ़ रही है।

अमृतसर नगर निगम के आयुक्त ने भरोसा दिलाया है कि डंप साइट पर जमा पुराने कचरे को समयसीमा के भीतर पूरी तरह से साफ कर दिया जाएगा। इसके लिए 29 जनवरी, 2025 के हलफनामे में जो समयसीमा दी गई है उसका पूरी तरह पालन किया जाएगा।

तेलंगाना के कांचा गाचीबोवली में पेड़ों के काटे जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने तीन अप्रैल, 2025 को तेलंगाना में रंगारेड्डी जिले के कांचा गाचीबोवली में अगले आदेश तक पेड़ों के काटे जाने पर रोक लगाने का आदेश दिया है और कहा कि अगले आदेश तक इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को पक्षकार बनाया है। ऐसे में यदि अदालती आदेशों का पालन नहीं किया जाता तो राज्य के मुख्य सचिव को इसके लिए जिम्मेवार माना जाएगा।

अदालत ने तेलंगाना के मुख्य सचिव से पूछा है कि कथित वन क्षेत्र से विकास के नाम पर पेड़ों को हटाने की इतनी क्या जरूरत थी? क्या इसके लिए राज्य ने अनुमति ली है और जो पेड़ गिराए गए हैं, उनका क्या किया जाएगा?

कांचा गाचीबोवली का यह जंगल तेलंगाना के 400 एकड़ क्षेत्र में फैला है। यह जंगल हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी परिसर से सटा है। इसे हैदराबाद शहर का फेफड़ा भी कहा जाता है। मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक वहां आईटी पार्क के निर्माण के लिए बड़ी संख्या में पेड़ों को काटा गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को घटनास्थल का दौरा करने और अंतरिम रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। साथ ही, राज्य के मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया है कि कांचा गाचीबोवली में अगले आदेश तक कोई पेड़ न काटा जाए। साथ ही इस क्षेत्र में अनधिकृत प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई है।

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने रजिस्ट्रार (न्यायिक) को तेलंगाना के मुख्य सचिव को सूचित करने का निर्देश दिया है, "जो बिना देरी के इस आदेश पर कार्रवाई करेंगे।"

गौरतलब है कि एमिकस क्यूरी ने अदालत को ध्यान दो अप्रैल, 2025 को विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित रिपोर्ट की ओर दिलाया है। इन खबरों में कांचा गाचीबोवली में बड़े पैमाने पर काटे जा रहे जंगलों पर प्रकाश डाला गया है। खबरों के मुताबिक वहां बड़ी संख्या में पेड़ काटे जा रहे हैं।

खबरों से पता चला है कि अधिकारियों ने पेड़ों की कटाई में तेजी लाने के लिए लंबे सप्ताहांत का फायदा उठाया। इसके अलावा, कहा जाता है कि यह जंगल संरक्षित जीवों की आठ प्रजातियों का भी घर है।

इस मामले में अगली सुनवाई 16 अप्रैल 2025 को होगी।