प्रतीकात्मक तस्वीर: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) 
स्वच्छता

प्रयागराज: बढ़ते कचरे पर अदालत ने अधिकारियों से मांगा जवाब, यमुना प्रदूषण का भी है आरोप

दावा है कि ठोस कचरे का उचित प्रबंधन न करने की वजह से यमुना दूषित हो रही है, जोकि इस परिसर से केवल 300 मीटर की दूरी पर बहती है

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 25 सितंबर, 2024 को कहा है, प्रयागराज में ठोस कचरे का अनुचित प्रबंधन पर्यावरण संबंधी नियमों का उल्लंघन है। ऐसे में अदालत ने अधिकारियों को अगली सुनवाई से पहले अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 20 जनवरी, 2025 को होगी।

आवेदक नीरज तिवारी का दावा है कि ठोस कचरे के निपटान के लिए स्थापित बसवार संयंत्र की क्षमता पर्याप्त नहीं है। नतीजतन, प्लांट परिसर और आस-पास के इलाकों में पुराना कचरा जमा हो रहा है। आवेदक की दलील है कि एक जनहित याचिका (67235/2024) में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा था कि प्लांट परिसर में तीन लाख टन पुराना कचरा जमा हो गया है।

आवेदक की ओर से पेश वकील ने दायर की गई तस्वीरों का हवाला दिया है। इसमें दर्शाया गया है कि प्लांट परिसर के अंदर और बाहर दोनों जगह कचरा बिखरा है, जिसे अलग भी नहीं किया गया है। उनका यह भी आरोप है कि कचरे को ट्रकों में ठीक से नहीं ले जाया जा रहा।

उनका दावा है कि ठोस कचरे का उचित प्रबंधन न करने की वजह से यमुना दूषित हो रही है, जोकि इस परिसर से केवल 300 मीटर की दूरी पर बहती है। अपने आवेदन में उन्होंने ठोस कचरे और उससे होते रिसाव की वजह से होने वाले प्रदूषण का भी जिक्र किया है।

द्वारका में जलस्रोत को दूषित कर रहा है बरसाती नाले में बहता सीवेज

द्वारका के बरसाती नाले में बहता सीवेज स्थानीय जल निकाय 'जोहड़' को दूषित कर रहा है। इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नेशनल वेटलैंड कमेटी को समस्या की जांच करने और आठ सप्ताह के भीतर अपना जवाब देने को कहा है। गौरतलब है कि दिल्ली से जुड़े इस मामले में एनजीटी ने 26 सितंबर, 2024 को सुनवाई की थी।

केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए अदालत से चार सप्ताह का समय मांगा है। वहीं दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने अदालत को आश्वासन दिया है कि वो जल्द ही अपना जवाब दाखिल करेगा।

आवेदक की शिकायत द्वारका में बरसाती नाले के जरिए लगातार बहने वाले दूषित पानी और सीवेज से जुड़ी है। उनका आरोप है कि सीवेज बरसाती नालों में मिल रहा है, जिससे 'नया जोहड़' प्रदूषित हो रहा है।

शिक्षण संस्थानों में एस्बेस्टस शीट का उपयोग, स्वास्थ्य पर प्रभावों की जांच के लिए समिति गठित

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को एक विशेषज्ञ समिति बनाने का निर्देश दिया है। मामला स्कूलों में बच्चों पर एस्बेस्टस शीट के पड़ते प्रभावों से जुड़ा है। 25 सितंबर, 2024 को दिए निर्देश के अनुसार समिति यह भी जांच करेगी कि क्या छात्रों के स्वास्थ्य पर मंडराता जोखिम, कारखानों में काम करने वाले मजदूरों जितना ही है।

इस मामले में अगली सुनवाई 26 नवंबर, 2024 को होगी।

पश्चिमी गारो हिल्स में रोंगई नदी के लिए खतरा पैदा कर रहा है अवैध रेत खनन

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी बेंच ने मेघालय के वेस्ट गारो हिल्स के डिप्टी कमिश्नर को रोंगई नदी में चल रहे अवैध रेत खनन पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। साथ ही 24 सितंबर, 2024 को दिए इस आदेश में उनसे नियमों का उल्लंघन करने वालों की पहचान करने को कहा है।

इस मामले में अदालत ने मेघालय राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ-साथ डिप्टी कमिश्नर से भी चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।