स्वच्छता

स्वच्छता सर्वेक्षण 2020: लगातार चौथी बार एक नंबर पर रहा इंदौर

गंगा के किनारे बसे शहरों के आकलन और नवाचार तथा सर्वोत् तम प्रथाओं पर रिपोर्ट के साथ ही स् वच् छ शहर 2020 सर्वेक्षण रिपोर्ट भी जारी की गई

DTE Staff
इंदौर ने एक बार फिर भारत के सबसे स्वच्छ शहर का खिताब जीत लिया। इसके अलावा सूरत और नवी मुंबई ने क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्‍त किया। छत्तीसगढ़ ने 100 से अधिक यूएलबी श्रेणी में भारत के सबसे स्वच्छ राज्य का प्रतिष्ठित खिताब जीता, जबकि झारखंड को 100से कम यूएलबी श्रेणी में भारत का सबसे स्वच्छ राज्य घोषित किया गया। इसकेअलावा अतिरिक्त 117 पुरस्कार भी दिए गए। 

20 अगस्त को शहरी स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की गई। 2014 में स्वच्छ भारत मिशन- शहरी  (एसबीएम-यू) की शुरुआत 100 प्रतिशत ठोस कचरेके प्रबंधन के साथ शहरी भारत को 100 प्रतिशत खुले में शौच मुक्त बनाने के उद्देश्य से की गई थी।

इस अवसर पर केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा, “जनवरी 2016 में 73 शहरों की रेटिंग के लिए स्वच्छ सर्वेक्षण किया गया था, उसके बाद जनवरी-फरवरी 2017 में 434 शहरों की रैंकिंग के लिए स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 आयोजित किया गया। स्वच्छ सर्वेक्षण 2018, जो दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता सर्वेक्षण था के बाद 2019 में कराए गए सर्वेक्षण में 4203 शहरों को स्थान दिया गया, जिसने न केवल 4237 शहरों को कवर किया, बल्कि यह 28 दिनों के रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया अपनी तरह का पहला डिजिटल सर्वेक्षण भी था।

स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में  कुल 4242 शहरों, 62 छावनी बोर्डों और 97 गंगा शहरों का सर्वेक्षण किया गया जिसमें 1.87 करोड़ नागरिकों की भागीदारी की। इसमें आवासीय क्षेत्र में रहने वाले 58 हजार से अधिक लोगों तथा औद्योगिक क्षेत्र से 20 हजार से ज्‍यादा लोगों का सर्वे किया गया। सर्वक्षण में 64000 से अधिक वार्ड को 28 दिनों में कवर किया गया।

मिश्रा ने कहा कि 2014 में अपनी शुरुआत के बाद से, स्वच्छ भारत मिशन-शहरी ने स्वच्छता और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन दोनों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। 4,324 शहरी यूएलबी को ओडीएफ  घोषित किया गया है, 1,319 शहरों को ओडीएफ+ और 489 शहरों को ओडीएफ ++ को मंत्रालय  के स्वच्छता प्रोटोकॉल के अनुसार प्रमाणित किया गया है। यह 66 लाख से अधिक व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों और 6 लाख से अधिक सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण के माध्यम से संभव बनाया गया है, जो मिशन के लक्ष्यों से अधिक है। इसके अतिरिक्त, 2900+ शहरों में 59,900 से अधिक शौचालयों को गूगल मानचित्र पर लाइव किया गया है। ठोस कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में, 96 प्रतिशत वार्डों में डोर-टू-डोर कलेक्शन है, जबकि उत्पन्न कुल कचरे का 66 प्रतिशत  पहले के 18 प्रतिशत प्रसंस्करण के 2014 के स्तर के लगभग 4 गुना अधिक है। कुल 6 शहरों (इंदौर, अंबिकापुर, नवी मुंबई, सूरत, राजकोट और मैसूरु) को 5-स्टार शहरों, 86 शहरों को 3-स्टार और 64-शहरों को 1-स्टार के रूप में दर्जा दिया गया है, कचरा निस्‍तारण के मामले में मंत्रालय  स्टार रेटिंग प्रोटोकॉल के अनुसार कचरा मुक्त शहर घोषित किया गया है।

पिछले महीने मंत्रालय ने सर्वेक्षण की छठी रिपोर्ट स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 जारी की थी। स्वच्छता मूल्य श्रृंखला की स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में मंत्रालय के प्रयासों को ध्यान में रखते हुए, इस रिपोर्ट में दिए गए संकेतकों में अपशिष्ट जल के उपचार और पुन: उपयोग के लिए मापदंडों पर ध्यान केंद्रित किया गया था। इसी तरह, अपशिष्ट प्रबंधन और लैंडफिल के महत्वपूर्ण मुद्दों को सर्वे के छठे संस्करण में सामने लाया गया है। इसके साथ ही, स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में एक नए प्रदर्शन श्रेणी की शुरुआत हुई, इसमें प्रेरक डीएयूयूआर सम्मान जिसमें कुल पांच अतिरिक्त उप-श्रेणियां हैं (प्लेटिनम), अनुपम (स्वर्ण), उज्जवल (रजत), उदित (कांस्य), आरोही (आकांक्षी) शामिल की गई।  ’जनसंख्या श्रेणी’ पर शहरों के मूल्यांकन के वर्तमान मानदंडों के अलावा, यह नई श्रेणी छह चुनिंदा संकेतकों के प्रदर्शन मानदंडों के आधार पर शहरों को वर्गीकृत करेगी।

इन वर्षों में, डिजिटल नवाचार हमेशा मिशन को आगे बढ़ाने में सक्षम रहे हैं और स्थानीय स्‍तर पर लोगों को साथ जोड़कर परिणामों की बेहतर निगरानी कर रहे हैं। यह मंत्रालय द्वारा हाल ही में एकीकृत एमआईएस पोर्टल के शुभारंभ के साथ शुरु किया गया है, जो एक ही मंच पर कई डिजिटल पहल करता है और इस प्रकार राज्यों और शहरों के लिए एक एकीकृत और  बाधा  मुक्त अनुभव सुनिश्चित करता है और न केवल एक निर्माण की दिशा में आगे बढ़ता है बल्कि स्वच्छ लेकिन वास्तव में डिजिटल भारत की कल्‍पना को साकार करता है।

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