सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की महानिदेशक सुनीता नारायण ने आज यहां कहा, "भारत अब ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौती का सामना करने के लिए सक्रिय रूप से जागरूक हो रहा है। इस जागरूकता और परिवर्तन का सबसे बड़ा प्रमाण व उदाहरण हमारे कई शहरों में देखा जा सकता है। हम यहां आज इस परिवर्तन को मान्यता देने और इसे मनाने के लिए एकत्र हुए हैं।"
उन्होंने आगे कहा: "यह चेंजमेकर्स कॉन्क्लेव केवल एक मंच नहीं है – यह एक उत्सव है, जिसमें सीखने, नवाचार और यह विश्वास शामिल है कि परिवर्तन संभव है।"
सुनीता नारायण एक राष्ट्रीय बैठक – जिसे 'द चेंजमेकर्स कॉन्क्लेव' का नाम दिया गया – में बोल रही थीं। इस बैठक का आयोजन सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने किया, जिसका मकसद 100 से अधिक नगरपालिका अधिकारियों और अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों को एक साथ लाना था, ताकि यह चर्चा हो सके कि शहरों और नगरों की एजेंसियां ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन कैसे कर रही हैं? साथ ही, जो एजेंसी या संगठन सच में अच्छा कार्य कर रहे हैं, उन्हें सम्मानित किया जा सके।
साल 2021 में भारत ने स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम 2.0) का दूसरा चरण शुरू किया, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान माना जाता है। सीएसई ने इस मिशन को जमीनी कार्यान्वयन को मजबूत करने के लिए केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के साथ साझेदारी की है। यह मंत्रालय एसबीएम 2.0 का संचालन कर रहा है। इस साझेदारी के चलते सीएसई सभी हितधारकों की क्षमता निर्माण का काम कर रहा है।
इसी साझेदारी के तहत अब तक 450 से अधिक शहरी स्थानीय निकायों और 39 गैर-सरकारी संगठनों के अधिकारियों ने सीएसई के ग्रीन कैंपस अनिल अग्रवाल पर्यावरण प्रशिक्षण संस्थान में गहन आवासीय प्रशिक्षण प्राप्त किया।
इन प्रशिक्षुओं में से कई ने अपने-अपने क्षेत्र और जोन में इन सीखों को लागू किया है। उन्हें अपने कार्यों को चेंजमेकर्स कॉन्क्लेव में एक मंच प्रदान किया गया।
कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए रूपा मिश्रा ने कहा: "स्वच्छ भारत मिशन 2.0 केवल एक सरकारी पहल नहीं है। यह एक जन आंदोलन है। यह मिशन पिछले एक दशक से अपनी गति बनाए रखे हुए है, जो शहरों, राज्यों और अन्य हितधारकों के सहयोग से साफ और स्वस्थ भारत के लिए सामूहिक प्रयास को दर्शाता है।"
इस मौके पर सीएसई के कार्यक्रम निदेशक (ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और सर्कुलर इकोनॉमी) अतिन बिस्वास ने कहा कि परिवर्तन लाने का सबसे अच्छा तरीका है सीखना और उस सीख को सोच-समझकर लागू करना। एसबीएम 2.0 ने भारत के शहरी प्रबंधकों (स्थानीय सरकारों, नागरिक समाज और औद्योगिक साझेदारों आदि) के लिए यह मार्ग प्रशस्त किया है कि वे ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सर्कुलर अर्थव्यवस्था की बारीकियों को समझें और उन्हें पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ एवं आर्थिक रूप से व्यवहारिक तरीके से लागू करने की क्षमता विकसित कर सकें। सीएसई ने विशेष रूप से डिजाइन और तैयार किए गए प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से इस क्षमता का निर्माण करने में सहायता की है।
इस अवसर पर एक पुस्तिका 'चेंज इज पॉसिबल' का विमोचन किया गया। इस पुस्तिका में सभी चेंजमेकर्स की संक्षिप्त प्रोफाइल हैं, जिनमें उनके नगरपालिकाओं, शहरों या कार्यक्षेत्रों में किए गए अपशिष्ट प्रबंधन की पहल का विवरण है। इसमें स्रोत पर ही कचरे को अलग-अलग करना, अलग किए गए कचरे का घर-घर से इकट्ठा करना, जागरूकता बढ़ाना और कचरे से संबंधित व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए अभियान चलाना, अपशिष्ट प्रबंधन संरचनाओं में निवेश करना और अपशिष्ट प्रबंधन प्रक्रियाओं की वित्तीय व्यवहार्यता सुनिश्चित करने वाले कदमों का विस्तार से जिक्र है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएसई के कार्यक्रम प्रबंधक (ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और सर्कुलर अर्थव्यवस्था) सिद्धार्थ जी. सिंह ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रमों और चर्चाओं के दौरान हमने पाया है कि स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार समाधान तैयार किए जाने चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि नई तकनीकें, नागरिक सहभागिता और संसाधनों का सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करें और स्वच्छ एवं स्वस्थ शहरी स्थानों का निर्माण हो सके।
सुनीता नारायण ने अपने संबोधन में कहा कि "अपशिष्ट केवल अपशिष्ट नहीं है, बल्कि यह एक संसाधन है। एक नीति तब खत्म हो जाती है जब वह विकसित होना बंद कर देती है – स्वच्छ भारत मिशन जीवित है, क्योंकि यह सीखता है, विकसित होता है और अनुकूलित होता है।"