सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त को पूर्वी दिल्ली नगर निगम से पूछा है कि क्यों अब भी हाथ से सीवर और गटर की सफाई कराई जा रही है। अदालत ने चिंता जताई है कि इससे सफाईकर्मियों की जान खतरे में डाली जा रही है और उन्हें जरूरी सुरक्षा उपकरण भी नहीं दिए जा रहे हैं।
शीर्ष अदालत ने उन तस्वीरों पर भी संज्ञान लिया जिनमें दिख रहा था कि कोर्ट के गेट के बाहर मैनुअल तरीके से सीवर की सफाई हो रही है। इस पर कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) से भी जवाब मांगा है।
कोर्ट ने चेतावनी दी है कि अगर अगली सुनवाई तक संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो उन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया जा सकता है, जो सफाईकर्मियों की जान खतरे में डाल रहे हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 10 सितंबर 2025 को होगी।
तेलंगाना: गोपनपल्ली झील की जल गुणवत्ता में सुधार, सीवेज प्लांट ने बढ़ाई उम्मीदें
तेलंगाना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी एक रिपोर्ट में जानकारी दी है कि 4.5 एमएलडी क्षमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के चालू होने से गोपनपल्ली झील की जल गुणवत्ता में सुधार हुआ है। यह रिपोर्ट 11 अगस्त 2025 को अदालत में दाखिल की गई है।
गौरतलब है कि यह झील तेलंगाना में रंगारेड्डी जिले के सेरिलिंगमपल्ली मंडल स्थित गोपनपल्ली गांव में फैली हुई है और इसका क्षेत्रफल करीब 19 एकड़ है। यह एक मीठे पानी की झील है।
रिपोर्ट के मुताबिक तेलंगाना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और हैदराबाद मेट्रो वॉटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड के अधिकारियों ने 19 जून, 2025 को गोपनपल्ली झील और उसके आसपास के क्षेत्र का निरीक्षण किया था। जांच के दौरान 4.5 एमएलडी क्षमता वाला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट सही तरीके से काम करता पाया गया। इस प्लांट में एक बाईपास ड्रेन भी बनाया गया है, ताकि प्लांट के रखरखाव के दौरान गंदा पानी (सीवेज) झील में न जाए।
हालांकि, पहले यह गंदा पानी सीधे झील में छोड़ा जाता था, लेकिन बीते चार महीनों से स्थानीय लोगों के विरोध के कारण अब यह गंदा पानी झील के पास स्थित एक कच्चे गड्ढे में डाला जा रहा है।
ओसीईएमएस डेटा के अनुसार, 15 अप्रैल 2025 से पहले के सप्ताह में झील में छोड़े गए उपचारित पानी की गुणवत्ता मानकों के भीतर थी।
रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि हुई है झील के पश्चिम में स्थित होनर एक्वान्टिस अपार्टमेंट और झील के दक्षिण में मौजूद मुप्पास ग्रीन ग्रैंडर अपार्टमेंट ने घरेलू गंदे पानी (सीवेज) के उपचार के लिए अपना सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाया है। वे साफ करने के बाद इस पानी का उपयोग फ्लशिंग और पेड़ों को सींचने के लिए कर रहे हैं।
वहीं साफ किए हुए अतिरिक्त सीवेज को अपार्टमेंट के पश्चिम में स्थित सीवर लाइन में छोड़ा जाता है, जो हैदराबाद मेट्रो वॉटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड के 4.5 एमएलडी क्षमता वाला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से जुड़ी है।
गौरतलब है कि इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 15 अप्रैल 2025 को द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक खबर के आधार पर स्वत: संज्ञान लिया है। इस खबर में बताया गया कि झील के पास स्थित एसटीपी से निकले शुद्ध और अशुद्ध सीवेज के साथ-साथ आस-पास के इलाकों से निकली गंदगी की वजह से मछलियों की मौत हुई थी।