प्रतीकात्मक तस्वीर; फोटो: आईस्टॉक 
स्वच्छता

जबलपुर के कचरा निपटान संयंत्र में हो रहा नियमों का उल्लंघन, एनजीटी ने तलब की रिपोर्ट

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने ऊर्जा और अपशिष्ट निपटान संयंत्र में मौजूद खामियों के मुद्दे पर अधिकारियों को जवाब देने का निर्देश दिया है। मामला मध्य प्रदेश में जबलपुर के कठौंदा से जुड़ा है।

12 जुलाई, 2024 को दिए अपने आदेश में अदालत ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और जबलपुर के जिला मजिस्ट्रेट को मामले में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है। उन्हें 19 सितंबर, 2024 को होने वाली अगली सुनवाई से एक सप्ताह पहले अपना जवाब दाखिल करना होगा।

गौरतलब है कि यह आवेदन एक जुलाई 2024 को भास्करहिंदी.कॉम में प्रकाशित एक खबर के बाद एनजीटी में दायर किया गया था। यह खबर कठौंडा में ऊर्जा और अपशिष्ट निपटान संयंत्र के संबंध में थी। इस खबर में कहा गया है कि वहां कचरे को जलाने से बची धूल और मिट्टी का उचित तरह से निपटान नहीं किया जा रहा है और यह नियमों के विरुद्ध जमा हो रही है।

इस खबर के मुताबिक संयंत्र के आसपास बफर जोन बनाए रखना मुश्किल है क्योंकि आस-पास बस्तियां हैं, जिससे वहां रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। इसमें यह भी दावा किया गया है कि पहले कचरा संयंत्र, ऊर्जा संयंत्र, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और अन्य सुविधाओं का अच्छी तरह से रखरखाव किया जाता था, लेकिन हाल के वर्षों में गंदगी और बदबू आस-पास रहने वाले लोगों के लिए समस्या बन गई है।

तय मानकों के अनुसार कूड़े का निपटान न होने से स्थिति और खराब हो गई है। इस खबर के मुताबिक कठौंदा के आसपास 500 मीटर के दायरे में बफर जोन है और इसमें प्रवेश वर्जित है।

नागांव में कोलोंग नदी के किनारे फेंका जा रहा निर्माण संबंधी कचरा, एनजीटी ने जांच के दिए निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कोलोंग नदी के पास चल रही एक निर्माण परियोजना से जुड़े आरोपों की जांच के लिए एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है। आरोप है कि यह परियोजना कथित तौर पर पर्यावरण नियमों का उल्लंघन कर रही थी। मामला असम के नागांव का है।

इस समिति में जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव, नागांव के उपायुक्त और असम राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि शामिल होंगे। 12 जुलाई 2024 को दिए इस आदेश में समिति को साइट का निरीक्षण करने के बाद, आवश्यक जानकारी एकत्र करने को कहा है। साथ ही यदि वहां किसी तरह का उल्लंघन पाया जाता है, तो समिति को दो महीनों के भीतर बहाली से जुड़ी आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है।

शिकायत है कि, मेसर्स रॉयल आवास कोलोंग नदी के पास एक निर्माण परियोजना पर काम कर रहा था। दावा है कि वो नदी किनारे निर्माण और तोड़फोड़ सम्बन्धी कचरा फेंक रहा था। इसकी वजह से जलीय जीवन, पौधों और जानवरों को नुकसान पहुंच रहा था। साथ ही नदी का प्रवाह और पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो रहा था।