नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 27 सितंबर, 2024 को कहा है कि बलियापांडा में डंपिंग यार्ड के आसपास से हटाए गए लोगों का पुनर्वास किया जाना चाहिए।
मामला ओडिशा में पुरी के बलियापांडा का है। एनजीटी ने कहा है कि डंपिंग यार्ड में अगर कोई बड़ी आग लगती है तो उससे गंभीर खतरा पैदा हो सकता है, इससे लोगों की जान को भी खतरा है। ऐसे में यह राज्य की जिम्मेवारी है कि वो उन लोगों के लिए नया आसरा ढूंढें जो इस साइट से हटाए जाने के बाद बेघर हो जाएंगे।
अदालत ने ओडिशा के मुख्य सचिव से डंपिंग यार्ड के आसपास किसी भी दुर्घटना या जानमाल के नुकसान को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने को कहा है। इसके साथ ही उनसे वहां रहने वाले लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था करने को भी कहा गया है।
न्यायमूर्ति बी अमित स्थलेकर की बेंच ने निर्देश दिया है कि मुख्य सचिव को चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट इस मामले में रिपोर्ट देनी होगी कि उन्होंने अब तक क्या कार्रवाई की है।
इस मामले में अगली सुनवाई 19 दिसंबर, 2024 को होगी।
पुरी नगर पालिका द्वारा आठ मई, 2024 को दायर हलफनामे में कहा गया कि बलियापांडा डंपिंग यार्ड के चारों ओर चारदीवारी बनाने की विस्तृत योजना तैयार है। इस परियोजना पर करीब 99 लाख रुपए खर्च होंगे।
कार्य आदेश जारी कर दिया गया है, और दीवार के काम को छह महीने में पूरी होना था। हालांकि, ओडिशा में चुनाव के चलते इस काम में देरी हुई है। इसपर अदालत का कहना है कि चुनाव चार जून, 2024 को समाप्त हो गए, इसलिए चारदीवारी के निर्माण में और अधिक देरी नहीं होनी चाहिए।
ओडिशा के मुख्य सचिव ने 26 सितंबर, 2024 को रिपोर्ट में जानकारी दी है कि डंपिंग यार्ड के आसपास सरकारी जमीन पर करीब 3,000 परिवार रह रहे हैं।
2021 के सर्वे में इनमें से 1,619 परिवार दर्ज किए गए। बाउंड्री वॉल बनाने में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि यहां रहने वाले लोग निर्माण का विरोध कर रहे हैं।