स्वच्छता

पर्यावरण मुकदमों की डायरी:  दिल्ली में अवैध रूप से चल रहे हैं रंगाई कारखाने

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Dayanidhi

22 मई को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली के बवाना, नरेला, मायापुरी, लिबासपुर और नंगली सकरावत के क्षेत्रों में रंगाई कारखानों के अवैध संचालन पर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डीपीसीसी) की "अधूरी" रिपोर्ट पर असंतोष जताया है। एनजीटी ने कहा, जिस आंकड़े के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है, वह आंकड़ा ही उपलब्ध नहीं है। इस तरह, रिपोर्ट में उल्लेखित निष्कर्ष की सत्यता की जांच करना संभव नहीं है।

एनजीटी ने दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में चल रही रंगाई की 61 इकाइयों की एक विस्तृत सर्वेक्षण कर जांच करने को कहा है, साथ ही इनके अलावा कुछ और इकाईयां जो मानदड़ों का अनुपाल कर रहीं है अथवा नहीं कर रही है उनको भी इसमें शामिल कर 31 अगस्त, 2020 से पहले रिपोर्ट दर्ज करने के लिए निर्देशित किया है।

सभी एजेंसियों से तालमेल बनाए दिल्ली सरकार

20 मई, 2020 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि दिल्ली में सभी संबंधित प्राधिकरणों के साथ तालमेल बनाया जाए, ताकि मौजूदा  कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन (सी एंड डी) वेस्ट निपटाने वाली जगहों में तेजी से कचरा निपटाने का काम किया जा सके साथ ही कचरा निपटाने के लिए अतिरिक्त जगहों की स्थापना सुनिश्चित की जाए। इस बात को भी सुनिश्चित करने को कहा गया कि कंस्ट्रक्शन वेस्ट (सीएंडडी) को भलस्वा लैंडफिल साइट पर भेजा जाए।

न्यायाधिकरण ने दिल्ली सरकार को चेतावनी दी कि कानून का अनुपालन सही ढंग से नहीं किया गया तो मुआवजे की वसूली सहित दंडात्मक कार्रवाई भी की जाएगी।

एनजीटी का यह आदेश पर्यावरण मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए दिल्ली के जहांगीरपुरी में आईएल एंड एफएस कंपनी के खिलाफ दायर याचिका के मद्देनजर आया था। 

समस्या को दूर करने के लिए, मुख्य सचिव, दिल्ली ने 15 जनवरी को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम इंडिया लिमिटेड और दिल्ली विकास प्राधिकरण को पत्र भेजकर जमा कंस्ट्रक्शन वेस्ट की समस्या को दूर करने के लिए कहा। यह दिल्ली में विशेष रूप से जहांगीरपुरी (बुराड़ी) और शास्त्री पार्क में कंस्ट्रक्शन वेस्ट के निपटान की सुविधाओं को लेकर है।

इसके अलावा, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा 19 मार्च को एनजीटी को दी गई रिपोर्ट में कहा गया था कि कंस्ट्रक्शन वेस्ट को रिसाइकल किया गया है। वेस्ट उपचार और निपटान सुविधाओं में प्राप्त कचरे में सुधार हुआ है।

एनजीटी ने कहा कि कंस्ट्रक्शन वेस्ट (सी एंड डी) को रिसाइकल करने, रिसाइकल की गई सामग्री को हटाने के लिए और कदम उठाए जाने चाहिए और कचरे के प्रसंस्करण की क्षमता को पर्याप्त रूप से बढ़ाया जाना चाहिए। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि भलस्वा लैंडफिल साइट पहले ही अपनी क्षमता को पार कर चुकी है और कंस्ट्रक्शन वेस्ट (सी एंड डी) की अधिक डंपिंग करना उचित नहीं है। 

एनजीटी ने उधमपुर नगरपालिका की अपील को किया खारिज

21 मई को एनजीटी के जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और श्यो कुमार सिंह की दो सदस्यीय पीठ ने उधमपुर नगरपालिका को पर्यावरण मानदंडों का उल्लंघन करने से सम्बंधित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेशों को जारी रखते हुए मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया।

नगरपालिका परिषद ने 21 नवंबर, 2019 और इस साल 30 जनवरी के जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेशों को एनजीटी में चुनौती दी थी, जिसमें नगरपालिका परिषद को मुआवजे का भुगतान करने को कहा गया था। 

आदेश में कहा गया है कि नगरपालिका परिषद ने उधमपुर में नदियों और भूमि में अनुपचारित सीवेज बहने दिया, सीवेज के उपचार और रोक के लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठाया गया।