स्वच्छता

प्रकृति प्रति वर्ष 417 लाख टन मानव अपशिष्ट को साफ करती है: अध्ययन

अध्ययन के अनुसार शहरों में प्रत्येक वर्ष 20 लाख क्यूबिक मीटर से अधिक मानव अपशिष्ट को बिना बुनियादी ढांचे के संसाधित किया जाता है।

Dayanidhi

दुनिया भर में पारिस्थितिक तंत्र स्वच्छता प्रदान करने में अहम भूमिका निभाते हैं। यूनाइटेड किंगडम और भारत के शोधकर्ताओं के द्वारा किए गए पहले वैश्विक मूल्यांकन से पता चलता है कि प्रकृति दुनिया के 48 शहरों में कम से कम 18 फीसदी स्वच्छता संबंधी सेवाएं प्रदान करती है।

अध्ययन के अनुसार शहरों में प्रत्येक वर्ष 20 लाख क्यूबिक मीटर से अधिक मानव अपशिष्ट को बिना बुनियादी ढांचे के संसाधित किया जाता है। इसमें गड्ढे वाले शौचालय का मल, कचरा शामिल है जो धीरे-धीरे मिट्टी के माध्यम से छनता है, यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो भूजल तक पहुंचने से पहले साफ हो जाता है।

क्रैनफील्ड विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय जल और स्वच्छता के प्रवक्ता और अध्ययनकर्ता एलिसन पार्कर ने कहा कि प्रकृति स्वच्छता में और अधिक भूमिका निभा सकती है, स्वच्छता के बुनियादी ढांचे का तालमेल प्रकृति के अनुसार होना चाहिए। स्वच्छता के मामले में बुनियादी ढांचे की भूमिका अहम है, हम मानते हैं प्राकृतिक बुनियादी ढांचे की परस्पर बेहतर समझ अनुकूल डिजाइन और प्रबंधन लागत को कम कर सकती है।

अपशिष्ट जल उपचार संरचना जो मानव मल को हानिरहित उत्पादों में बदल देती है, जो दुनिया भर में मानव स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। हालांकि दुनिया की 25 फीसदी से अधिक आबादी के पास 2017 में बुनियादी स्वच्छता सुविधाओं तक पहुंच नहीं थी। 14 फीसदी शौचालय जिनका उपयोग किया गया था उनका कचरा उसी जगह (ऑनसाइट) निपटान किया गया था।

हालांकि यह कचरा स्थानीय आबादी के लिए खतरनाक हो सकता है। अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि प्राकृतिक आर्द्रभूमि और मैन्ग्रोव प्रभावी उपचार सेवाएं प्रदान करते हैं। युगांडा में नविकुबो आर्द्रभूमि, 1 लाख से अधिक घरों के अपशिष्ट जल को संसाधित करती है, जिससे मर्चिसन बे और लेक विक्टोरिया हानिकारक प्रदूषण से बचते हैं, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका में मैक्सिको की खाड़ी में तटीय आर्द्रभूमि मिसिसिपी नदी से नाइट्रोजन हटाती हैं।

ब्रिटेन के बांगोर विश्वविद्यालय में पर्यावरण भूगोल के प्रवक्ता और अध्ययनकर्ता साइमन विलकॉक ने कहा कि प्रकृति को स्वच्छता सेवाएं प्रदान करनी ही होंगी, क्योंकि दुनिया में बहुत से लोगों के पास सीवर जैसे बुनियादी ढांचे तक की पहुंच नहीं है। लेकिन प्रकृति की भूमिका को काफी हद तक समझा नहीं गया था। 

प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र कचरे को कैसे संसाधित करते हैं, यह समझने के लिए बांगोर विश्वविद्यालय, क्रेनफील्ड विश्वविद्यालय, डरहम विश्वविद्यालय, यूनिवर्सिटी ऑफ़ ग्लॉस्टरशायर, भारत का हैदराबाद विश्वविद्यालय और फ्रेश वाटर एक्शन नेटवर्क, दक्षिण एशिया की टीम ने 48 शहरों में स्वच्छता पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की स्थापना की, जिसमें लगभग 8.2 करोड़ लोगों ने मलमूत्र प्रवाह आरेखों (एक्सट्रैटा फ्लो डायग्राम्स) का उपयोग किया। जिसका पता व्यक्तिगत साक्षात्कार, अनौपचारिक और औपचारिक अवलोकन के आधार पर लगाया गया है।

शोधकर्ताओं ने 17 दिसंबर, 2018 को उपलब्ध सभी आरेखों (डायग्राम्स) का आकलन किया, जिसमें फेकल स्लज को शामिल नहीं किया गया है। जिसमें अपशिष्ट जमीन के नीचे गड्ढे वाले शौचालय या सेप्टिक टैंक में समाहित होता है, लेकिन उसमें भूजल प्रदूषित नहीं होता हैं, क्योंकि भूजल का स्तर काफी गहरा होता है।

विलकॉक और सहकर्मियों का अनुमान है कि प्रकृति इन 48 शहरों में प्रति वर्ष 22 लाख क्यूबिक मीटर मानव अपशिष्ट को संसाधित करती है। चूंकि दुनिया भर में 89.2 करोड़ से अधिक लोग ऑनसाइट निपटान शौचालय सुविधाओं का उपयोग करते हैं, इसलिए उनका अनुमान है कि प्रकृति प्रति वर्ष लगभग 417 लाख टन मानव अपशिष्ट को भूमिगत जल में प्रवेश करने से पहले साफ करती है, इस सेवा की लागत प्रति वर्ष लगभग 4.4 बिलियन डॉलर है।

हालांकि, अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि इन अनुमानों से स्वच्छता पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के सही मूल्य का अनुमान लगाया जा सकता है, क्योंकि प्राकृतिक प्रक्रियाएं अपशिष्ट जल प्रसंस्करण के अन्य रूपों में योगदान कर सकती हैं, हालांकि ये निर्धारित करना कठिन है।

विलकॉक और सहकर्मियों ने उम्मीद जताई है कि उनके निष्कर्ष महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डालेंगे, जो प्रकृति कई लोगों के रोज़मर्रा के जीवन में अहम भूमिका निभाती है, जिनमें आर्द्रभूमि जैसे पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण को प्रेरित करती है जो लोगों के अपशिष्ट जल के बहने से बचाती है। यह अध्ययन जर्नल वन अर्थ में प्रकाशित किया गया है।

पार्कर ने कहा कि हम पारिस्थितिकी, स्वच्छता पर काम करने वाले लोगों और शहर के नियोजकों के बीच बेहतर सहयोग को बढ़ावा देना चाहते हैं ताकि प्रकृति और बुनियादी ढांचे के बीच तालमेल बनाकर काम किया जा सके।