भारत में बढ़ता प्लास्टिक कचरा एक बड़ी समस्या बन चुका हो जो पर्यावरण के साथ-साथ, स्वास्थ्य को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है; फोटो: आईस्टॉक 
स्वच्छता

तेलंगाना: कचरे के उपचार, उपयोग व निपटान में मौजूद खाई को भरने में नहीं हुई है कोई खास प्रगति

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने तेलंगाना के मुख्य सचिव से राज्य में ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन की मौजूदा स्थिति पर एक नई रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। अदालत छह मार्च 2025 को इस रिपोर्ट की समीक्षा करेगी।

इस मामले में 12 सितंबर, 2024 को सुनवाई हुई थी। गौरतलब है कि तेलंगाना की ओर से अक्टूबर 2023 से मार्च 2024 तक की अर्ध-वार्षिक अवधि के लिए प्रगति रिपोर्ट दाखिल की थी। अदालत ने इस रिपोर्ट की समीक्षा की है, जिससे पता चला है कि तरल और ठोस कचरे के उपचार, उपयोग और निपटान में सुधार की दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हुई है।

रिपोर्ट में सामने आया है कि 141 शहरी क्षेत्रों में हर दिन पैदा हो रहे 2,281 टन कचरे को प्रोसेस नहीं किया जा सका है। इसकी वजह से वहां लम्बे समय से जमा कचरे में इजाफा हो रहा है।

गोरखपुर औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण का कारण बन रहे हैं स्टील और कैप्टिव पावर प्लांट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) से अंकुर उद्योग लिमिटेड नामक स्टील प्लांट के कारण हो रहे प्रदूषण के आरोप पर जवाब देने को कहा है।

यह प्लांट तीन लाख टीपीए स्टील का उत्पादन करता है और इसमें 30 मेगावाट का बिजली संयंत्र भी है। यह प्लांट गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (जीआईडीए) क्षेत्र में स्थित है।

गौरतलब है कि प्लांट के आसपास रहने वाले लोगों में से एक सुधीर कुमार झा की शिकायत पर भी अंकुर उद्योग लिमिटेड से जवाब देने को कहा गया है। इस मामले में आसपास के 12 गांवों की ओर से की गई शिकायत में कहा है कि संयंत्र की चिमनी से निकलने वाली कालिख और धुआं गंभीर वायु प्रदूषण की वजह बन रहा है। इसकी वजह से वहां रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा मंडराने लगा है।