स्वच्छता

कानपुर के डंपिंग ग्राउंड में लगी आग, प्रदूषण से हुआ बुरा हाल

कानपुर के भाउपुर में लगभग 25 लाख मीट्रिक टन कूड़े का ढेर पड़ा है, जहां दिवाली की रात से आग लगी है, इस वजह से कानपुर देश का दूसरा प्रदूषित शहर बना हुआ है

DTE Staff

कानपुर से पुनीत तिवारी 

उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहर कानपुर के भाउपुर स्थित कूड़ा डंपिंग ग्राउंड में दिवाली के दिन लगी आग अब तक नहीं बुझ पाई है। इससे जहां आसपास रहने वाले लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। वहीं, कानपुर देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बना हुआ है। 5 नवंबर को सुबह 11 बजे कानपुर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 476 था, जबकि पहले स्थान पर लखनऊ था, जिसका एक्यूआई 485 था।

भाउपुर में शहर भर का कूड़ा जमा किया जाता था, लेकिन पिछले कुछ समय से कूड़ा पूरी तरह भर चुका है, इसलिए कूड़ा डालना बंद कर दिया गया है, लेकिन यहां लगभग 25 लाख मीट्रिक टन कूड़ा पड़ा हुआ है, जिसने पहाड़ का रूप ले लिया है। इस ढेर में दिवाली की रात आग लग गई थी, तब से यहां जहरीला धुआं उठ रहा है। आग बुझाने के प्रयास इसलिए नहीं किए जा रहे हैं, क्योंकि जहां आग लगी है, वहां रास्ते में कूड़ा जमा होने के कारण अग्निशमन गाड़ियां नहीं पहुंच सकती।

इसके चलते कानपुर-दिल्ली हाईवे ओर आसपास के दर्जनभर गांवों बदुआपुर, सरायमीता, भौंती आदि में लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। पूरे इलाके में गंदी बदबू फैली हुई है। लेकिन प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है।

भाउपुर में वर्ष 2009 में कूड़ा निस्तारण प्लांट बनाया गया था और ए2जेड नाम की कंपनी को निस्तारण की जिम्मेदारी दी गई थी। योजना के मुताबिक यहां गीले कूड़े से खाद और सूखे कूड़े से कबाड़ निकाल कर उसका निस्तारण किया जाना था। यहां शहर के 110 वार्डों से घर-घर जाकर कूड़ा एकत्र करके लाया जाना था, लेकिन वर्ष 2013 में ए2जेड कंपनी ने हाथ खड़े कर दिए। वर्ष 2016 में आइएलएंडएफएस को कूड़ा निस्तारण की जिम्मेवारी दी गई, जबकि जेटीएन नाम की कंपनी को घर-घर से कूड़ा इकट्ठा करने की जिम्मेवारी सौंपी गई, जिसके बदले कंपनी हर घर से 30 रुपए भी लेती है। लेकिन यह कंपनी केवल 70 वार्ड से ही कूड़ा इकट्ठा कर पा रही है, जबकि आईएलएफएस ने भी 2018 से निस्तारण का काम बंद कर दिया और प्लांट छोड़ कर चले गए।

दिलचस्प बात यह है कि इस प्रोजेक्ट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम मिशन स्मार्ट सिटी में भी शामिल किया गया था। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत अब तक 10 करोड़ रुपए की लागत से कूड़ा उठाने के लिए 200 वाहन खरीदे गए। 6 कूड़ा टांसफर स्टेशन पर 9 करोड़ 80 लाख, 12 कूड़ाघर ढकने के लिए 20 लाख रुपए, मैटेरियल सेंटर के निर्माण में 1 करोड़ रुपए, 20 कांपैक्टर में 8 करोड़ रुपए, 12 बाबकट 1 करोड़ 30 लाख रुपए, 2200 डस्टबिन पर 27 लाख 50 हजार रुपए खर्च हो चुके हैं। फिर भी शहर में जगह-जगह कूड़ा दिखाई दे रहा है और कूड़े का निस्तारण भी नहीं हो पा रहा है।

कानपुर नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक शहर में लगभग 1300 मीट्रिक टन कूड़ा रोज निकलता है। निगम का दावा है कि इसमें से 1100 मीट्रिक टन कूड़ा उठाया जा रहा है। इसका मतलब लगभग 200 मीट्रिक टन कूड़ा कानपुर की गलियों व सड़कों पर पड़ा रहता है। जो कूड़ा उठाया भी जा रहा है, उसका निस्तारण भी नहीं किया जा रहा है।

नगर निगम के पर्यावरण अभियंता आरके पाल कहते हैं कि भाउपुर कूड़ा निस्तारण प्लांट को दोबारा चालू करने के प्रयास जारी हैं। इस बार 145 करोड़ रुपए की योजना तैयार की गई है और प्रस्ताव राज्य के नगर विकास विभाग को भेजा गया है। विभाग की मंजूरी मिलने के बाद इस दिशा में तेजी से काम किया जाएगा।