प्रतीकात्मक तस्वीर 
स्वच्छता

चेन्नई की पल्लवरम झील के पास सामान्य कचरे के साथ मिला भारी मात्रा में बायोमेडिकल कचरा: रिपोर्ट

साइट पर एमआईओटी हॉस्पिटल्स प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा करीब 200 किलोग्राम और जेम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का 500 किलोग्राम बायो मेडिकल कचरा पाया गया है

Susan Chacko, Lalit Maurya

तमिलनाडु के चेन्नई की पल्लवरम झील के पास तीन स्थानों पर बड़ी मात्रा में अस्पताल से निकलने वाले सामान्य के साथ-साथ बायोमेडिकल कचरे को डंप किया गया है।

इस कचरे को झील के बगल में पल्लवरम रेडियल रोड के साथ, पल्लवरम झील के अंदर, और सरवना सेल्वाराथिनम वाणिज्यिक भवन के सामने रेडियल रोड के साथ फेंका गया है।

यह बातें तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 11 दिसंबर, 2024 को एनजीटी में दाखिल की गई रिपोर्ट में कही गई है।

गौरतलब है कि इस बारे में दिनामलार के चेन्नई संस्करण में 25 सितंबर, 2024 को एक खबर प्रकाशित हुई थी। इस खबर में पल्लवरम एरी में पांच टन मेडिकल कचरे को डंप करने की बात कही गई थी।

टीएनपीसीबी को ताम्बरम नगर निगम, जोन II से 24 सितंबर, 2024 को पल्लवरम झील (पेरिया एरी) के पास पल्लवरम रेडियल रोड के किनारे बायोमेडिकल कचरे के साथ अस्पताल से निकलने वाले सामान्य कचरे की अवैध डंपिंग के बारे में शिकायत मिली थी।

इस शिकायत के आधार पर डीईई, मराईमलाई नगर के अधिकारियों ने मौके का निरीक्षण किया। उन्हें वहां बड़ी मात्रा में अस्पताल से निकलने वाले सामान्य कचरे के साथ बड़ी मात्रा में बायोमेडिकल कचरे की डंपिंग का भी पता चला।

चेंगलपट्टू जिले के थेनमेलपक्कम गांव में जैव-चिकित्सा अपशिष्ट निपटान सुविधा जी जे मल्टीक्लेव प्राइवेट लिमिटेड को आदेश दिया गया कि वह इस कचरे को साइट से हटा दे। साथ ही उसे इस सामान्य कचरे के साथ फेंके गए बायो मेडिकल कचरे को हटाने और प्रोसेस करने का निर्देश दिया गया।

उनसे यह भी कहा गया कि इस कचरे का वो अपनी बायो मेडिकल अपशिष्ट उपचार सुविधा में निपटान करे।

इस साइट पर अवैध रूप से फेंके गए कचरे में अस्पताल के रिकॉर्ड, प्रिस्क्रिप्शन शीट, लेटरहेड, बायोमेडिकल कचरा और कई अस्पतालों का घरेलू कचरा शामिल था। जी जे मल्टीक्लेव ने इस साइट से सामान्य कचरे में से 700 किलोग्राम बायोमेडिकल कचरे को एकत्र किया है।

यह पाया गया कि यूनिट अधिकारियों द्वारा ठोस और बायोमेडिकल कचरे का अलग करने में विफल रहने और उसका उचित प्रबंधन न करने की वजह से बायोमेडिकल कचरा दूसरे कचरे के साथ मिल गया होगा। इस सामान्य कचरे का निपटान ठोस कचरे के विक्रेता अशोक वेस्ट पेपर मार्ट द्वारा किया गया था।

रिपोर्ट के मुताबिक ठोस कचरे के विक्रेता ने वर्षों से डंप किए गए कचरे को साफ किए बिना ही अपने किराए के स्टोरेज यार्ड को खाली कर दिया। वर्तमान मालिक ने फिर एक अनधिकृत विक्रेता से यार्ड की सफाई करवाई। इसकी वजह से पल्लवरम रेडियल रोड के किनारे एक सार्वजनिक क्षेत्र में सामान्य कचरे के साथ-साथ मिले हुए बायोमेडिकल कच्चे को डंप कर दिया गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एमआईओटी हॉस्पिटल्स प्राइवेट लिमिटेड से करीब 200 किलोग्राम और जेम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर से जुड़ा 500 किलोग्राम बायो मेडिकल कचरा डंपिंग क्षेत्र में पाया गया है।

अपशिष्ट संयंत्रों से पैदा हो रही राख के उपयोग से जुड़े नियम प्रस्तुत करे डीपीसीसी: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को एक सप्ताह के भीतर अपशिष्ट-से-ऊर्जा संयंत्रों से निकलने वाली राख-आधारित उत्पादों के उपयोग पर दिशा-निर्देश प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इस मामले में 10 दिसंबर, 2024 को सुनवाई हुई थी।

इससे पहले नौ दिसंबर, 2024 को डीपीसीसी ने इन उत्पादों के संबंध में पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 5 के तहत आदेश जारी किए थे। मामले में अगली सुनवाई 4 अप्रैल, 2025 को होनी है।

13 मार्च, 2024 को टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक खबर के आधार पर इस मामले को अदालत ने स्वतः संज्ञान में लिया है। यह खबर तेहखंड में दिल्ली की पहली इंजीनियर्ड लैंडफिल के खुलने से संबंधित है।

इस खबर के मुताबिक यह इंजीनियर्ड लैंडफिल कचरे के स्थाई प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्लांट कचरे के निपटान से पैदा होने वाली राख को भी प्रोसेस करेगा। खबर में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि एमसीडी दिल्ली में तीन लैंडफिल साइट चलाती है, जिनमें से ओखला स्थित साइट को साल के अंत तक साफ कर दिया जाएगा।