स्वच्छता

जयपुर में आम लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहा सड़क किनारे फेंका गया कचरा

दावा है कि डंप किए जा रहे इस कचरे की वजह से वाहनों के लिए समस्याएं पैदा हो गई हैं और आसपास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जयपुर के जवाहर नगर बाईपास रोड पर फेंके जा रहे कचरे के आरोपों की जांच के लिए दो सदस्यीय संयुक्त समिति को निर्देश दिया है। इस समिति में जयपुर के जिला कलेक्टर और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि शामिल होंगें। ट्रिब्यूनल ने समिति से साइट का दौरा करने और इस मामले में की गई कार्रवाई के साथ एक तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।

एनजीटी द्वारा 21 मई 2024 को दिया यह आदेश राजस्थान में जयपुर में सड़क किनारे डंप किए जा रहे कचरे से जुड़ा है। दावा है कि इस डंपिंग से वाहनों के लिए समस्याएं पैदा हो गई हैं और आसपास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है।

शिकायत के मुताबिक जयपुर नगर निगम और जयपुर हेरिटेज ने सड़क किनारे की जमीन पर मोबाइल टावर लगाने की अनुमति दी थी। जवाहर नगर बाइपास रोड की खुदाई के दौरान मौजूदा सीवर लाइन क्षतिग्रस्त हो गई। इसकी वजह से आसपास के घरों में सीवेज का पानी घुस गया। इसके अतिरिक्त, नगर निगम ठोस कचरे को उचित तरीके से एकत्र करने और उसका निपटान करने में भी विफल रहा है।

नतीजन इस कचरे को सड़क किनारे फेंक दिया गया। सड़क किनारे डंप किए इस कचरे की वजह से लगातार चौबीसों घंटे जाम की स्थिति बन रही है, क्योंकि ट्रक और बस जैसे भारी वाहन जयपुर को पार करने के लिए इसी बाईपास रोड का उपयोग करते हैं।

आरोप है कि अवैध डंपिंग साइट ने आस-पास रहने वाले लोगों के स्वस्थ जीवन के अधिकार को बुरी तरह प्रभावित किया है। इसकी वजह से उनके लिए ठीक से सांस लेना मुश्किल हो गया है। व्यावसायिक वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण आम लोगों के लिए खतरा बढ़ रहा है। जानवर आक्रामक हो गए हैं क्योंकि मांस की दुकानों और होटलों का कचरा वहां फेंक दिया जाता है। साथ ही डंपिंग साइट पर लगातार दुर्गंध बनी रहती है। आवेदक का तर्क है कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के नियम 15 और राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 45 को ठीक से लागू नहीं किया गया है।

छिंदवाड़ा में चल रहा रेत खनन का अवैध कारोबार, एनजीटी ने नियमित निगरानी के दिए निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने तामिया में अवैध खनन और पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के संबंध में मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और खनन विभाग को नियमित रूप से गतिविधियों की निगरानी करने का निर्देश दिया है। 21 मई 2024 को दिया यह निर्देश मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा के तामिया क्षेत्र में चल रहे अवैध खनन से जुड़ा है।

इस मामले में एनजीटी की सेंट्रल बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि यदि वहां किसी प्रकार का उल्लंघन पाया जाता है, तो वहां पर्यावरणीय मुआवजे की वसूली के साथ-साथ नियमों के अनुसार आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए।

गौरतलब है कि 18 दिसंबर, 2023 को पत्रिका में छपी एक खबर में तामिया से 24 किमी दूर रेत से भरे तीन ट्रैक्टरों के जब्त किए जाने का खुलासा किया गया था। आरोप है कि खुलेआम अवैध बालू खनन होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। इस मामले में एनजीटी ने संयुक्त समिति गठित की थी। इस समिति को अपनी जांच में कोई भी व्यक्ति या मशीनरी अवैध खनन में लिप्त नहीं मिली थी।

हालांकि, स्थानीय ग्रामीणों ने समिति को जानकारी दी है कि निरीक्षण से कुछ दिन पहले, सरकारी अधिकारियों ने रेत खनन में शामिल वाहनों को जब्त कर लिया था।

अवैध खनन से जयपुर में हरित क्षेत्र को हो रहा नुकसान, एनजीटी ने जांच के साथ मांगी रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जयपुर में चल रहे अवैध खनन के आरोपों की जांच के निर्देश दिए हैं। मामला राजस्थान में जयपुर की शाहपुरा तहसील के हनुतपुरा गांव में चल रहे अवैध खनन की शिकायत से जुड़ा है। अदालत ने इस मामले में एक संयुक्त समिति के गठन का भी निर्देश दिया है। इस समिति में खान एवं भूविज्ञान विभाग और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शामिल होंगें। अदालत ने इस समिति से साइट की जांच करने के साथ छह सप्ताह के भीतर अपनी तथ्यात्मक रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

इस बारे में दाखिल आवेदन में दावा किया गया है कि खनन के लिए जितने क्षेत्र का पट्टा दिया गया था, उसके भीतर और बाहर दोनों जगह पर्यावरण नियमों को ताक पर रख दिन-रात खनन किया गया। यह भी आरोप है कि भारी विस्फोटकों और मशीनरी के उपयोग से पहाड़ी के हरे-भरे क्षेत्रों को नुकसान पहुंचा है। इसकी वजह से इंसानी जीवन और स्वास्थ्य के साथ-साथ स्थानीय वनस्पतियों और जीवों के लिए खतरा पैदा हो गया है।