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स्वच्छता

बारापुला नाले की सफाई और गाद निकालने के लिए तय की जाए प्राधिकरण की जिम्मेवारी: एनजीटी

एनजीटी का कहना है कि पिछली तारीख पर सुनवाई हो चुकने के बावजूद संबंधित अधिकारियों को यह नहीं पता कि बारापुला नाले के इस खंड की सफाई और गाद निकालने की जिम्मेवारी किसकी है

Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे सभी संबंधित प्राधिकरणों के प्रमुखों की तत्काल एक बैठक आयोजित करें, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि ए-7 से बी तक बारापुला नाले की सफाई और गाद निकालने के लिए कौन जिम्मेवार है।

मुख्य सचिव को पांच अगस्त, 2024 तक बैठक के परिणाम और सौंपी गई जिम्मेवारियों का विवरण देते हुए एक हलफनामा दायर करना होगा।

यह मामला ए-1 से ए-7 और ए-7 से बी तक बारापुला नाले की सफाई और गाद निकालने से जुड़ा है। आवेदक का कहना है कि दिल्ली का सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग ए-1 से ए-7 तक के हिस्से पर काम कर रहा है, लेकिन ए-7 से बी तक के महत्वपूर्ण हिस्से पर कोई काम नहीं किया गया है। ए-7 से बी तक की सफाई के बिना, बैकफ्लो होगा, जिससे ऊपरी हिस्सों की सफाई का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।

सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग की ओर से पेश वकील का कहना है कि ए-7 से बी तक का हिस्सा अभी तक डीडीए ने सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग को नहीं सौंपा है। वहीं डीडीए के वकील का कहना है कि इस हिस्से से गाद निकालना और ड्रेजिंग करना डीडीए की जिम्मेदारी नहीं है।

इस मामले में न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी की बेंच का कहना है कि, "आज न्यायालय में उपस्थित कोई भी अधिकारी या उनका वकील यह बताने की स्थिति में नहीं है कि ए-7 से बी तक के खंड की गाद निकालने या ड्रेजिंग के लिए कौन-कौन से अधिकारी जिम्मेवार हैं।"

“यह आश्चर्यजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है कि बारापुला नाले पर पिछली तारीख पर विस्तार से सुनवाई हो चुकी है और न्यायाधिकरण अभी भी ए-1 से बी खंड के संबंध में इस मुद्दे पर विचार कर रहा है। हालांकि इसके बावजूद संबंधित अधिकारियों को यह स्पष्ट नहीं है कि इस खंड की सफाई और गाद निकालने की जिम्मेवारी किसकी है।"

क्या ओडिशा में माइक्रो कंपोस्टिंग सेंटर, एसओपी और साइटिंग मानदंडों को पूरा करता है या नहीं: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से तीन सप्ताह के भीतर एक नया हलफनामा दायर करने को कहा है। इस हलफनामे में भुवनेश्वर के एक क्षेत्र में माइक्रो कंपोस्टिंग सेंटर की स्थापना के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) और स्थान संबंधी मानदंडों के संबंध में क्या कार्रवाई की गई है, उसका जिक्र होना चाहिए।

रिपोर्ट में यह बताया जाना चाहिए कि क्या माइक्रो कंपोस्टिंग सेंटर एसओपी और साइटिंग मानदंडों को पूरा करता है या नहीं। अगर ऐसा नहीं है, तो इसमें यह भी बताया जाना चाहिए कि क्या इसके लिए कोई वैकल्पिक साइट की पहचान की गई है। इस मामले में क्या अन्य आवश्यक कार्रवाई की गई है उसका जिक्र भी हलफनामे में होना चाहिए।

एनजीटी द्वारा 31 जुलाई, 2024 को दिए इस आदेश के मुताबिक यह हलफनामा तीन सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाना चाहिए।

इस मामले में ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट में कहा है कि भुवनेश्वर नगर निगम ने उसी वार्ड में अपशिष्ट को प्रोसेस करने का निर्णय लिया है जहां वो पैदा हो रहा है। हालांकि रिपोर्ट में माइक्रो कंपोस्टिंग सेंटर स्थापित करने के लिए किसी साइटिंग मानदंड का खुलासा नहीं किया है।

निरीक्षण रिपोर्ट इशारा करती है कि हर दिन पांच मीट्रिक टन से कम कचरा प्रोसेस करने वाली इकाइयों के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति की आवश्यकता नहीं है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भुवनेश्वर नगर निगम को आवासीय क्षेत्रों के पास मौजूद माइक्रो कंपोस्टिंग सेंटर के लिए साइट-विशिष्ट मानक संचालन प्रक्रिया की आवश्यकता है। इसे मानसून के दौरान कचरे को संभालने के लिए एक आपातकालीन योजना भी विकसित करने की आवश्यकता है, क्योंकि निर्धारित समय पर कचरे को सूखा रखना और खाद में बदलना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

एनजीटी ने असम में नए सीमेंट प्लांट के लिए कथित अवैध जन सुनवाई पर मांगा जवाब

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दो अगस्त, 2024 को पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण के साथ अन्य लोगों को अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है। पूरा मामला ताज सीमेंट मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा एक नए सीमेंट प्लांट के लिए 10 जून, 2024 को आयोजित ‘जन सुनवाई’ से जुड़ा है।

आरोप है कि यह सुनवाई अवैध थी और इसमें ग्रामीणों के स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण में रहने के अधिकार का उल्लंघन किया गया है।

अदालत ने अपने आदेश में जिन लोगों को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है, उनमें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, असम राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, ताज सीमेंट शामिल थे। इन सभी से चार सप्ताह के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है। इस मामले में अगली सुनवाई 23 सितंबर, 2024 को होगी।

गौरतलब है कि इस मामले में कामरूप के सोनापुर स्थित कपालकाटा गांव के निवासियों द्वारा एक आवेदन दायर किया गया था।