स्वच्छता

फरीदाबाद की वेस्टा हाइट्स परियोजना में बार-बार किया गया नियमों का उल्लंघन: एनजीटी

पर्यावरण से संबंधित मामलों में सुनवाई के दौरान क्या कुछ हुआ, यहां पढ़ें-

Susan Chacko, Lalit Maurya

एनजीटी के जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और सोनम फेंटसो वांग्दी की पीठ हरियाणा में चल रहे आवासीय परियोजनाओं के मामले में अपना आदेश जारी कर दिया है| उन्होंने अपने आदेश में कहा कि इन आवासीय परियोजनाओं में पर्यावरण से सम्बंधित मानदंडों का बार-बार उल्लंघन किया गया है, जोकि अत्यंत गंभीर है|

मामला फरीदाबाद के सेक्टर-86 में गांव बसलवा का है जहां वेस्टा हाइट्स नामक परियोजना चल रही थी| इस मामले में कोर्ट पर्यावरण मंजूरी और जल (प्रदूषण पर नियंत्रण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की शर्तों के हो रहे उल्लंघन को देख रही थी।

कोर्ट के अनुसार इस परियोजना के लिए जल अधिनियम 1974 के तहत दी गई काम करने की मंजूरी मार्च 2018 में समाप्त हो गई थी। इस परियोजना के लिए बनाए गए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर्याप्त नहीं थे और उनसे आगरा नहर में सीवेज का ओवरफ्लो हो रहा था। 

आवासीय परियोजना के कारण सिसवन नदी के प्रवाह में आ रही है बाधा

1 अक्टूबर 2020 को एनजीटी में ओमैक्स चंडीगढ़ एक्सटेंशन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड का मामला उठाया गया था। यह डेवलपर 'द लेक' नामक एक आवासीय परियोजना की स्थापना कर रहा है। जिस परियोजना के लिए उसने कथित तौर पर सिसवन नदी के प्राकृतिक प्रवाह में बाधा डाली थी| उसने नदी के एक हिस्से को ग्राम भरोजियान में भर दिया गया था और इसे गांव कांसला, उप तहसील माजरी, जिला साहिबजादा अजीत सिंह नगर, मोहाली में पास के एक अन्य स्थान पर मोड़ दिया था।

आवेदक ने गूगल इमेजेस का सहारा लेते हुए दिखाया है कि वर्ष 2003 में जहां एक नाला था उसपर सड़क का निर्माण कर दिया गया था| जबकि नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बनाए रखने के लिए उसपर किसी पुलिया का निर्माण भी नहीं किया गया था। जिसके कारण बाढ़ आने की संभावनाएं बढ़ गई थी और वास्तव में उसके कारण बाढ़ आई भी थी। 

अरुणाचल प्रदेश ने जैव विविधता प्रबंधन समितियों के मामले में एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट

अरुणाचल प्रदेश ने जैव विविधता प्रबंधन समितियों के मामले में अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंप दी है| इस रिपोर्ट में जैव विविधता प्रबंधन अधिनियम, 2002 के अनुसार जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बीएमसी) के गठन और सभी स्थानीय निकायों में पीपुल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टरों (पीबीआर) की तैयारी से जुडी जानकारी भी दी गई है|

अरुणाचल प्रदेश ने एनजीटी को सूचित किया कि राज्य ने 9 अगस्त, 2019 को दिए एनजीटी के आदेश का 100 फीसदी पालन कर लिया है| उसने कुल 1806 समितियों का गठन कर लिया है साथ ही 1806 पीबीआर भी तैयार कर लिए हैं| साथ ही राज्य ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि 1 फरवरी, 2020 को उसपर लगाया गया जुर्माना भी माफ कर दिया जाए| 

चंद्रपुरा थर्मल पावर स्टेशन से लीक हुए तेल का पर्यावरण पर नहीं पड़ा कोई असर: समिति रिपोर्ट 

झारखंड के चंद्रपुरा थर्मल पावर स्टेशन में हुए तेल रिसाव के मामले में गठित जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट 29 सितंबर को एनजीटी को सौंप दी है| इस रिपोर्ट में टीम ने तेल रिसाव से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान का भी आंकलन किया है|

गौरतलब है कि तेल रिसाव की यह घटना 15 अक्टूबर, 2019 को घटित हुई थी। जब तेल को चंद्रपुरा थर्मल पावर स्टेशन की साइट पर अनलोड किया जा रहा था उसी वक्त कनेक्टिंग ह्यू पाइप में दरार आ गई थी, जिससे तेल लीक होने लगा था| यह तेल बरसाती पानी को इकट्ठा करने के लिए बनाए गए ड्रेनेज सिस्टम के रास्ते से दामोदर नदी में पहुंच गया था|

इस लीक हुए तेल को जल निकासी चैनल और नदी से एकत्र किया गया था, जिसे बाद में ड्रम में इकठ्ठा कर लिया गया था| साथ ही तेल के रिसाव को रोकने के लिए फ्लाई ऐश का भी उपयोग किया गया था|

समिति ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था और जानकारी दी है कि कहीं भी हाइड्रोकार्बन के कोई संकेत नहीं मिले हैं। इसके अलावा, पास के कृषि क्षेत्र पर भी पर्यावरणीय नुकसान के कोई संकेत नहीं मिले हैं। इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि ईंधन के रूप में इस्तेमाल होने वाले तेल को कम विषैला माना जाता है और लम्बे समय में इसके क्या परिणाम सामने आएंगे उसके विषय में और अधिक अध्ययन करने की जरुरत है।