नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 28 सितंबर, 2022 को ग्रेटर मुंबई नगर निगम (एमसीजीएमए) को निर्देश दिया है कि वो मुंबई में सॉल्ट पैन क्षेत्र में डंप किए गए कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन पर एक रिपोर्ट तैयार करे। साथ ही कोर्ट ने इस रिपोर्ट को तय समय सीमा के भीतर तैयार करने के लिए कहा है जिसमें इसपर होने वाले खर्च का भी अनुमान होना चाहिए। इस मामले में मुंबई के नमक आयुक्त को भी जरूरी कार्रवाई करनी है, जो महाराष्ट्र के प्रधान सचिव (पर्यावरण) की देखरेख में की जाएगी।
इस मामले में कोर्ट में दायर आवेदन में शिकायत की गई है कि मुंबई के वडाला से माहुल तक तटीय सड़क के पास और चेंबूर से सीएसटी फ्रीवे के करीब मलबे को साल्ट पैन में डंप किया जा रहा है। जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, इसके खिलाफ जरूरी कार्रवाई की जानी चाहिए। जानकारी दी गई है कि मलबे की डंपिंग कर वहां साल्ट पैन अपर टापू बनाए जा रहे हैं जो मैन्ग्रोव को प्रभावित कर रहे हैं।
इस मामले में छह सदस्यीय संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में कोर्ट को सूचित किया है कि गरोड़िया द्वारा संचालित साल्ट पैन 100 से 110 एकड़ में फैला हुआ है और उसके अधिकांश क्षेत्र पर झुग्गीवालों ने अतिक्रमण कर लिया है। इसपर ईंट की चिनाई और सीमेंट से मकान बनाए गए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार साल्ट पैन की परिधि के साथ सीएस नं. 145 में घने मैंग्रोव देखे जा सकते हैं। हालांकि, साल्ट पैन के संचालक, गरोड़िया ने घने मैंग्रोव क्षेत्र और साल्ट पैन के बीच एक विशाल बांध का निर्माण किया है। पता चला है कि दक्षिण मुंबई में कथित तौर से पैदा हो रहा निर्माण और विध्वंस संबंधी कचरा निजी पार्टियों द्वारा साल्ट पैन संचालक की सहमति से इस क्षेत्र में डंप किया जा रहा है।
एनजीटी का कहना है कि संयुक्त समिति की रिपोर्ट से पता चलता है कि अतिक्रमण, बांध का निर्माण, अन्य अवैध निर्माण और पर्यावरण नियमों का उल्लंघन कर डंप किया जा रहा पर्यावरण और विशेष रूप से मैंग्रोव को नुकसान पहुंचा रहा है। हालांकि, समिति ने सीआरजेड अधिसूचना के उल्लंघनकर्ताओं को इंगित नहीं किया है और ऐसे उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ की गई या प्रस्तावित कार्रवाई का भी उल्लेख अपनी रिपोर्ट में नहीं किया है।
कोर्ट के आदेश के बावजूद शामली और सहारनपुर में जारी है अवैध खनन का खेल
एनजीटी ने 28 सितंबर 2022 को कहा कि अवैध खनन रोकने के लिए अदालत ने जो आदेश दिए उनका पालन नहीं हो रहा है। ऐसे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने शामली, सहारनपुर के जिलाधिकारियों और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आगे की कार्रवाई करने और दो महीनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट करने का निर्देश दिया है।
शिकायत थी कि एनजीटी के 11 मई, 2022 को दिए अवैध खनन रोकने और मुआवजा वसूलने के निर्देश के बावजूद, वहां बदस्तूर अवैध खनन का गोरखधंधा जारी है। साथ ही इस मामले में अब तक मुआवजा भी नहीं लिया गया है।
मार्बल स्लरी का होना चाहिए पुनःउपयोग - एनजीटी
एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को मार्बल स्लरी के उपयोग और उसकी अनियमित डंपिंग को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी करने के लिए कहा है। कोर्ट ने आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया गया है कि मार्बल पॉलिश इकाइयों द्वारा भूजल का अवैध दोहन नहीं किया जाए।
साथ ही उद्योगों को जीरो लिक्विड डिस्चार्ज मानकों का पालन करना चाहिए। इतना ही नहीं इससे जुड़े उद्योगों के पास कैप्टिव या संयुक्त मार्बल स्लरी के उपयोग की योजना होनी चाहिए।
कोर्ट का यह आदेश 26 फरवरी, 2022 को एनजीटी में एस श्रीनिवास राव द्वारा दायर आवेदन के जवाब में आया है। अपने आवेदन में उन्होंने आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में हरिश्चंद्रपुरम रेलवे स्टेशन के पास कृषि भूमि पर मार्बल स्लरी की अवैज्ञानिक तरीके से की जा रही डंपिंग की शिकायत कोर्ट से की थी।
जानकारी मिली है कि निम्मदा, पेद्दाबम्मीदी और येत्तुरलाप्पु में स्थित मार्बल पॉलिश इकाइयों से मार्बल स्लरी पैदा हो रही है। अपने 28 सितंबर 2022 को दिए आदेश में एनजीटी ने कहा है कि मार्बल स्लरी को जमा करना पर्यावरण के लिए फायदेमंद नहीं है, जबकि इसका व्यावसायिक उपयोग पता है।
इस बारे में जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और सुधीर अग्रवाल की बेंच ने अजमेर के किशनगढ़ में स्लरी वेस्ट का उदाहरण दिया है, जिसे ईंट, टाइल और सिरेमिक उत्पाद बनाने के लिए वहां से गुजरात के मोरबी में ले जाया गया। साथ ही इसका उपयोग डिस्टेंपर, पुट्टी बनाने और सीमेंट उद्योग में भी किया जाता है।
एनजीटी ने तमिलनाडु और पुडुचेरी में अवैध झींगा फार्म्स पर अंकुश लगाने का दिया निर्देश
एनजीटी ने तटीय जलकृषि प्राधिकरण (सीएए) को तमिलनाडु और पुडुचेरी की तट रेखा के साथ-साथ मौजूद सभी मछली फार्म्स का विस्तृत सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया है।
कोर्ट ने सीएए को स्पष्ट कहा है कि उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वहां मौजूद फार्म्स सीआरजेड अधिसूचना, 2011, सीएए अधिनियम, 2005, वायु अधिनियम 1981 और जल अधिनियम 1974 सहित अन्य लागू अधिनियमों का पालन कर रहे हैं।
गौरतलब है कि सीआरजेड अधिसूचना, 2011 और 2019 के तहत परिभाषित सीआरजेड क्षेत्र में काम कर रही सभी झींगा फार्मों को सीएए अधिनियम, 2005 के तहत पंजीकरण लेने के साथ-साथ तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (सीजेडएमए) से सीआरजेड मंजूरी लेना अनिवार्य है।
एनजीटी ने अपने 29 सितंबर 2022 को दिए आदेश में कहा है कि जो हैचरी निषिद्ध क्षेत्र के भीतर चल रही हैं, उन्हें सीएए द्वारा हटा दिया जाना चाहिए और उनपर मुकदमा दायर किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कितना नुकसान पहुंचाया है उसके आधार पर मुआवजे का आकलन किया जाना चाहिए।