स्वच्छता

नागालैंड में हर दिन लैंडफिल में डाला जा रहा है 107.45 टन कचरा: रिपोर्ट

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

नागालैंड में हर दिन 282.43 टन कचरा पैदा हो रहा है, जिसमें से केवल 102 टन कचरा प्रोसेस किया जाता है। मतलब कि वेस्ट प्रोसेसिंग में 180.43 टन प्रतिदिन का अंतर है। वहीं करीब 107.45 टन कचरे का निपटान हर दिन लैंडफिल में किया जा रहा है। इतना ही नहीं पता चला है कि राज्य में वर्षों से जमा कचरे की कुल मात्रा करीब 153,010.97 टन है। इसके बावजूद दीमापुर नगर परिषद में हो रही बायोमाइनिंग अभी काम नहीं कर रही है।

वहीं दूसरी तरफ पैदा हो रहे सीवेज और स्थापित सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता के बीच 9.12 करोड़ लीटर प्रति दिन (एमएलडी) का अंतर है। ठोस और सीवेज कचरे को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए, एरोबियो बैक्टीरिया की खरीद की गई है और उसे 26 शहरी स्थानीय निकायों को वितरित किया गया है। इसी तरह, नालों, डंप साइटों, जल निकायों के बायोरिमेडिएशन के लिए ग्रीन ब्रान ऑर्गेनिक बैक्टीरिया भी यूएलबी को वितरित किए गए हैं।

यह जानकारी एनजीटी द्वारा 30 नवंबर, 2021 को दिए आदेश पर कोर्ट में सबमिट की गई है, जो राज्य में सॉलिड वेस्ट और सीवेज प्रबंधन से संबंधित नवीनतम आंकड़ों पर आधारित है।

वर्षों से जमा कचरे की समस्या से जूझ रहा है कोच्चि नगर निगम: रिपोर्ट

रिपोर्ट से पता चला है कि कोच्चि नगर निगम ब्रह्मपुरम संयंत्र में जमा वर्षों पुराने कचरे से संबंधित समस्या का सामना कर रहा है। इस कचरे के निपटान के लिए बायोमाइनिंग प्रक्रिया अपनाई गई है जिसकी जिम्मेदारी जोंटा इंफ्राटेक को सौंपी गई है। यह जानकारी कोच्चि नगर निगम द्वारा 21 नवंबर, 2022 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में सबमिट रिपोर्ट में सामने आई है।

इस बारे में एनआईटी, कालीकट द्वारा किए गए ड्रोन सर्वेक्षण के अनुसार वर्षों से जमा कचरे की कुल मात्रा करीब 5.6 लाख क्यूबिक मीटर आंकी गई है, जो करीब 40.25 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। पता चला है कि इसकी गणना के लिए इस क्षेत्र को सात सेक्टरों में विभाजित किया गया था और प्रत्येक सेक्टर में अलग-अलग मात्रा का विश्लेषण किया गया था।

रिपोर्ट के अनुसार, बायोमाइनिंग प्रक्रिया को अपनाने से करीब 80 फीसदी भूमि को पुनः प्राप्त किया जा सकता है। बायोमाइनिंग की यह प्रक्रिया 20 जनवरी, 2022 से शुरू कर दी गई है। अब तक सेक्टर 4,5,6 और 7 में यह काम पूरा किया जा चुका है। यानी करीब 25 फीसदी काम और 10 एकड़ जमीन लगभग साफ की जा चुकी है। अनुमान है कि बायोमाइनिंग प्रक्रिया जून 2023 के निर्धारित समय के भीतर पूरी होने की उम्मीद है।

पता चला है कि इसमें से करीब 30 टन रिफ्यूज व्युत्पन्न ईंधन (आरडीएफ) को डालमिया सीमेंट को भेजा जाता है और शेष आरडीएफ को जमा कर लिया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक ब्रह्मपुरम में हर दिन करीब 190 से 210 टन बायोडिग्रेडेबल कचरा पहुंच रहा है और इसे विंडो कंपोस्टिंग के जरिए उर्वरक में परिवर्तित किया जा रहा है।

मौजूदा विंडो कम्पोस्ट प्लांट जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है और कोच्चि नगर निगम को प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले पूरे कचरे को संभालना पड़ता है। इस समस्या को हल करने के लिए 79.28 लाख रुपए की लागत से एक नई परियोजना शुरू की गई है।

एनजीटी ने कोकिंग कोल लिमिटेड पर लगाया 75.9 लाख रुपए का जुर्माना

झारखंड के भागमारा में वायु प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए भारत कोकिंग कोल लिमिटेड द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे में एनजीटी ने परियोजना प्रस्तावक पर 75.9 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। मामला धनबाद जिले के भागमारा में ओपन कास्ट खदान के ओवरबर्डन के जलने से हो रहे वायु प्रदूषण से संबंधित है।

कोर्ट ने कहा कि आग को काबू पाने और पुनर्वास के लिए मास्टर प्लान अभी भी लागू किया जा रहा है। साथ ही आदेश में कहा गया है कि पीपी द्वारा धूल को कम करने के लिए लगाए गए कुछ उपकरण अभी भी काम नहीं कर रहे हैं।