स्वच्छता

बढ़ते कचरे को लेकर एनजीटी सख्त, राजस्थान पर लगाया 3,000 करोड़ रुपए का जुर्माना

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कड़ा फैसला लेते हुए राजस्थान पर 3,000 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। अपने 15 सितंबर, 2022 को दिए आदेश में कोर्ट ने यह जुर्माना राज्य में वर्षों से जमा कचरे, तरल अपशिष्ट और सीवेज का उचित निपटान न करने के लिए लगाया है।

कोर्ट के आदेशानुसार इस राशि का भुगतान अगले दो महीनों के भातर करना है। इस राशि को एक अलग खाते में रखा जाएगा, जिसका संचालन मुख्य सचिव के हाथों में होगा। साथ ही इस राशि का उपयोग राज्य में बहाली के लिए किया जाना है।

इसके तहत सीवेज प्रबंधन के संबंध में बहाली उपायों में सीवेज उपचार और उपयोग प्रणाली की स्थापना शामिल होगी। साथ ही मौजूदा सीवेज प्रणालियों को उन्नत बनाकर जिससे उनकी पूरी क्षमता का उपयोग किया जा सके, वो भी इसमें शामिल है। साथ ही इस विषय में राज्य में मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करना, जिसमें फेकल कोलीफॉर्म शामिल हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में उचित फेकल सीवेज और कीचड़ प्रबंधन की स्थापना करना जैसे उपाय भी इसमें शामिल हैं।

वहीं यदि ठोस कचरे के संबंध में देखें तो इस योजना के तहत आवश्यक वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट्स की स्थापना और बचे हुए 161 स्थानों पर इसके उपचार के उपाय करना शामिल होंगें। कोर्ट के अनुसार जैव-उपचार एवं जैव-खनन प्रक्रिया को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के दिशानिर्देशों के अनुसार संचालित करने की आवश्यकता है।

वहीं बायोमाइनिंग के साथ-साथ जैविक कचरे के लिए खाद संयंत्रों को स्थापित करने के लिए निर्देशों का पालन करना भी जरुरी है। साथ ही ऐसी प्रक्रियाओं के दौरान पैदा हुई अन्य सामग्री को अधिकृत डीलरों/हैंडलर/उपयोगकर्ताओं के माध्यम से उपयोग में लाया जाना चाहिए।

उपरोक्त दोनों बहाली योजनाओं को सभी जिलों, शहरों, कस्बों और गांवों में बिना किसी देरी के समयबद्ध तरीके से जल्द से जल्द एक साथ क्रियान्वित करने की जरुरत है। अदालत ने चेतावनी दी है कि यदि उल्लंघन जारी रहता है, तो अतिरिक्त जुर्माना लगाने पर विचार करना पड़ सकता है।

उपरोक्त दोनों बहाली योजनाओं को सभी जिलों, शहरों, कस्बों और गांवों में बिना किसी देरी के समयबद्ध तरीके से जल्द से जल्द एक साथ क्रियान्वित करने की जरुरत है। अदालत ने चेतावनी दी है कि यदि उल्लंघन जारी रहता है, तो अतिरिक्त जुर्माना लगाने पर विचार करना पड़ सकता है।

एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि इसके पालन की जिम्मेवारी मुख्य सचिव की है, जिसके लिए वो तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम की मदद ले सकता है।

सई नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर एनजीटी सख्त, नौ सदस्यीय निगरानी समिति के गठन का दिया निर्देश

सई नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 14 सितंबर, 2022 को नौ सदस्यीय निगरानी समिति के गठन का निर्देश दिया है। यह समिति नदी में बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम और उपचार के लिए एक कार्य योजना तैयार करेगी, जिससे छह महीनों के भीतर ठोस नतीजे मिले सके। मामला उत्तरप्रदेश का है।

इस कार्य योजना में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) का संचालन शामिल होगा। साथ ही इन एसटीपी की स्थापना और संचालन के लिए नालियों का रोकना और मोड़ शामिल है। इसके साथ ही नदियों के बाढ़ के मैदान को को बनाए रखना, अतिक्रमण को रोकना, वृक्षारोपण सुनिश्चित करना और नदियों से गाद निकालना जैसी गतिविधियां भी इस कार्य योजना का हिस्सा हैं।

इस बारे में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी रिपोर्ट में जानकारी दी गई थी कि वहां हर दिन पांच करोड़ लीटर से ज्यादा दूषित सीवेज नालियों में डाला जा रहा है। इसमें 100 करोड़ रुपए की मुआवजे की राशि भी शामिल है, जिसमें उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा लगाए गए 36.5 करोड़ रुपए के जुर्माने का भुगतान अब तक नहीं किया गया है।

इस बारे में एनजीटी के समक्ष 25 जुलाई, 2019 को दायर एक आवेदन में कहा गया था कि उत्तर प्रदेश, विशेष रूप से प्रतापगढ़, राय बरेली और जौनपुर में, सई नदी में डाले जा रहे दूषित सीवेज को रोकने में विफल रह है।

लक्ष्मी ताल को बचाने के लिए उठाए जाएंगें कदम, उत्तर प्रदेश ने एनजीटी दिया आश्वासन

उत्तर प्रदेश शहरी विकास सचिव ने एनजीटी को आश्वासन दिया है कि झांसी में लक्ष्मी ताल को बचाने के लिए प्रदूषण को नियंत्रित करने और बढ़ते अतिक्रमण को हटाने के लिए जरूरी उपचारात्मक कार्रवाई की जाएगी। मामला उत्तरप्रदेश के झांसी जिले का है।

अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि वहां पैदा हो रहे 26 एमएलडी सीवेज के खिलाफ केवल 8 से 10 एमएलडी का ही उपचार किया जा रहा है, जिसे देखने और ठीक करने की जरूरत है। कोर्ट का कहना है कि चूंकि जलाशय के लिए रिचार्जिंग स्रोत का अभाव है, ऐसे में यदि उपचारित सीवेज बीओडी और फीकल कोलीफॉर्म स्तर के अनुरूप हो तो इसका उपयोग ताल को भरने के लिए किया जा सकता है जिससे वहां मत्स्य पालन किया जा सके।

गौरतलब है कि 14 सितंबर 2022 को दिया एनजीटी का यह आदेश लक्ष्मी ताल पर होते अतिक्रमण और उसमें डाले जा रहे गंदे सीवेज और कूड़े की शिकायतों के जवाब में था। 

उन्नाव और कानपुर में अवैध बालू खनन पर एनजीटी ने एक सप्ताह में मांगा जवाब

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अवैध बालू खनन मामले में उत्तर प्रदेश के भूविज्ञान और खनन निदेशालय को एक सप्ताह के भीतर जबाव देने का निर्देश दिया है। मामला कानपुर और उन्नाव में अवैध बालू खनन से जुड़ा है।

शिकायतकर्ता का कहना है कि गंगा नदी पर एक अनधिकृत पुल का भी निर्माण किया गया है, जिसके कारण नदी दो धाराओं में बंट गई है। जो आसपास के गांवों में रहने वालों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।