स्वच्छता

गोकर्ण में स्वच्छता की स्थिति बहुत दयनीय, एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सात जुलाई, 2023 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर कन्नड़ जिले की कुमटा तालुका के गोकर्ण में अपशिष्ट प्रबंधन और स्वच्छता की स्थिति बहुत खराब है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्राम पंचायत क्षेत्र में बुनियादी स्वच्छता सेवाएं प्रदान करने में विफल रही है। इतना ही नहीं गोकर्ण ग्राम पंचायत में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में कोई भूमिगत जल निकासी (यूजीडी) प्रणाली नहीं है।

शहर के केंद्र में एक नाला (राजा कलुवे) गुजरता है। वहां हर घर से निकलने वाला सीवेज इस नाले के जरिए संगम नाले में मिलता है और अंततः यह मुख्य समुद्र तट से होते हुए समुद्र में मिल जाता है। ज्वार में जब पानी बढ़ता है तो उसके दौरान, समुद्र का पानी संगम नाला में प्रवेश कर जाता है और निम्न ज्वार के दौरान जैसे ही पानी कम होता है, तब डंप किए गए ठोस और तरल कचरे को नाले में देखा जा सकता है। "जो स्वयं बहुत खराब स्थिति में है।"

इस मामले में शिकायतकर्ता अना ने जोकि खुशी परिसारा की अध्यक्ष हैं, ने वह स्थान दिखाया जहां ग्राम पंचायत भूमि में सड़क के किनारे, समुद्र तट के क्षेत्र में कचरे को दबाया गया है। वहां मिश्रित कचरा रेत के नीचे दबा हुआ पाया गया है। जब पर्यटन का समय आता है तो उस अवधि के दौरान, मुख्य समुद्र तट क्षेत्र में कई अस्थाई दुकानें स्थापित की गईं थी और हर जगह ठोस कचरा फेंका हुआ पाया गया था।

इसी तरह मुख्य समुद्र तट और जिस स्थान पर संगम नाला समुद्र में मिलता है वहां खुले में शौच करने के सबूत मिले हैं। स्वयं संगम नाला भी पर्यटकों द्वारा फेंकी गई प्लास्टिक की बोतलों और अनचाही सामग्री से भरा हुआ था।

केएसपीसीबी द्वारा 23 फरवरी, 2023 को निरीक्षण के दौरान, यह पाया कि गोकर्ण ग्राम पंचायत ने अभी तक अपनी लैंडफिल साइट की पहचान नहीं की है। हालांकि उसने अपने परिसर में एक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र स्थापित किया है। ग्राम पंचायत के परिसर में हर जगह भारी मात्रा में मिश्रित कचरा फेंका जाता था, वहां कोई भी कंपोस्ट मशीन या बेलिंग मशीन प्रवेश नहीं कर सकता है। इसी तरह अधिकारियों ने बेल्ड प्लास्टिक कचरे को सीमेंट संयंत्रों में भेजने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है।

पेड़ों के आसपास से हटाएं कंक्रीट और निर्माण सामग्री: एनजीटी

एनजीटी की पूर्वी बेंच ने संयुक्त समिति को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि जमशेदपुर में पेड़ों के तने के कम से कम एक मीटर के दायरे में कोई कंक्रीट, निर्माण या मरम्मत सामग्री का काम नहीं होना चाहिए। मामला झारखंड के जमशेदपुर का है।

कोर्ट ने निर्देश दिया है कि पेड़ों के आधार के एक मीटर के दायरे में सभी पक्की टाइलें और सड़क निर्माण से जुड़ी सामग्री हटा दी जानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बारिश का पानी पेड़ों की जड़ों तक पहुंचता रहा।

ट्रिब्यूनल ने सात जुलाई, 2023 को कहा कि जो पेड़ मर गए हैं या जिनका जीर्णोद्धार या पुनरोद्धार संभव नहीं है, उन्हें पेड़ों की अन्य सक्षम प्रजातियों से बदला जाना चाहिए। अदालत का यह भी कहना है कि समिति को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि दिए गए निर्देशों का आगामी मानसून सीजन के दौरान विधिवत पालन किया जाए और 11 सितंबर, 2023 तक इस बाबत हलफनामा दायर किया जाए।

प्रयागराज के शंकरगढ़ ब्लॉक में चल रहे अवैध खनन और रेत वाशिंग प्लांट पर एनजीटी ने मांगी ताजा रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 10 जुलाई, 2023 को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) से नई रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने यह रिपोर्ट प्रयागराज के शंकरगढ़ ब्लॉक में खनन क्षेत्रों को बहाल करने के लिए उठाए गए कदमों पर तलब की है। साथ ही कोर्ट ने सभी उल्लंघनकर्ताओं की पहचान करने और पिछले दिनों इस मामले में की गई कार्रवाई की जानकारी भी मांगी है।

वहीं यूपीपीसीबी की ओर से पेश वकील ने अदालत को जानकारी दी है कि उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार दिए गए 25 खनन पट्टों में से सात पट्टे सक्रिय हैं। वहीं 18 पट्टे पहले ही समाप्त हो चुके हैं। इसके अलावा, 42 सिलिका सैंड वाशिंग प्लांट हैं। रिपोर्ट में खनन और सैंड वाशिंग प्लांट्स के संबंध में कई उल्लंघनों का संकेत दिया है।

हालांकि, रिपोर्ट में खनन क्षेत्रों की बहाली, सीटीओ की शर्तों के अनुपालन, देखे गए नुकसान की सीमा और एनजीटी द्वारा नोट किए गए अन्य पहलुओं के बारे में विस्तार जानकारी नहीं दी गई है।