स्वच्छता

सुप्रीम कोर्ट ने कचरे की अवैध डंपिंग के मामले में महाराष्ट्र की एक ग्राम पंचायत से मांगा हलफनामा

हलफनामे में ग्राम पंचायत को इस बात की जानकारी देनी है कि वो ठोस अपशिष्ट नियम, 2016 का पालन कैसे करेगी

Susan Chacko, Lalit Maurya

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में पुणे की मान ग्राम पंचायत को एक महीने के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा है। हलफनामे में ग्राम पंचायत को इस बात की जानकारी देनी है कि वो ठोस अपशिष्ट नियम, 2016 का पालन कैसे करेगी। दो फरवरी 2024 को दिए इस निर्देश के मुताबिक हलफनामे को एक महीने के भीतर दायर करना होगा।

साथ ही  कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया है कि इस दौरान मान ग्राम पंचायत पर एनजीटी द्वारा लगाए मुआवजे की वसूली के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

मान ग्राम पंचायत ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा 22 फरवरी, 2023 को दिए अंतिम फैसले के निर्देशानुसार ठोस और अन्य कचरे को पूरी तरह साफ कर दिया गया है।

गौरतलब है कि 22 फरवरी, 2023 को दिए अपने आदेश में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कचरा की अवैध डंपिंग और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए मान ग्राम पंचायत पर 34 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। बता दें कि क्लिफ गार्डन कॉन्डोमिनियम ने वन विभाग की जमीन पर पंचायत द्वारा अवैध तौर पर कचरे की डंपिंग के मामले में एनजीटी का दरवाजा खटखटाया था।

झारसुगुड़ा में अवैध खनन के आरोपों की जांच के लिए समिति गठित

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पांच फरवरी 2024 को अवैध खनन के आरोपों की जांच के लिए एक समिति के गठन का आदेश दिया है। मामला ओडिशा के झारसुगुड़ा जिले में अवैध खनन से जुड़ा है।

इस समिति में ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य, झारसुगुड़ा में प्रभागीय वन अधिकारी, भुवनेश्वर और खुरधा में खान और भूविज्ञान के निदेशक और झारसुगुड़ा के जिला कलेक्टर शामिल होंगें। कोर्ट ने समिति को संबंधित साइट का निरीक्षण करने का काम सौंपा है। समिति को एक माह के भीतर आरोपों की जांच कर हलफनामे पर रिपोर्ट सबमिट करने को कहा गया है।

गौरतलब है कि यह मामला निर्माण परियोजनाओं और विभिन्न स्थानों से मिट्टी/मोरम निकालने वाली एक इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी आदित्य कंस्ट्रक्शन से जुड़ा है। आरोप है कि इस कंपनी ने झारसुगुड़ा में करीब 56,100 क्यूबिक मीटर मोरम का अवैध खनन किया है। बता दें कि अवैध खनन की यह खबर स्थानीय उड़िया अखबार 'प्रमेय' में छपी थी।

सोसाइटी के सीवेज को सिस्टम से क्यों नहीं किया जोड़ा जा सकता, एसपीसीबी ने दी जानकारी

ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनजीटी की पूर्वी बेंच को जानकारी दी है कि मनोरमा एस्टेट्स वेलफेयर सोसाइटी में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) नहीं बनाया जा सकता।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि चूंकि मनोरमा एस्टेट निचले इलाके में स्थित है, इसकी वजह से गुरुत्वाकर्षण के चलते सोसायटी के सीवेज को उनके सिस्टम से नहीं जोड़ा जा सकता। बता दें कि यह जानकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पांच फरवरी 2024 को दी गई है।

हलफनामे में यह भी कहा गया है कि मनोरमा एस्टेट्स को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से नौ सितंबर, 2023 को एक पत्र भेजा गया था, जिसमें उन्हें बताया गया था कि सोसायटी परिसर में एक पंपिंग स्टेशन का निर्माण जरूरी है। इसकी मदद से सीवेज को पास के सीवरेज सिस्टम में पंप किया जा सकता है।

ऐसे में एनजीटी ने मनोरमा एस्टेट्स वेलफेयर सोसाइटी और वाटर कॉरपोरेशन ऑफ ओडिशा (वाटको) को तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।