स्वच्छता

वर्षों से जमा कचरे को निपटाने के लिए मेरठ नगर निगम को है फंड की जरूरत: रिपोर्ट

मेरठ नगर निगम की योजना संयंत्र क्षमता को 600 से बढ़ाकर 4500 टन प्रतिदिन करने की है, जिसके लिए 50 करोड़ रुपए के बजट की आवश्यकता होगी

Susan Chacko, Lalit Maurya

मेरठ के लोहिया नगर में कचरा डंप साइट करीब 20 साल पुरानी है, जहां मौजूदा समय में हर दिन 600 टन क्षमता के साथ वर्षों से जमा कचरे का निपटान किया जा रहा है। इसके लिए जैव-उपचार तकनीकों की मदद ली जा रही है, ताकि इस साइट को दोबारा से साफ किया जा सके।

मेरठ नगर निगम ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि मेरठ में पुराने और नए दोनों तरह के कचरे के बेहतर प्रबंधन के लिए इस साइट की प्रसंस्करण क्षमता को भविष्य में उपलब्ध वित्त के आधार पर बढ़ाया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल मेरठ नगर निगम को राज्य वित्त आयोग से हर महीने करीब 18 से 20 करोड़ रुपए मिलते हैं।

लोहिया नगर में वर्षों से जमा कचरे को जल्द से जल्द निपटाने के आवश्यक खर्चों की भरपाई के लिए निगम पूरी तरह से इसी फंडिंग पर निर्भर है, उसके पास इसके लिए कोई अन्य स्रोत उपलब्ध नहीं हैं।

वहीं मेरठ नगर निगम की योजना इस संयंत्र की क्षमता को 600 से बढ़ाकर 4500 टन प्रतिदिन करने की है, जिसके लिए 50 करोड़ रुपए के बजट की आवश्यकता होगी। इस संयंत्र को अपग्रेड करने का प्रस्ताव भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को भेजा गया है। इस अपग्रेडेशन पर करीब 50 करोड़ का खर्च आएगा। एनएचएआई से मंजूरी मिलने के बाद इस धनराशि को मेरठ नगर निगम को हस्तांतरित कर दिया जाएगा।

रिपोर्ट के मुताबिक एक बार अपग्रेड होने के बाद इस संयंत्र की मदद से हर महीने करीब 1.35 लाख मीट्रिक टन कचरे को प्रोसेस किया जा सकेगा। ऐसे में इसकी मदद से वर्षों से जमा कचरे का भी निपटान हो सकेगा। इतना ही नहीं मौसमी कारकों को ध्यान में रखते हुए इस उन्नत संयंत्र के स्थापित होने के बाद नौ से 12 महीनों के भीतर इस जमीन को दोबारा बहाल किया जा सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार एक बार जैव-उपचार की मदद से इस जमीन को दोबारा बहाल कर लिया जाएगा तो पुराने प्रसंस्करण उपकरण को भविष्य में उपयोग के लिए मेरठ विकास प्राधिकरण की नजदीकी जमीन पर ले जाया जाएगा। वहीं लोहिया नगर में वर्षों से जमा कचरे के निपटान के बाद खाली जमीन का उपयोग 1000 टीपीडी क्षमता की एक एकीकृत नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधा बनाने के लिए किया जाएगा।

इस सुविधा में गीला और सूखा दोनों तरह के कचरों के साथ निर्माण और विध्वंस से पैदा होने वाले कचरे को प्रोसेस करने के लिए भी इकाइयां बनाई जाएंगी।

भंडारली डंपिंग साइट में जमा है एक लाख मीट्रिक टन कचरा, जल्द कर दिया जाएगा साफ: रिपोर्ट

ठाणे नगर निगम ने एनजीटी को सूचित किया है कि भंडारली डंपिंग साइट को बंद कर दिया गया है, और पुराने कचरे के निपटान का काम तय समयसीमा के अनुसार चल रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक दिवा स्थित डंपिंग ग्राउंड पहले ही अपनी अधिकतम क्षमता पर पहुंच चुका था। इसकी वजह से निगम को भंडारली में निजी जमीन पर कचरा जमा और संसाधित करना पड़ा था।

रिपोर्ट में यह भी  जानकारी दी गई है कि नगर निगम ने भंडारली स्थल पर कूड़ा अलग करने के लिए ट्रॉलिंग मशीन का इस्तेमाल किया है। वहीं गीले कचरे को जैविक खाद में बदला गया है और बाकी बचे कचरे का वैज्ञानिक तरीके से प्रोसेस किया गया था। गौरतलब है कि भंडारली साइट 25 अक्टूबर, 2023 को बंद कर दी गई थी। साथ ही भंडारली के लिए पोस्ट-क्लोजर योजना महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) को प्रस्तुत की जाएगी।

भंडारली में लीचेट को इकट्ठा करने के लिए एक कुआं बनाया गया है, इस लीचेट को बाद में मुंब्रा में पास स्थिति एसटीपी में नियमित रूप से ट्रीट किया जाता है। वहीं एमपीसीबी से मंजूरी और सहमति मिलने के बाद दायघर में एक नई साइट शुरू हो चुकी है। 

जब पूरे ठाणे शहर में वर्षों से जमा पुराने कचरे को निपटाने की बात आती है तो निगम ने दो मई, 2023 को इसके लिए एक प्रस्ताव के माध्यम से मेसर्स मार्स प्लानिंग एंड इंजीनियरिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड का चयन किया है। सलाहकार ने पुराने कचरे को साफ करने के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) प्रस्तुत की है, जिसे एक दिसंबर, 2023 को नगरपालिका के आयुक्त द्वारा स्वीकार कर लिया गया था।

दो जनवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक भंडारली साइट में वर्षों से जमा पुराना कचरा करीब एक लाख मीट्रिक टन है। रिपोर्ट के मुताबिक कार्य आदेश जारी होने के बाद तीन महीने में इस पुराने कचरे को साफ कर दिया जाएगा।

यूपीपीसीबी रूप नगर, ट्रोनिका सिटी और आर्य नगर औद्योगिक क्षेत्र में नियमित तौर पर कर रहा है उद्योगों की जांच

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) नियमित रूप से गाजियाबाद के लोनी में रूप नगर, आर्य नगर औद्योगिक क्षेत्र और ट्रोनिका सिटी में निगरानी कर रहा है। जल अधिनियम 1974 और वायु अधिनियम 1981 का उल्लंघन करने वाली इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। यह बातें एसपीसीबी ने दो जनवरी 2024 को एनजीटी में सौंपी अपनी अनुपालन रिपोर्ट में कही हैं।

यह रिपोर्ट एनजीटी द्वारा 16 अक्टूबर, 2023 को दिए आदेश पर सबमिट की गई है। गौरतलब है कि एनजीटी को 19 उद्योगों और एक सीईटीपी के खिलाफ शिकायत मिली थी। इन 19 उद्योगों में से सात रूप नगर में, चार आर्य नगर में, वहीं ट्रोनिका सिटी, लोनी, गाजियाबाद में आठ उद्योग और एक सीईटीपी स्थित हैं।

जानकारी दी गई है कि रूप नगर में स्थित उद्योगों ने अपने स्वयं के अपशिष्ट उपचार संयंत्र स्थापित किए हैं और वो सीईटीपी से नहीं जुड़े हैं। यह सीईटीपी अपने अपशिष्ट को इंदिरापुरी नाले से यमुना नदी में प्रवाहित करते हैं।

वहीं ट्रोनिका सिटी में, उद्योगों के पास अपने स्वयं के प्राथमिक अपशिष्ट उपचार संयंत्र (पीईटीपी) हैं, और इन संयंत्रों से उपचारित अपशिष्ट को आगे के उपचार के लिए एक सामान्य प्रवाह उपचार संयंत्र (सीईटीपी) में भेजा जाता है। सीईटीपी अपने उपचारित अपशिष्ट को जावली नाले में छोड़ता है, जो अंततः हिंडन नदी में मिल जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, इस सीईटीपी की नियमित निगरानी सुनिश्चित की जा रही है।

12 सितंबर, 2023 से 23 नवंबर, 2023 तक कई दौरों के दौरान यह देखा गया कि सीईटीपी ठीक से काम नहीं कर रहा था। सीईटीपी के आउटलेट से एकत्र किए गए नमूनों के विश्लेषण से पता चला है कि कुछ पैरामीटर निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करते हैं। इन उल्लंघनों को ध्यान में रखते हुए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसमें सीपीसीबी की पद्धति के आधार पर, उल्लंघन के 68 दिनों के लिए सत्रह लाख का पर्यावरणीय मुआवजा प्रस्तावित किया गया है।

यूपीपीसीबी के अधिकारियों ने पांच से 21 दिसंबर, 2023 के बीच सीईटीपी का सबसे हालिया निरीक्षण किया गया है। सीईटीपी आउटलेट से एकत्र किए गए नमूनों के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि पैरामीटर निर्धारित मानकों के अनुरूप हैं। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के साथ एक संयुक्त निरीक्षण एक नवंबर, 2023 को किया गया था, हालांकि उसकी रिपोर्ट भी लंबित है।