फैजपुर नगर परिषद के तत्कालीन मुख्य अधिकारी द्वारा कचरे को ढाडी नदी की मुख्य धारा में दबाकर मिट्टी से ढक दिया था। यह कारनामा 31 दिसंबर, 2017 को स्वच्छ सर्वेक्षण अभियान-2018 की निगरानी समिति के दौरे से पहले किया गया। इस काम के लिए मिट्टी को किसी अन्य क्षेत्र से लाया गया था।
वहीं बरसात के साढ़े तीन मौसमों में आई बाढ़ के दौरान अधिकांश ठोस कचरे को नीचे बहा दिया गया। वहीं गहराई में दबे कचरे के हिस्से अभी भी मौजूद हैं जो भूजल को दूषित कर रहे हैं। यह जानकारी 26 अप्रैल, 2023 को ललितकुमार एन चौधरी द्वारा एनजीटी के समक्ष दायर रिपोर्ट में कही गई हैं।
गौरतलब है कि ढाडी, तापी की एक उपनदी है जो भुसावल से सूरत के साथ-साथ कई शहरों के लिए पीने के पानी का एक मुख्य स्रोत है। ऐसे में शिकायतकर्ता का कहना है कि ऐसे में किसी भी स्थिति में नदी बेसिन और नदी तल के नीचे कचरे की डंपिंग ठीक नहीं है। यह रिपोर्ट 3 मई, 2023 को एनजीटी की साइट पर अपलोड की गई है।
कप्पलाडोड्डी में हुआ था अवैध खनन, जुर्माने के लिए उठाए जा रहे हैं कदम: रिपोर्ट
खनन विभाग के अधिकारी मिट्टी और रेत के अवैध खनन में लिप्त भू मालिकों पर जुर्माना लगाने के लिए कदम उठा रहे हैं। यह बात बंदर के राजस्व मंडल अधिकारी द्वारा एक मई, 2023 को एनजीटी में दायर रिपोर्ट में कही गई है। मामला आंध्रप्रदेश के कृष्णा जिले में कप्पलाडोड्डी गांव का है।
गौरतलब है कि गुडुरु के तहसीलदार ने वर्ष 2022 में बसाका (रेत और जलोढ़ का मिश्रण) का परिवहन करते हुए छह वाहनों को एक साथ रोक दिया था, जिनपर जुर्माना भी लगाया गया था। इसके अतिरिक्त तहसीलदार ने अवैध खनन के खिलाफ आगे की कार्रवाई के लिए भू-स्वामियों और पट्टादारों का विवरण एवं पते के बारे में भी जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक विजयवाड़ा के खान और भूविज्ञान विभाग के रॉयल्टी इंस्पेक्टर ने इसकी क्षेत्रीय स्तर पर जांच के बाद इस बात की पुष्टि की है कि कप्पलाडोड्डी गांव में अवैध खनन हुआ था।
तझुथली कुप्पम मुहाने के किनारे से हटाया जाए अवैध निर्माण: एनजीटी
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने तमिलनाडु पर्यटन विकास निगम को निर्देश दिया है कि वो चेंगलपट्टू में बिना किसी मंजूरी के किए गए निर्माण को हटा दे। मामला तमिलनाडु के चेंगलपट्टू में चेयूर तालुका के मुदलियारकुप्पम गांव का है। इस निर्माण में जल स्रोत और समुद्र के बीच में तझुथली कुप्पम मुहाना के किनारे बने शौचालय की दीवारें भी शामिल हैं।
पता चला है कि वहां कंक्रीट के फर्श के साथ फूस की झोपड़ियां हो सकती हैं लेकिन आगे झोपड़ियां या स्थाई संरचनाएं नहीं बनाई जा सकतीं। इस बारे में एनजीटी ने 28 अप्रैल, 2023 को कहा कि तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण से उचित मंजूरी मिलने के बाद और सीआरजेड अधिसूचना, 2011 के अनुसार अनुमति दिए गए क्षेत्रों के भीतर ही कोई भी निर्माण या अन्य गतिविधियां की जा सकती हैं।
आवेदकों को मुख्य आपत्ति यह थी कि तझुथली कुप्पम मुहाना, ओडियुर लैगून के पास है। यह क्षेत्र पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील है, क्योंकि यह महत्वपूर्ण ओलिव रिडले कछुआ के घोसलों का क्षेत्र है। इसके अलावा यह मुहाना मैंग्रोव, समुद्री घास से पूरी तरह समृद्ध है। पता चला है कि तमिलनाडु पर्यटन विकास निगम ने तमिलनाडु तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण से सीआरजेड मंजूरी प्राप्त नहीं की है।
वहीं तमिलनाडु तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण ने एनजीटी को जानकारी दी है कि तमिलनाडु पर्यटन विकास निगम बिना किसी अनुमति के विभिन्न सुविधाओं जैसे शौचालय, कंक्रीट के फर्श के साथ झोपड़ियां और पिलिंग कंपाउंड दीवार का निर्माण कर रहा है। इसके लिए सीआरजेड अधिसूचना, 2011 के तहत कोई आवेदन भी नहीं किया गया है। तमिलनाडु पर्यटन विकास निगम ने स्वीकार किया है कि यहां निर्माण बिना किसी उचित मंजूरी के किया गया है।