नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सात दिसंबर, 2023 को सिक्किम के मुख्य सचिव से हर छह महीने में रिपोर्ट सबमिट करने को कहा है। इस रिपोर्ट में सिक्किम में ठोस और तरल कचरे के समाधान के लिए क्या-क्या कार्रवाई की गई, उनका विवरण होना चाहिए।
इस मामले में न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की पीठ ने छह दिसंबर को दायर रिपोर्ट को देखने के बाद कहा कि शहरी क्षेत्रों में, ठोस कचरे का दैनिक उत्पादन 68.9 टन है। हालांकि इसमें से केवल हर दिन 23.75 टन कचरे को ही प्रोसेस किया जाता है। वहीं बाकी 45.15 टन कचरा प्रतिदिन लैंडफिल साइटों में डंप किया जा रहा है।
इसके अलावा, गंगटोक में करीब डेढ़ लाख टन पुराना कचरा जमा है। वर्षों से जमा इस कचरे के निपटान के लिए जैव-खनन के उपयोग का प्रस्ताव रखा गया है। कोर्ट के मुताबिक इस पुराने कचरे पर ध्यान नहीं दिया गया, तो हर दिन जमा हो रहे 45.15 टन नए कचरे के साथ स्थिति कहीं ज्यादा खराब हो जाएगी। इससे मिट्टी में भारी प्रदूषण होगा। इतना ही नहीं इससे लीचेट उत्पादन के साथ पक्षियों और अन्य जीवों को नुकसान हो सकता है।
इस रिपोर्ट में अदालत को कुछ खामियां मिली हैं, उदाहरण के लिए नौ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) कैसे काम कर रहे हैं और पानी की गुणवत्ता के बारे में भी कोई जानकारी इसमें नहीं है। इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट में इस बात की भी जानकारी नहीं दी गई है कि पानी को ट्रीट करने के बाद उसका उपयोग कैसे किया जा रहा है।
जुर्माना तय करने के बावजूद आज तक क्यों नहीं पारित किया गया कोई अंतिम आदेश, एनजीटी ने मांगा जवाब
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आठ दिसंबर 2023 को कहा है कि संयुक्त समिति द्वारा पर्यावरण संबंधी कानूनों का पालन न करने के लिए जुर्माना तय करने के बाद भी आज तक कोई अंतिम आदेश पारित नहीं किया गया है। गौरतलब है कि मामला गुरुग्राम में एक आवासीय सोसायटी से जुड़ा है, जिसे दूषित सीवेज और कचरे के संबंध में पर्यावरण संबंधी नियमों का पालन न करने का दोषी पाया गया था।
बता दें कि हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 25 सितंबर, 2023 को इसपर 3,40,50,000 रुपए का मुआवजा लगाने की सिफारिश की थी। यह जुर्माना संचालन की सहमति प्राप्त न करने और खुली भूमि पर दूषित सीवेज और कचरे डाले जाने को लेकर लगाया गया था। हालांकि इस आदेश को पारित हुए ढाई महीने हो चुके हैं लेकिन अदालत ने पाया है कि इसपर आज तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
ऐसे में अदालत ने हरियाणा सरकार, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, गुरुग्राम के जिला मजिस्ट्रेट और मैसर्स अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने इन सभी लोगों से चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई आठ फरवरी, 2024 को होगी।
लस्सारा नाले में बढ़ते प्रदूषण का मामला, एनजीटी ने समिति से तलब की रिपोर्ट
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने संयुक्त समिति से 14 दिसंबर 2023 तक लस्सारा नाला प्रदूषण पर रिपोर्ट सौंपने को कहा है। कोर्ट ने आठ दिसंबर 2023 को दिए अपने इस आदेश में कहा है कि यदि समिति इस समय सीमा में रिपोर्ट सबमिट नहीं करती, तो लुधियाना के जिला मजिस्ट्रेट को अगली तारीख पर उपस्थित होना होगा। इस मामले में अगली सुनवाई 15 दिसंबर 2023 को होगी।
गौरतलब है कि इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल अधिनियम, 2010 की धारा 14 और 15 के तहत आवेदन दायर किया गया था। इस आवेदन में चिंता जताई गई थी कि ग्रामीणों द्वारा बनाया गया जारगारी नाला, प्रथम पटियाला फीडर नहर के नीचे से गुजरता है और लस्सारा नाले में मिलता है। वहीं लस्सारा नाला, एक अंतरराज्यीय नाला होने के बावजूद, उसमें निकास का अभाव है, जिसके चलते यह एक तालाब में बदल गया है।
वहीं शिकायत है कि नाले में जमा पानी ओवरफ्लो होकर फैल जाता है, जो आवेदकों और अन्य स्थानीय निवासियों के खेतों में जमा हो जाता है।
इसके अलावा यह भी मुद्दा उठाया गया है कि रुका हुआ पानी आसपास के पेड़ों को नुकसान पहुंचा रहा है, जिससे वे मर रहे हैं। वहीं दूषित पानी की परीक्षण रिपोर्ट से पता चला है कि बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) का स्तर 55 मिलीग्राम प्रति लीटर है, जो 30 मिलीग्राम प्रति लीटर की तय सीमा से कहीं ज्यादा है। इसके अतिरिक्त फीकल कॉलीफॉर्म का स्तर भी निर्धारित मानकों से कहीं ज्यादा है। पानी में इसका स्तर 94,000 एमपीएन/100 एमएल है, जबकि इसके लिए तय मानक महज 1,000 है।