स्वच्छता

दिल्ली में 2,384 टन कोविड-19 वेस्ट पैदा हुआ

टॉक्सिक लिंक की रिपोर्ट के अनुसार, केवल जुलाई में 1,101 टन हेल्थकेयर वेस्ट पैदा हुआ

Bhagirath

दिल्ली में कोरोनावायरस महामारी शुरू होने के बाद से कुल 2,384 टन “कोविड-19 वेस्ट” स्वास्थ्य केंद्रों, क्वारंटाइन सेंटर और होम आइसोलेशन से निकला है। गैर लाभकारी संगठन टॉक्सिक लिंक की रिपोर्ट “कोविड वेस्ट: हाउ दिल्ली मैनेज्ड इट” के अनुसार, मार्च 2020 के बाद संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ कोविड-19 वेस्ट पैदा होना शुरू हुआ। मार्च में संक्रमण के कुल 440 मामले थे, जो अप्रैल में बढ़कर 3,515 हो गए। इसी के साथ कोविड-19 वेस्ट भी मार्च में 33 टन से बढ़कर अप्रैल में 238 टन हो गया। यानी कि कोविड वेस्ट में 620 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

संक्रमण के मामले बढ़ने के अलावा इसमें बढ़ोतरी का बड़ा कारण केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की गाइडलाइन थीं, जिसमें कहा गया था कि कोविड-19 मरीजों से पैदा हुआ बायोमेडिकल वेस्ट अलग करके जलाया जाएगा। इससे रिसाइकल होने वाला वेस्ट, डिस्पोजेबल प्लास्टिक और खाद्य सामग्री आदि भी कोविड वेस्ट में शामिल हो गई।

रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई में कोविड-19 वेस्ट 511 टन के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। ऐसा मुख्य रूप से इस वजह से हुआ, क्योंकि जुलाई तक कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी (सीबीडब्ल्यूटीएफ) तक सामान्य कचरे में मिलकर कोविड वेस्ट आ रहा था।

रिपोर्ट बताती है कि इतनी बड़ी मात्रा में कचरे को जलाना चिंता का सबब था। ऐसा इसलिए भी क्योंकि दिल्ली के सीबीडब्ल्यूटीएफ में कचरे को निर्धारित मात्रा में ही जलाया जा सकता है। जलाने वाले कचरे की मात्रा में इजाफा होने से इनमें दबाब बढ़ गया। इस मिश्रित कचरे को जलाने से डाइऑक्सिन और फ्यूरंस निकलता है जिससे कैंसर का खतरा रहता है।

टॉक्सिक लिंक के अनुसार, दिल्ली में सरकार ने हलके लक्षणों वाले मरीजों के लिए होम क्वारंटाइन को प्राथमिकता दी थी। ऐसे घरों से निकला बायोमेडिकल कचरा सामान्य घरेलू कचरे में मिल गया और इस तरह कोविड-19 वेस्ट में बहुत इजाफा हुआ।

रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई में कोविड-19 वेस्ट गाइडलाइन में चौथी बार सुधार हुआ, जिसमें कुछ मेडिकल वेस्ट की रिसाइक्लिंग पर जोर दिया गया। साथ ही यह भी कहा गया कि घर से निकलने वाले सामान्य कचरे जैसे बचा हुआ खाना, पैकेजिंग आदि का निपटान सामान्य म्युनिसिपल वेस्ट की तरह किया जाए। इस गाइडलाइन का नतीजा यह निकला कि कोविड-19 वेस्ट में कमी आने लगी। अगस्त में यह कचरा 399 टन और सितंबर में 383 टन पैदा हुआ।  

कोविड काल में हेल्थकेयर वेस्ट और कोविड वेस्ट

दिल्ली की दोनों सीबीडब्ल्यूटीएफ के जुटाए गए आंकड़ों पर नजर डालने पर पता चलता है कि जनवरी और फरवरी में नियमित बायोमेडिकल वेस्ट पैदा हो रहा था, जबकि मार्च से सितंबर के आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान नियमित बायोमेडिकल वेस्ट और कोविड वेस्ट निकला। दिल्ली में बायोमेडिकल वेस्ट में इस अवधि में खास बढ़ोतरी नहीं हुई।

यह वेस्ट जनवरी-फरवरी में 800 टन था जो मार्च और अप्रैल में नहीं बढ़ा बल्कि देशव्यापी लॉकडाउन के कारण इसमें कमी आई। मई के बाद यह जनवरी के मुकाबले 5 प्रतिशत बढ़कर 926 टन हो गया। जून और जुलाई में इसमें क्रमश: 11 और 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। इस समय देशभर में लॉकडाउन की बंदिशें खत्म हो रही थीं, जबकि संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे थे। वहीं अस्पतालों में भी सामान्य सेवाएं शुरू होने से मेडिकल वेस्ट में बढ़ोतरी हुई। जुलाई में बायोमेडिकल वेस्ट और कोविड वेस्ट अपने 1,101.68 टन के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। हालांकि अगस्त में इसमें कुछ गिरावट आई लेकिन सितंबर यह फिर बढ़ गया।