प्रतीकात्मक तस्वीर 
स्वच्छता

मानकों पर खरे नहीं दिल्ली जल बोर्ड के 12 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

दिल्ली जल बोर्ड ने जानकारी दी है कि दिल्ली-एनसीआर में उसके आधीन कुल 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं। इनमें से 25 प्लांट तय मानकों पर खरे हैं

Susan Chacko, Lalit Maurya

दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने जानकारी दी है कि दिल्ली-एनसीआर में उसके आधीन कुल 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) हैं। इनमें से 25 प्लांट तय मानकों पर खरे हैं और अपनी पूरी क्षमता पर काम कर रहे हैं।

दिल्ली जल बोर्ड ने 8 मई, 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए जानकारी प्रस्तुत की। इस मामले में ट्रिब्यूनल ने 22 नवंबर, 2024 को आदेश जारी किया था। गौरतलब है मामले में दायर याचिका में यमुना के किनारे लगाए गए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) की खराब कार्यप्रणाली को लेकर चिंता जताई थी।

डीजेबी ने यह भी बताया है कि उसकी वेबसाइट पर डाले गए आंकड़ों की निगरानी लगातार दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा की जा रही है।

मेरठ में तालाबों पर होता अतिक्रमण, 570 पर किया गया है पक्का निर्माण

उत्तर प्रदेश के मेरठ में 3,528 तालाब हैं। इनमें से 3,144 ग्रामीण, जबकि 384 शहरी इलाकों में स्थित हैं। इनमें से 2,949 तालाब अतिक्रमण मुक्त हैं। रिपोर्ट से पता चला है कि 61 तालाबों पर अस्थाई ढांचे खड़े किए गए हैं, जबकि 570 तालाब पर पक्का निर्माण किया गया है। यह जानकारी मेरठ के जिलाधिकारी द्वारा 3 मई, 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को सौंपी अपनी रिपोर्ट में दी है।

रिपोर्ट के मुताबिक, अतिक्रमण के 80 मामलों में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 67 के तहत कार्रवाई लंबित है। वहीं, दो मामलों में सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली) अधिनियम, 1971 के तहत भी कार्यवाही हो रही है।

23 अप्रैल, 2025 को आयोजित जिला वेटलैंड समिति की बैठक में सामाजिक वानिकी विभाग के संभागीय निदेशक ने बताया कि तालाबों के पुनर्जीवन और अतिक्रमण हटाने को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने बताया कि अमृत सरोवर योजना, अटल भूजल योजना, मनरेगा, ग्राउंडवॉटर फंड, ग्राम निधि और अन्य योजनाओं के तहत इन तालाबों को पुनर्जीवित करने के प्रयास सक्रिय रूप से किए जा रहे हैं।

मवाना के तहसीलदार ने जानकारी दी है कि स्थाई अतिक्रमण से जुड़े मामलों में पांच तालाबों को कब्जा मुक्त किया गया है। वहीं सरधना के तहसीलदार ने 12 मामलों में अवैध कब्जे को हटाए जाने की पुष्टि की है। इसी तरह सदर तहसीलदार की रिपोर्ट के मुताबिक, 34 मामले विचाराधीन हैं। 0.1386 हेक्टेयर भूमि से बेदखली की कार्यवाही की गई है।

इसके अलावा, मौके पर अस्थाई अतिक्रमण के 50 मामले देखे गए हैं, जिनमें मुख्य रूप से झोपड़ियां और मलबे के ढेर शामिल हैं। इनमें से 6 अतिक्रमण हटाए जा चुके हैं। वहीं, 248 स्थाई अतिक्रमण की भी पहचान की गई है।

मेरठ के तालाबों की बहाली अधर में, विभागों से नहीं आया जवाब

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने 2 मई, 2025 को एक नई रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में सौंपी है। इस रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जानकारी दी है कि मेरठ में तालाबों के जीर्णोद्धार और अतिक्रमण हटाने को लेकर संबंधित विभागों को निर्देश जारी किए गए हैं।

बोर्ड ने अधिकारियों को कुछ जरूरी सुझाव भी दिए हैं। इनमें बारिश के पानी को संजोना, जल भंडारण क्षमता को बढ़ाना, जलग्रहण क्षेत्र का विकास, मनरेगा, अमृत सरोवर, 15वां वित्त आयोग, ग्राम निधि, अटल भूजल और भूजल निधि जैसी योजनाओं से फंडिंग, तालाबों को प्रदूषण मुक्त बनाना, स्थाई अतिक्रमण वाले तालाबों की दोबारा जांच करना और बारिश से पहले अतिक्रमणमुक्त तालाबों की खुदाई करना आदि शामिल है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मेरठ नगर निगम, सदर/मवाना/सरधना के एसडीएम, जिला पंचायत राज अधिकारी, जिला विकास अधिकारी, डीआरडीए परियोजना निदेशक, जिले की सभी नगर पालिका/नगर पंचायतों, लघु सिंचाई विभाग और भूजल विभाग से भी जानकारी मांगी थी।

हालांकि अब तक केवल लघु सिंचाई विभाग और भूजल विभाग ने ही रिपोर्ट भेजी है, जिसमें उन्होंने अब तक किए गए और प्रस्तावित तालाब पुनरुद्धार कार्यों के बार में विस्तार से बताया है।

गौरतलब है कि एनजीटी ने 5 मार्च, 2025 को सभी संबंधित अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट और ट्रिब्यूनल के निर्देशों के अनुपालन में तालाबों के संरक्षण और अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही पर हलफनामों के माध्यम से अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।