यहां डैम बनने के बाद गांव खाली हो गया। टूटी दीवारें अब भी उजड़ेपन की याद दिलाती हैं। लोग बताते हैं कि खेती से पेट नहीं भरता, फैक्ट्रियां दूर हैं, अब बस नदी से रेत निकालना ही काम बचा है। ट्रैक्टर ट्रक लाइन लगाकर खड़े रहते हैं। जो नौजवान पहले खेतों में काम करते थे, अब पूरा दिन रेत लादने में गुजारते हैं
नोएडा में नदी किनारे पहले गांव और जंगल थे। अब शीशे की ऊंची इमारतें खड़ी हैं। लेकिन इन इमारतों की भूख मिटाने के लिए खनन आज भी जारी है। यमुना तटों पर लगातार खनन दिखाई दे रहा है
यहां हाल और बुरा है। नदी का तल गहरे गड्ढों में बदल चुका है। इतने बड़े कि ट्रैक्टर भी छोटे खिलौनों जैसे दिखते हैं। बच्चों की डूबकर मौत की खबरें आम हो गई हैं। जहां कभी घाट थे वे अब मौत के गड्ढे बन गए हैं