नदी

कुंभ का शाही स्नान नजदीक, पीने लायक नहीं हुआ अभी गंगाजल

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के के मुताबिक देहरादून में रायवाला सत्यनारायण मंदिर के पास पानी में टोटल कोलीफॉर्म (94) काफी अधिक है। जो कि क्लास ए यानी पीने के लायक नहीं है।

Vivek Mishra

कोरोना महमारी के दौरान उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित हो रहे महाकुंभ में गंगा को करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए स्वच्छ बनाए रखने की चुनौती जारी है। हाल ही में दून यूनिवर्सिटी के शोध में बताया गया है कि शहरी क्षेत्रों में गुजरने वाली गंगा धारा में बहुत उच्च स्तरीय प्रदूषक हैं। वहीं, गंगा की रोजाना होने वाली निगरानी में भी कई स्थानों पर गंगा जल श्रद्धालुओं के लिए आचमन लायक नहीं है। 

गंगा में उच्च प्रदूषक का दावा करने वाले दून यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने एक मीडिया रिपोर्ट में कहा है कि गंगा में साधारण एंटीबॉयोटिक, कैफीन और अन्य बैक्टीरियल दवाएं मौजूद हैं। 

गंगा की निगरानी और आमजन को गंगा में प्रदूषक की स्थिति बताने के लिए सुटेबिलिटी ऑफ रिवर गंगा से यह तस्वीर स्पष्ट होती है। ताजी स्थिति के मुताबिक देहरादून में रायवाला सत्यनारायण मंदिर के पास पानी में टोटल कोलीफॉर्म (94) काफी अधिक है। जो कि क्लास ए यानी पीने के लायक नहीं है।  वहीं जैव रासायनिक मांग 1.6 सीमा के भीतर है जबकि पीएच मान भी मानक के भीतर 7.23 है।

सुटेबिलिटी ऑफ रिवर गंगा में प्रत्येक 15 दिन पर सैंपल के नमूनों को बदला जाता है। अभी फरवरी 2021 के नमूने ही प्रदर्शित किए जा रहे हैं। वहीं उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश के बाद प्रमुख स्थानों पर गंगा के प्रदूषकों की निगरानी कर रहा है। 

सीपीसीबी ने आदेश दिया है कि 43 स्थानों पर स्नान से पहले और स्नान के बाद गंगा में प्रदूषक मानकों को तय किया जाए। बहरहाल उत्तराखंड प्रदूषण निंयत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने यह शुरू कर दिया है। 

11 मार्च, 2021 को महाशिवरात्रि के दौरान 37 लाख लोगों ने कुंभ स्नान किया थाअब और अप्रैल महीने में 12 अप्रैल, 14 अप्रैल और 27 अप्रैल को शाही स्नान होना है जब  इसमें सबसे ज्यादा श्रद्धालु जुटेंगे। 

इस दौरान गंगा में प्रदूषकों को कम करने के लिए न सिर्फ अतिरिक्त पानी छोड़ा जाएगा बल्कि सीवेज प्रदूषण को कम करने पर जोर रहेगा। हालांकि, अभी ताजी चुनौती कोरोना संक्रमण से भी लड़ना है। जारी किए गए एसओपी के मुताबिक अभी श्रद्धालुओं के साथ वह सख्ती नहीं बरती जा रही है जो होनी चाहिए।  

यह कयास लगाया जा रहा है कि सरकार ऐसा कोई आदेश दे सकती है कि 1 अप्रैल, 2021 के बाद कोरोना संक्रमण की निगेटिव रिपोर्ट के साथ श्रद्धालुओं को इंट्री दी जाए।