नदी

नदियों के इलाकों की खोज और विश्लेषण से प्राचीन नदियों के अस्तित्व का चलेगा पता

शोधकर्ताओं ने नदियों के अस्तित्व के बारे में पता लगाने के लिए 30 आधुनिक नदियों और उनके चैनल बेल्ट का विश्लेषण किया

Dayanidhi

नदी के सूख जाने के वर्षों बाद तक उसका इलाका और चैनल बना रहता है। नदी के चारों ओर तलछट या सेडीमेंट से बने, बेल्ट या पट्टी, जो फिर से कठोर चट्टानों में बदल जाते हैं। यह सब उन नदियों और रास्तों को संरक्षित करते हैं जो कभी धरती पर रही होंगी। हालांकि इस पट्टी में जमा एक प्राचीन नदी के बारे में विवरण का पुनर्निर्माण करना बेहद मुश्किल काम है।

ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक इस नए शोध को आगे बढ़ा रहे हैं। यूटी जैक्सन स्कूल ऑफ जियोसाइंसेज के पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता तियान डोंग ने कहा कि आधुनिक नदियों का विश्लेषण करके वे एक नियम को अपनाने में सफल हुए हैं। जो पट्टी को नदी के पैटर्न से जोड़ता है, सामान्य तौर पर, नदी की पट्टी संकरी होती है।

चूंकि नदियों को आकार देने वाला विज्ञान समय और स्थान के साथ समान होता है, इसलिए जैक्सन स्कूल के सहायक प्रोफेसर तथा सह-अध्ययनकर्ता टिमोथी गौज के मुताबिक अन्य ग्रहों पर भी प्राचीन नदियों और नदियों के लिए नियम लागू होने चाहिए।

उन्होंने कहा हम पृथ्वी पर 10 करोड़ साल पहले या मंगल ग्रह पर 3.5 अरब साल पहले से नदी के जमाव को देख सकते हैं और हम इस बारे में पता लगा सकते हैं कि वास्तविक नदी कैसी दिखती थी।

प्राचीन नदियों की कल्पना करने में वैज्ञानिकों की मदद करने के अलावा, नियम उन्हें यह व्याख्या करने में भी मदद कर सकता है कि इन नदियों ने व्यापक परिदृश्य को कैसे प्रभावित किया। संकरी चैनल बेल्ट वाली नदियां आसपास के बाढ़ के मैदान तक अधिक आसानी से पहुंचने में सक्षम हैं। यह आकार देती हैं कि कैसे परिदृश्य का निर्माण किया जाता है और सामग्री को नीचे की ओर जमा किया जाता है।

डोंग ने कहा मल्टीचैनल सिस्टम के लिए, जैसे कि ऊंची जगहों से बहने वाली नदियां, वे वास्तव में एक बहुत संकीर्ण चैनल बेल्ट में प्रवाहित होती हैं, इसलिए वे बाढ़ के मैदान के बहुत करीब हैं। नदी और बाढ़ के मैदानों और सामग्री के परस्पर प्रभाव पड़ता है।

नियम में कुछ चेतावनियां भी दी गई हैं। यह उन सीमित नदियों के लिए नहीं है जो अपने आसपास के परिदृश्य से स्वतंत्र रूप से बहने से रोकी जाती हैं। लेकिन जब नदियां बहने के लिए स्वतंत्र होती हैं और भूमि के आर-पार बहती हैं, तो नदी चैनलों की बढ़ती संख्या और एक संकीर्ण चैनल बेल्ट के बीच सीधा संबंध होता है।

वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि जैसे-जैसे बेल्ट या पट्टी संकरी होती जाती है, वैसे-वैसे यह कम तेज किनारों के साथ शांत भी होती जाती है।

शोधकर्ताओं ने 30 आधुनिक नदियों और उनके चैनल बेल्ट का विश्लेषण किया। इसके लिए उन्होंने उच्च-रिज़ॉल्यूशन छवियों और उपग्रहों द्वारा कैप्चर किए गए ऊंचाई के आंकड़ों पर खाका बनाकर नियम की खोज की। डोंग ने कहा कि गूगल की मदद से उन्हें धरती पर चारों ओर स्क्रॉल करने से नदी चैनल और चैनल बेल्ट चौड़ाई के बीच एक प्रवृत्ति को देखते हुए कई मोड़ दिखे। लेकिन उन्हें यकीन नहीं था कि आंकड़ों की गणना के बाद उनकी जानकारी सही साबित होगी या नहीं।

डोंग ने कहा किसी ने वास्तव में नदी और चैनल-बेल्ट प्लानफॉर्म आकृतियों के बीच के संबंध को व्यवस्थित रूप से नहीं देखा था, इसलिए हमें वास्तव में नहीं पता था।

संकरे चैनल बेल्ट होने के अलावा, शोध में यह भी पाया गया कि मल्टीचैनल नदियां चैनल बेल्ट पर अधिक जगह लेती हैं, चैनल बेल्ट क्षेत्र का 50 फीसदी या अधिक हिस्सा लेती हैं। इसके विपरीत, सिंगल-चैनल सिस्टम, जैसे कि बहने वाली नदियां, 1 फीसदी तक कम लेती हैं।

डोंग ने कहा कि यह मल्टीचैनल नदियों को तलछट लाने और उसे स्थानांतरित करने की क्षमता को और बढ़ाता है। चूंकि पौधों और जानवरों से कार्बनिक पदार्थ उन तलछटों में से एक हैं, इसका मतलब है कि मल्टीचैनल नदियां अपने बाढ़ के मैदानों पर कार्बनिक कार्बन को समुद्र में ले जाने से पहले जमा नहीं कर सकती हैं। यह कार्बनिक कार्बन समुद्री जीवों को प्रभावित कर सकता है।

चैनल बेल्ट मंगल ग्रह पर एक सामान्य विशेषता की तरह है, जो लाल ग्रह के गीले अतीत की याद दिलाती है। वे शायद शनि, चंद्रमा टाइटन पर भी पाए जाते हैं, जहां अंतरिक्ष जांच द्वारा तरल मीथेन से नदियों की पहचान की गई है।

गौज और डोंग दोनों ने कहा कि वे अन्य दुनिया को आकार देने वाले भूविज्ञान के बारे में जानने के लिए नदियों पर अपने शोध को लागू करने की उम्मीद करते हैं।

गौज ने कहा कि भविष्य के काम के लिए, हम इन मैट्रिक्स को हमारे सौर मंडल में अन्य ग्रहों पर लागू करने और देखने के लिए देख रहे होंगे कि हम आगे क्या देख सकते हैं। यह शोध जियोलॉजी नामक पत्रिक में प्रकाशित हुआ है।