नदी

रामगढ़ बांध-1: जो 30 लाख लोगों की प्यास बुझाता था, आज खुद है प्यासा

जयपुर का रामगढ़ बांध केवल 13 साल में सूख गया, आखिरी बार 2016 में यहां से पानी सप्लाई हुआ था

Anil Ashwani Sharma

दिल्ली में 1982 में एशियाई खेलों में नौकायन प्रतियोगिता जयपुर के भव्य कहे जाने वाले रामगढ़ बांध में आयोजित हुई थी। यह कल्पना कितनी खतरनाक और भयावह है कि उस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले देश-विदेश के नौकायन प्रतियोगी यदि अब इस बांध को देखें तो उन्हें अपनी आंखों पर भरोसा ही नहीं होगा कि जिस लबालब भरे बांध मे उन्होंने अपनी नौकाएं दौड़ाई थीं, अब वहां केवल जंगली झाडियां ही दूर तलक तक दिखाई पड़ती हैं।

तीस लाख की आबादी को पानी पहुंचाने वाला एक बांध देखते ही देखते एक विराने में तब्दील हो गया। राजस्थान में जल संचय करने का यह एक बेजोड़ उदाहरण था। जिसे लगभग सवा सौ साल पहले बनवाया गया था। जोधपुर से रामगढ़ बांध देखने आए अधेड़ महेंद्र सिंह कहते हैं कि क्या इसी का लेकर मेरे रिश्तेदार इतना इतराते थे कि जितना बड़ा तुम्हारा शहर नहीं है, उससे बड़ा तो हमारा रामगढ़ बांध है।

वह कहते हैं कि मुझे जवानी में तो यहां आने का मौका नहीं मिला और जब ढलती उम्र में यहां आया हूं तो यह भी बांध पूरी तरह से खत्म हो चुका है। सहसा एक नजर में यह विश्वास करना बहुत कठिन है कि यह वही बांध है जहां से पूरे जयपुरवासी अपनी प्यास बुझाते थे।

रामगढ़ बांध के पास ही जलापूर्ति कार्यालय के दुकान लगाने वाले विरेंद्र कुमार वह बताते हैं कि एक समय मेरी आजीविका का साधन ही यह दुकान थी, अब तो इस दुकान के दम पर मेरे जैसे अधेड़ का भी पेट नहीं भरता। कारण है कि अब तो यहां कोई आता-जाता ही नहीं है। बस सड़क है तो इस पर आने जाने इक्का दुक्का राहगीर कभी-कभार रूक कर कुछ खरीददारी कर लेते हैं।

सचमुच में यह बांध अब वीराने में सिमट कर रह गया है। दूर-दूर तक सन्नाटा पसरा हुआ है। इस सन्नाटे को टूटे-फूटे पानी स्प्लाई करने वाले कार्यालय के टीन शेड पर इधर-उधर उछल कूद करने वाले बंदर की धमक अवश्य इसे यदाकदा तोड़ती है। अन्यथा यहां बांध अपने बीते सुनहरे कल की बस यादें ही समेटे हुए है। बांध की जंग लगी पाइप लाइनें हों या बंद पड़े मोटर के हैंडल या यहां-वहां दूर तक गिरीपड़ी बांध की दीवारें हों। यह बांध के खत्म होने की कहानी बयां कर रहा है। हालांकि इसके बावजूद बांध की दीवारों पर बने गुंबद अब भी शान से खड़े हैं और भूले-भटके आने वालों को अपने भव्य अतीत को दर्शा रहा है।

जयपुर घूमने आने वाले बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक सवा सौ साल पुराने इस परंपरागत बांध को अवश्य देखने आते थे। राजस्थान में जल संचय करने की परंपरा की एक लंबी फेहरिस्त है। उसमें सूची में यह बांध भी शामिल था। लेकिन जयपुर शहर के महानगर में बदलते ही इस बांध के कैचमेंट क्षेत्र की जमीनों पर लोगों द्वारा कब्जा करना शुरू कर दिया। यह कब्जा इतना अधिक हो गया है कि इस बांध में चार नदियों से आने वाला पानी ही बंद हो गया।

अतिक्रमणकारियों ने कुछ इस प्रकार से कब्जा किया कि इस बांध का जल स्त्रोत को ही रोक दिया। और नतीजा सामने है एक सूनसान पड़ी खाली जगह। दूर-दूर तक बस जंगली झाडियां ही दिखाई पड़ रही हैं। कहीं दूर तलक भी पानी की एक झलक तक नहीं दिखाई दे रही है। राजस्थान की राजधानी जयुपर से लगभग 32 किलोमीटर दूर स्थित रामगढ़ बांध में अब पिछले एक डेढ़ दशक से कोई पर्यटक नहीं जाता है।

इस संबंध में जयपुर में विदेशी पर्यटकों को पिछले पांच सालों से राजस्थान की सैर कराने वाले टैक्सी ड्राइवर अखिलेश बताते हैं कि अब भी हर विदेशी की घूमने वाली जगहों में एक जगह निश्चित ही रामगढ़ बांध होती है। लेकिन हम ही उन्हें बता देते हैं कि अब वहां कुछ नहीं है। यह बांध 15.5 वर्ग किलोमीर में फैला हुआ है। एशियाई खेलों के आयोजन के 39 साल बाद इस बांध में पानी का एक बूंद नहीं है।

चालीस सालों में सवा सौ साल पुराना बांध खत्म हो गया। उसे जमीन खा गई या आसमान खा गया, अब यह यक्ष प्रश्न नहीं है क्यों कि इस प्रश्न का जवाब हर जयपुरवासी और सरकार के पास है। पूरे बांध पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा हो चुका। इस कब्जे को न तो अब तक सरकार हटा पाई है और न हीं अदालत। 

जारी...